सारे शहर में कुल मिलाकर 70,03,012 अलग-अलग क्रिमिनल केसिस फाइल हुए है। हादसों की अहम वजह गाडी चलाने की तेज रफ्तार मानी जा रही है। शराब पीकर गाड़ी चलाने के केस में से, 10,109 केस कोर्ट में चार्जशीट किए गए हैं और कोर्ट ने शराब के नशे में गाडी चलाने वाले ड्राइवर्स से 10,49,61,000 रुपये वसूल किये हैं।
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अगर कोई नशे में गाड़ी चलाए, तो क्या वह गाड़ी चलाने के किसी कानून को तोड़ रहा है?
निश्चित रूप से वह व्यक्ति जो नशे में गाडी चला रहा है, वह गाडी चलने के नियमों का उल्लंघन कर रहा है। मोटर वाहन अधिनियम 2019 की धारा 185 के अनुसार, शराब या ड्रग्स से प्रभावित होने पर गाड़ी चलाना कानून के खिलाफ है। शराब पीकर गाडी चलाना कानूनन अपराध है।
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शराब पीकर गाड़ी चलाने पर क्या सज़ा है?
ज्यादा शराब के नशे में ड्राइविंग करने के लिए जुर्माने से लेकर जेल की सजा तक हो सकती है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 में सितंबर 2019 को बदलाव किया गया है। उस बदलाव के अनुसार, अब अगर कोई व्यक्ति पहली बार शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता हैं, तो उस व्यक्ति पर 10,000 रुपये का जुर्माना या फिर 6 महीने की जेल की सज़ा या दोनों हो सकते हैं।
लेकिन अगर वही व्यक्ति दो सालों के अंदर ही दोबारा ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है, तो जुर्माने की राशि को बढ़ाकर 15,000 रुपये और जेल की सज़ा 2 साल हो जाती है। यह बदलाव उन लोगों की वजह से किया गया है, जो बार-बार ट्रैफिक रूल्स को तोड़ते हैं।
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भारत में शराब के नशे में ड्राइविंग करने की सीमा
कोई भी व्यक्ति जिसकी ब्रेथलीजर से जांच करने पर उसके खून में 30 मिली ग्राम प्रति 100 मि.ली. से ज्यादा शराब मिलती है, तो माना जाता है कि वह नशे में गाड़ी चला रहा है। बिलकुल इसी तरह यह बात उस व्यक्ति पर भी लागू होती है, जो ड्रग्स के नशे से भरा हुआ है और वाहन/गाडी को ठीक तरीके से चलाने में सक्षम नहीं है।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 185:
किसी व्यक्ति का ड्रग्स के प्रभाव में या नशे में धुत होकर गाडी चलाना। जो भी व्यक्ति, मोटर वाहन चलाते समय:
- ब्रॉथेलीज़र द्वारा जांच में पता लगे कि उसके खून में 30 मिलीग्राम प्रति 100 मि.ली. से ज्यादा शराब है;
- ड्रग्स के प्रभाव में इस हद तक कि गाडी को सही तरीके से नियंत्रित करने में असमर्थ हो, पहली बार अपराध करने पर छह महीने तक जेल के साथ दो हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। अगर तीन साल के अंदर दोबारा वही अपराध किया जाता है तो दूसरी बार अपराध होने पर 2 साल की जेल के साथ 3000 रुपये तक का जुरमाना लगायाजा सकता है।
भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाने से कितनी दुर्घटनाएँ होती हैं?
नशे में ड्राइविंग करने की वजह से भारत में 2020 में 8355 सड़क दुर्घटनाएं हुई है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार; ड्रिंक एंड ड्राइविंग हादसों में रोजाना 19 भारतीयों की मौत होती है।
महानगरों में शराब पीकर गाडी चलाने के केसिस में दिल्ली पहले नंबर पर है।
भारतीय शहरों में शराब पीकर गाड़ी चलाने की समस्या बहुत आम है। ऐसा लगता है कि इसका कोई उपाय नहीं है। वास्तव में, ऐसा लगता है कि स्पेशलिस्ट्स भी कुछ समस्याओं का कोई हल नहीं निकाल पाते है। उन्ही समस्याओं में से एक शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले लोगों को रोकना भी है।
वर्तमान में महानगरों में इस तरह के हादसों की संख्या बढ़ रही है। दुर्घटनाओं की संख्या में बढ़ोतरी के पीछे कई कारण हैं। इनमे से सबसे पहला नशे में ड्राइविंग करना है। लोग ट्रैफिक रूल्स तोड़ते हैं और उस स्पीड का पालन नहीं करते, जो रूल्स के तहत बनाई गयी है, जो अंततः दुर्घटनाओं की वजह बनती है। गाडी चलाते समय फोन और शोरगुल वाले संगीत को यूज़ करना बड़ी मात्रा में ड्राइवरों के लिए रुकावट की वजह बनता है।
निष्कर्ष:
मोटर वाहन एक्ट 2019 की धारा 185 के अनुसार, जब आपको शराब या ड्रग्स से परेशान किया जाता है, तो गाड़ी चलाना गैर-कानूनी है। मोटर वाहन अधिनियम 1988 के सितंबर 2019 में आये बदलाव के तहत शराब पीकर गाड़ी चलाने पर पहली बार अपराध करने वालों को छह महीने की जेल और जुर्माना हो सकता है। कोई भी व्यक्ति जिसने 30 मिलीग्राम से ज्यादा शराब पी है। उसके गाड़ी चलने को नशे में गाड़ी चलाना माना जायेगा। भारतीय महानगरों में शराब पीने और गाड़ी चलाने की समस्या आम है और ऐसा लगता है कि इसका कोई समाधान नहीं है। वास्तव में, स्पेशलिस्ट इस समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं। इसलिए, हम यहां यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि महानगरों में दुर्घटनाओं की पर्सेंटेज बढ़ रही है। लीड इंडिया आपको दिल्ली में बेल लॉयर्स से स्पेशल एडवाइस प्रदान करता है। लीड इंडिया के पास इन्शुअरन्स लॉयर्स के रूप में दिल्ली में इन सभी केसिस को सुलझाने के लिए सर्वश्रेष्ठ लॉयर्स हैं।
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