वाइफ द्वारा हस्बैंड को पेरेंट्स से अलग रहने के लिए मजबूर करना मानसिक क्रूरता- हाई कोर्ट

वाइफ द्वारा हस्बैंड को पेरेंट्स से अलग रहने के लिए मजबूर करना मानसिक क्रूरता- हाई कोर्ट

जज गौतम भादुड़ी और जज एनके चंद्रवंशी की बेंच ने 27 फरवरी 2017 को कोरबा की एक फैमिली कोर्ट के आर्डर को चुनौती दी। यह चुनौती एक हस्बैंड द्वारा फाइल की गयी पिटीशन पर सुनवाई करते समय दी गयी थी। बेंच के अनुसार अगर कोई वाइफ अपने हस्बैंड को उसके पेरेंट्स से अलग करने पर जोर देती है और उसे धमकी देती है कि वह दहेज की मांग का झूठा केस फाइल करेगी, उस सिचुएशन में वह क्रूरता कर रही है।

दिखाए गए प्रूफ से यही निष्कर्ष निकलता है कि शादी सिर्फ 2 महीने चली और उसके बाद कपल में अनबन शुरू हो गई। वाइफ अपने ससुराल के बजाय ज्यादातर अपने मायके में ही रहती थी। यहां तक ​​कि वाइफ के पिता ने भी उसे ससुराल को छोड़कर उनके साथ मायके में ही रहने की सलाह दी थी। यहां तक ​​कि कोंजूगाल राइट्स सेटलमेंट में भी वाइफ अपने हस्बैंड के साथ रहने के लिए तभी तैयार हुई थी, जब वह अपने पेरेंट्स से अलग रहे। 

साथ ही, हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट की इस बात से भी असहमति जताई कि क्योंकि कोई पुलिस कम्प्लेन फाइल नहीं की गई थी, इसलिए कपल फ्यूचर में सेटलमेंट कर सकते हैं।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

क्रूरता:

क्रुएलिटी या क्रूरता को हम ऐसे समझ सकते है कि की गई कम्प्लेन इतनी “गंभीर और वजनदार” है, जिससे साफ़ पता लगता है कि पीड़ित पार्टनर का दूसरे पार्टनर के साथ रहना पॉसिबल नहीं है। यह मैरिड लाइफ के कॉमन झगड़ों से ज्यादा होती है। मतलब, जो बेहेवियर क्रूरता के बराबर हो गंभीर हो। क्रूरता का मतलब हमेशा शारीरिक हिंसाया फिजिकल वायलेंस से नहीं होता है। इसे निम्नलिखित बातों से समझा जा सकता है:

इसे भी पढ़ें:  मैरिज काउंसलिंग क्या है?

शारीरिक हिंसा या फ़िजिकल वायलेंस 

अडल्ट्री करना और यहां तक ​​कि सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार करना भी

पत्नी पर व्यभिचार करने का झूठा आरोप लगाना

लगातार चिल्लाना, गुस्सा दिखाना, जीवनसाथी को गाली देना

जीवनसाथी को इस हद तक हतोत्साहित या प्रतिबंधित करना कि वह पूरी तरह से दूसरे पर निर्भर हो।

तलाक के लिए आधार के रूप में क्रूरता:

क्रूरता, शुरू में तलाक का आधार नहीं थी। हालांकि, नारायणी गणेश दास्ताने बनाम सुचेता नारायण दास्ताने, 1975 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद एक संशोधन लाया गया और तलाक के लिए क्रूरता को भी आधार के रूप में जोड़ा गया।

फरवरी 2007 में मायादेवी बनाम जगदीश प्रसाद के ऐतिहासिक फैसले में, यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित किया गया था, किसी भी पति या पत्नी द्वारा सामना की जाने वाली मानसिक क्रूरता क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए आवेदन कर सकती है।

अन्य कानून:

  1. IPC की धारा 498A, एक पत्नी के खिलाफ उसके पति और/या ससुराल वालों द्वारा किए गए क्रूरता के अपराध से संबंधित है।
  2. महिला कानूनी रूप से अपने पति से शादी करेगी
  3. एक महिला को किसी प्रकार की वैवाहिक क्रूरता के अधीन होना चाहिए
  4. पति या ससुराल पक्ष द्वारा किया जाएगा

यदि पति द्वारा ऐसा किया जाता है, तो उसे तीन साल तक की कैद और जुर्माने के साथ-साथ दंडित किया जा सकता है।

हम लीड इंडिया में, पारिवारिक कानूनों, तलाक के मामलों, घरेलू हिंसा, हिरासत के मामलों आदि में विशेषज्ञता रखने वाले अधिवक्ताओं के एक विस्तृत पूल की पेशकश करते हैं। हम आपको विभिन्न कानूनी मुद्दों के बारे में उचित और समय पर सलाह के साथ-साथ सहायता प्रदान करते हैं।

Social Media