स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 के तहत शादी की सूचना

स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 के तहत शादी की सूचना

हाल ही में, एस. सरथ कुमार v डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और एक अन्य केस में, मद्रास हाई कोर्ट ने देखा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 4 के तहत प्रदान की गई शर्तों और सेक्शन 5-13 में बताई गई प्रोसेस  जरूर फॉलो किया जाना चाहिए। इस प्रकार एक्ट के तहत शादी की रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन को एक्सेप्ट नहीं किया।

प्रेजेंट केस में, सेक्शन 5 के तहत प्रोसेस का उल्लंघन किया गया था जो कि “शादी करने की इच्छ्हा की सूचना देना” है। जज जीआर स्वामीनाथन की बेंच ने कहा, कि एक सीक्वेंस दिया गया है और इसी तरह की प्रोसेस को फॉलो किया जाएगा। प्रेजेंट केस में पार्टियों ने पहले शादी की और फिर एक्ट के सेक्शन 5 के तहत नोटिस दिया। जैसा कि सेक्शन 5 की भाषा में स्पष्ट रूप से कहा गया है, पिटीशनर ने स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत सुश्री लेदिया से शादी नहीं की थी। और इस प्रकार एक्ट के सेक्शन 4 के तहत प्रॉफ़िट्स नहीं उठा सकता है।

केस के फैक्ट्स:

  • पिटीशनर ऐस.सी कास्ट का था। उन्होंने सुश्री लेदिया से शादी की जो एक ईसाई/क्रिस्चियन थीं। उन्होंने लोकल पंचायत के अध्यक्ष/प्रेजिडेंट और एक राजनीतिक हस्ती की उपस्थिति में 10.06.2022 को शादी की।
  • बाद में, उन्होंने 17.06.2022 को स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 के तहत एक जॉइंट एप्लीकेशन फाइल की। 
  • हालांकि, रजिस्ट्रार ने कपल को बताया कि एप्लीकेशन फाइल नहीं हो पाया क्योंकि सुश्री लेदिया अभी 21 साल की होने वाली हैं।
  • जिसके परिणामस्वरूप, पिटीशनर ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कहा गया था कि एक्ट के सेक्शन 4 (सी) के तहत, दो व्यक्तियों के बीच शादी तब किया जा सकता है जब पुरुष 22 वर्ष का हो और महिला 18 वर्ष की हो।
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कोर्ट की ऑब्सर्वशन्स:

  • कोर्ट ने पाया कि कपल द्वारा की गयी शादी एक आत्म सम्मान से भरी शादी थी। 
  • हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 7-ए के तहत सुयामरियाथाई और सेरथिरुथ शादियां (सुधारवादी / स्वाभिमान विवाह) करने की परमिशन दी जाती हैं, हालांकि शादी दो हिंदुओं के बीच की जनि चाहिए।
  • जबकि प्रेजेंट केस में, सुश्री लेदिया एक क्रिस्चियन थीं। इस प्रकार, हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी संपन्न नहीं की जा सकती है। साथ ही इंडियन क्रिस्चियन एक्ट,1872 के तहत शादी को अनुष्ठापित नहीं किया गया था।

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जजमेंट:

  • कोर्ट ने कहा कि एक्ट के चैप्टर २ के तहत होने वाली शादी के लिए महिला की उम्र 18 साल और पुरुष की उम्र 21 साल होनी चाहिए।
  • हालांकि मौजूदा केस में 10.06.2022 को शादी हुई थी, जिसके बाद एक्ट के सेक्शन 5 के तहत नोटिस दिया गया था। 
  • पिटीशनर ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लेदिया से शादी नहीं की थी इसीलिए एक्ट के सेक्शन 4 के तहत बेनिफिट का दावा नहीं कर सकता।
  • कोर्ट ने एक्ट के सेक्शन 15 को भी एनालाइज किया, जिसमें अलग अलग तरीकों से शादी करने का प्रोविज़न है। 

सेक्शन 15 में कहा गया है कि- “अलग अलग तरीकों से किया गया शादी का रजिस्ट्रेशन – कोई भी शादी जो इस एक्ट की शुरुवात होने से पहले या बाद में की हुई है उसका स्पेशल मैरिज एक्ट, 1872 के तहत एक मजिस्ट्रेट ऑफ़िसर द्वारा इस चैप्टर में रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। भले ही निम्नलिखित शर्तें पूरी हों:

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….(डी) पार्टियों ने रजिस्ट्रेशन के समय इक्कीस साल की उम्र पूरी कर ली हो।”

  • क्योंकि शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत नहीं की गयी थी, यह एक्ट के सेक्शन 15 के दायरे में आता है, जिसमे रजिस्ट्रेशन के समय पार्टियों की उम्र 21 साल से ज्यादा होने पर शादी का रजिस्ट्रेशन का प्रोविज़न है। 
  • अत: यह फैसला लिया गया कि रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्रेशन अस्वीकार करने की वजह सही थी।
  • हालांकि, पिटीशनर के साथ सहानुभूति रखते हुए, कोर्ट ने पिटीशनर को एक्ट के तहत दी गयी प्रोसेस को फॉलो करने की सलाह दी, ताकि रजिस्ट्रार इस बेस पर रजिस्ट्रेशन से मना ना कर सके कि सुश्री लेदिया अभी 21 साल की नहीं हुई हैं
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