बेटी का रेप करने की कोशिश करने वाले शख्स का मर्डर करने वाली 70 साल की महिला को उम्रकैद

बेटी का रेप करने की कोशिश करने वाले शख्स का मर्डर करने वाली 70 साल की महिला को उम्रकैद

हाल ही में बुलंदशहर कोर्ट ने एक 70 साल की विधवा को 20 साल के लड़के का मर्डर का दोषी पाते हुए आजीवन/पूरी ज़िंदगी के लिए जेल की सज़ा सुनाई। महिला ने मर्डर इसीलिए किया क्योंकि साल 2010 में उस लड़के ने महिला की बेटी के साथ रेप करने की कोशिश की थी। साथ ही, राजेश्वर शुक्ला ने यह ऑब्ज़र्व किया कि महिला को अपनी बेटी पर अटैक करने से रोकने के लिए लड़के पर कई बार अटैक करने की जरूरत नहीं थी। 

केस के फैक्ट्स:

कोर्ट के सामने पुलिस ने बताया कि कस्तूरी देवी ने पुलिस को बयान दिया है कि उसने प्रवीण पर अटैक किया क्योंकि वह करीब आधी रात में उसके घर में घुसा और उसकी बेटी को पकड़ लिया। जैसे ही महिला ने देखा कि उसकी 20 साल की बेटी का रेप किया जा रहा है, उसने प्रवीण पर कुल्हाड़ी से अटैक दिया, अटैक की वजह से लगी चोटों के कारण प्रवीण की मौत हो गई। क्राइम होने के बाद कस्तूरी देवी ने यह एक्सेप्ट करते हुए कि उसने प्रवीण का मर्डर किया है, अनूपशहर थाने में सरेंडर कर दिया। केस के चश्मदीद  गवाह महिला का बेटा और बेटी ने बताया कि प्रवीण ने रेप की कोशिश की, जिसके बाद मां गुस्से में आ गई और उस पर अटैक कर दिया।

पूरी कार्यवाही करने में 11 साल का समय लगा। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृतक के गले के ऊपर ‘पांच गंभीर घाव’ होने का जिक्र था।

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जजमेंट:

  • कोर्ट ने माना कि महिला के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह अपनी बेटी को बचाने के लिए मृतक पर बार-बार अटैक करे।
  • साथ ही, कोर्ट को मर्डर के पीछे कोई साजिश लग रही है। कोर्ट ने ऑब्ज़र्व किया कि प्रवीण की गर्दन पर कई बार अटैक किया गया, जिससे उसकी ऑन द स्पॉट मृत्यु हो गई जबकि अगर महिला सिर्फ अपनी बेटी को बचना चाहती थी तो उसके लिए कम शक्ति ही काफ़ी थी।
  • यह एक पहले से प्लान की हुई साजिश लगती है क्योंकि फैमिली पहले बॉडी को घर के बाहर लेक्रर आई और मृतक की मौत के बाद मदद के लिए चिल्लाने लगे। 
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सेल्फ़-डिफेन्स का अधिकार:

सेल्फ़-डिफेन्स का मतलब ‘अपनी रक्षा का अधिकार’ होता है। रक्षा के अधिकार के प्रोविजन्स नीचे दिए गए हैं:

  • आईपीसी के सेक्शन 76 से 106 तक क्रिमिनल लायबिलिटी के कॉमन एक्सेप्शन्स का प्रोविजन्स है।
  • जब कोई व्यक्ति अपनी रक्षा करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति का मर्डर करता है तो सेक्शन 96 से 106 उसका बचाव करता है। हालांकि, आईपीसी के सेक्शन 99 में बताया गया है कि अपने बचाव का अधिकार केवल तभी अवेलेबल है जब व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर चोट की आशंका हो।
  • ऐसे केसिस जहां सेक्शन 100 के तहत अपने बचाव का अधिकार मौत की वजह भी बन सकता है-

i. अगर आपको लगता है कि अटैक से आरोपी की मौत हो जाएगी (जो अपने बचाव के अधिकार को यूज़ करता है)

ii. अगर लग रहा है कि अटैक से गंभीर चोट लगेगी। 

iii. रेप करने के इरादे से किया गया अटैक।

iv. अप्राकृतिक वासना को सेटिस्फाई करने के इरादे से किया गया अटैक।

v. किडनैप करने के इरादे से अटैक। 

vi. आरोपी को गलत तरीके से कैद करने के इरादे से अटैक करना ताकि वह अपनी रिहाई के लिए ऑफिसर्स से कांटेक्ट न कर पाए।

एक्सप्लनेशन-

उदाहरण के लिए, अगर एक व्यक्ति डंडे से दूसरे व्यक्ति पर अटैक करता है, और दूसरा व्यक्ति बदले में पहले व्यक्ति को पिस्तौल से गोली मारता है। तो इस सिचुएशन में, दूसरा व्यक्ति अपनी रक्षा के अधिकार का यूज़ नहीं कर सकता है। इस प्रकार, सेल्फ-डिफेन्स के अधिकार के तहत होने वाले अटैक के अगेंस्ट उससे ज़्यादा शक्ति का यूज़ नहीं किया जा सकता है।

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