उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर में लव जिहाद के नए मामले छाये हुए हैं। अंतर्धार्मिक शादियों पर विवाद छिड़े हुए हैं। जम्मू में एक सिख लड़की के जबरन धर्म परिवर्तन करा कर शादी के आरोप में माहौल गरम है। हालांकि लड़की का कहना है कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है।
इसी बीच अंतर्धार्मिक शादियों को लेकर सर्वे सामने किया गया है। अमेरिकी थिंकटैंक प्यू रिसर्च सेंटर ने ये सर्वे भारत के 26 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में कराया है। सर्वे में 17 भाषाएँ बोलने वाले 30 हजार लोगों ने भाग लिया।
सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि भारत के ज्यादातर लोग खुले विचारों के हैं। लेकिन उसके बावजूद वो अंतर्धार्मिक शादियों को स्वीकार नहीं करते।
हिन्दू हो या मुस्लिम दोनों सम्प्रदायों ने अंतर्धार्मिक शादियों को रोकना बेहद जरूरी माना।
सर्वे के अनुसार, 80% मुसलमानों अपना मत दिया कि मुस्लिमों को दूसरे समुदायों में शादियाँ नहीं करनी चाहिए। जबकि 65% हिन्दू भी यही राय रखते हैं कि अंतर्धार्मिक शादियाँ नहीं होनी चाहिए।
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इतना ही नहीं भारत के लोगों के लिए उनकी धार्मिक पहचान का ज्यादा महत्त्व है। 64% हिन्दुओं ने कहा कि “सच्चा भारतीय” कहलाने के लिए हिंदू होना जरूरी है।
सर्वे में यह भी सामने आया कि धार्मिक समुदायों में एक जैसे मूल्य और धार्मिक मान्यताएँ होने के बावजूद भी वो एक दूसरे के साथ मिलना नहीं चाहते। उनमें कुछ भी समानता नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार “भारत के लोग उदार हैं धार्मिक सहिष्णुता उनके लिए मायने रखती है। लेकिन इसके साथ वो अपनी धार्मिक पहचान अलग भी रखना चाहते हैं।
शादी ही नहीं दोस्ती पर भी लोगों ने राय रखी और कहा कि उनके दोस्त अलग-अलग धर्म के हैं। दोस्ती के बावजूद लोग अपनी-अपनी धार्मिक ज़िंदगी जीते हैं। ऐसे दोस्तों का प्रयास होता है कि एक ख़ास धर्म के लोग उनके धार्मिक स्थानों और घरों में ना जाएँ।
भारत में धार्मिक शादियों को लेकर कानून बने हैं| अगर दो अलग धर्म के लोगों को शादी करनी हो तो उनके लोगो और घरों को 30 दिन पहले नोटिस दिया जाता है| इसके अलावा कुछ राज्यों में तो में और भी नए क़ानून लाए गए हैं जिनके तहत लव जिहाद, या “अवैध धर्मपरिवर्तन” करवाना कानूनन जुर्म है|