भारत में 1875 में एक हिंदू सुधार आंदोलन, धार्मिक संगठन के रूप में शुरू हुआ था। यह संगठन मनाता है की सभी धर्मों का एक ही भगवान है। साथ ही, यह वेदों में लिखी गयी हर बात सही होने और उसके आदर्शों और प्रथाओं में विश्वास रखता है। इस संगठन को आर्य समाज के नाम से जाना जाता है। यह आर्य समाज मैरिज के रूप में अपनी खुद की अनोखी संस्कृति के द्वारा ही मैरिज कराने में विश्वास रखता है और उसी का पालन भी करता है। लेकिन कानून की नजर में इसे पूरी तरह से वैलिड लीगल मैरिज नहीं माना जाता है।
हालही में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर, कहा गया कि आर्य समाज के पास मैरिज सर्टिफिकेट इशू करने का कोई अधिकार यह ऑफिशियल अथॉरिटीज़ का काम है, जो रिलेटेड एक्ट्स और कानूनों की सुपरविज़न के तहत ही किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, कोर्ट ने आरोपी द्वारा नाबालिग लड़की की किडनेपिंग और रेप की कोशिश करने के आरोप के लिए मांगी गयी बेल एप्लीकेशन खारिज कर दी।
जिस लड़के पर आरोप लगाया गया है उसने कहा कि लड़की बालिग है और उन दोनों ने ‘आर्य समाज के मंदिर’ में शादी की थी और उनके पास शादी का सर्टिफिकेट भी था। हालाँकि, कम्प्लेन करने वाली लड़की की तरफ से यह बताया गया कि आरोपी लड़के ने एक कोरे कागज/प्लेन पेपर पर उसके जबरदस्ती साइन कराये और एक वीडियो भी रिकॉर्ड की। साथ ही, यह भी रिकॉर्ड में था कि आरोपी लड़के की बेल भी राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा आईपीसी के सेक्शन 363, 366A, 384, 376(2)(n) और पोक्सो एक्ट के सेक्शन 5(L)/6 के अगेंस्ट खारिज कर दी गई थी
इससे पहले भी इसी तरह के एक मटर को इशू करने पर, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आर्य समाज को स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रोविज़न का पालन करने के लिए कहा था।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
मैरिज सर्टिफिकेट केवल एक कम्पीटेंट बॉडी द्वारा इशू किया जा सकता है, जैसे हिन्दू मैरिज एक्ट और स्पेशल मैरिज एक्ट। आर्य समाज के पास शादी करने और मैरिज सर्टिफिकेट इशू करने का कोई अधिकार नहीं है।
कानून की अज्ञानता कोई बहाना नहीं है, यह जानते हुए कि बलात्कार जैसे जघन्य क्राइम को किसी भी प्रथा, विश्वास या धर्म का बहाना बना के माफ़ नहीं किया जा सकता है और ना ही किया जाना चाहिए। जहां आर्य समाज, आर्य समाज के मंदिर में अपने खुद के रीति-रिवाजों के साथ शादी को मजबूत करने में विश्वास करता है। किसी हाथ से लिखे गए कागज को आर्य समाज का मैरिज सर्टिफिकेट के रूप में नाम देकर, इस तरह की प्रैक्टिस से रेप केसिस को बढ़ावा देना भी एक क्राइम के ही बराबर है। और सभी, रेप जैसे क्राइम्स के खिलाफ कड़े कानूनों की बहुत जतदा जरूरत है, खासकर जब कोई व्यक्ति किसी निश्चित प्रथा या विश्वास के तहत कवर लेने की कोशिश करता है।
अगर कोई व्यक्ति अपने हस्बैंड या वाइफ के साथ, उनकी सहमति के बिना सेक्सुअल इंटरकोर्स करता है, तो उसे मैरिटल रेप के रूप में जाना जाता है। इस तरह के केसिस बहुत आम हैं, यह एक सीरियस सोशल प्रॉब्लम है और पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम भी है, जिस पर कभी ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। पुराने टाइम से ही यह सामाजिक रूप से देखा गया था, लेकिन कभी भी ठीक से एक्सप्लेन नहीं किया गया था कि क्या शादी का लाइसेंस रेप करने का लाइसेंस है, जहां हस्बैंड अपनी वाइफ को बिना किसी डर के अपनी वाइफ पर हावी हो सकता है और जबरदस्ती उसे सेक्सुअल रिलेशन्स बनाकर अपने कंट्रोल में रख सकता है। गैर-शारीरिक यौन बल और धमकी देना या जबरदस्ती सेक्सुअल रिलेशन्स बनाना अपराधियों के द्वारा विक्टिम को मजबूर करने के लिए यूज़ किये जाने वाले कुछ कॉमन टैक्टिस है। हालांकि, कानून का कोई भी मैरिज एक्ट इस तरह के जघन्य क्राइम्स को बिल्कुल बढ़ावा नहीं देता है।
इसी वजह से कि शादी कराने के लिए कानून बनाये गए हैं, ताकि ऐसी किसी सिचुएशन में जहां हस्बैंड या वाइफ को पीड़ित होने पर सुरक्षा दी जा सके। हालाँकि, अगर किसी की मान्यताएं या प्रथाएं उन्हें आर्य समाज के तहत शादी करने के लिए मजबूर करती हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं, लेकिन इसे कानून की नजर में वैलिड लीगल मैरिज नहीं माना जाएगा।