भारत में कुछ कानून/लॉ शादी के साथ-साथ डाइवोर्स लॉ को भी कण्ट्रोल करते हैं, इनमें भारतीय क्रिस्चियन मैरिज एक्ट, 1872, हिंदू मैरिज एक्ट, मुस्लिम मैरिज एक्ट, स्पेशल मैरिज एक्ट शामिल हैं। इस निम्नलिखित लेख में हम भारतीय कानून के तहत दिए गया डाइवोर्स के एक प्रकार म्यूच्यूअल डाइवोर्स के कांसेप्ट को समझेंगे –
कानून द्वारा दिया गया म्यूच्यूअल डाइवोर्स –
हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 –
सेक्शन 13बी के तहत आपसी सहमति की डेफिनेशन बताई गई है। प्रोविज़न के अनुसार, अलग दोनों पार्टनर्स एक साल से अलग रह रहे हैं और यह फैसला लिया है कि वे एक साथ नहीं रह सकते और उन्होंने अलग रहने का ऑप्शन चुना है, तो वे तलाक/डाइवोर्स ले सकते हैं।
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पर्सनल कानून और मुस्लिम महिला (तलाक पर सुरक्षा) एक्ट,1986-
1986 के एक्ट और पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम लोग एक कॉमन एग्रीमेंट बना कर डाइवोर्स के लिए अप्लाई आकर सकते है। मुस्लिम पर्सनल लॉ में तलाक के दो रूप हैं-
- मुबारक
- खुला
खुला या मुबारक के लिए कोई जस्टिफिकेशन/कारण देने की जरूरत नहीं है। खुला के केस में, हस्बैंड और वाइफ एक दूसरे पर इलज़ाम लगाए बिना डाइवोर्स लेने का फैसला करते हैं। भारत में, खुला और मुबारक शादी को ख़त्म करने का एक टिपिकल तरीका है। मुस्लिम्स लोगों में मुबारक द्वारा डाइवोर्स लेना आपसी सहमति से डाइवोर्स लेने के बराबर ही होता है –
- 1954 का स्पेशल मैरिज एक्ट
- 1955 का हिंदू मैरिज एक्ट
भारतीय क्रिस्चियन मैरिज एक्ट, 1872-
भारतीय डाइवोर्स एक्ट, 1869 भारत में क्रिस्चियन शादियों पर लागू होता है। एक्ट के सेक्शन X के तहत शादी को ख़त्म करने के प्रोविजन्स बताये गए है। दोनों पार्टी क्लॉज XA के तहत आपसी तलाक के लिए अप्लाई कर सकती हैं।
पारसी मैरिज और डाइवोर्स एक्ट –
सेक्शन 32बी म्यूच्यूअल डाइवोर्स को डिफाइन करता है। इस प्रोविज़न के अनुसार दोनों पार्टीज़ डाइवोर्स लेने के लिए तैयार होनी चाहिए और एक साल से एक दूसरे से अलग रह रही होनी चाहिए। साथ ही, दोनों पार्टियां एक साथ रहने में असमर्थ हों और अलग रहने का फैसला ले चुके हो।
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 –
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के सेक्शन 28 के अनुसार जुडिशियल मैरिज का प्रोविज़न है। दोनों पार्टियों को एक साथ मिलकर यह प्रस्तुत करना होगा कि वह एक साथ रहने में असमर्थ हैं और इसलिए अलग रह रहे हैं। जब शर्तें पूरी हो जाये और पिटीशन को एक्सेप्ट ना करने का कोई बेस ना हो तब कोर्ट म्यूच्यूअल डाइवोर्स का फैसला कर सकती है।
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आपसी तलाक की अनिवार्यता/इम्पोर्टेंस:
जीवनसाथी को अलग रहना चाहिए –
अपनी शादी को ख़त्म करने के लिए पिटीशन फाइल करने से पहले हस्बैंड वाइफ को कम से कम एक साल तक अलग रहना चाहिए। सेक्शन 13बी के तहत, “अलग रहने” का मतलब यह नहीं है कि पार्टियों को अलग-अलग जगहों पर शारीरिक रूप से अलग-अलग ही रहना चाहिए। बल्कि, इसका मतलब है कि वह एक ही जगह पर मैरिड कपल के रूप में नहीं रह रहे और इंडेपेंडेंटली/स्वतंत्र रूप से रह रहे हैं।
हस्बैंड वाइफ एक साथ नहीं रह सकते-
अक्सर एक शादी में पार्टनर एक समय के बाद एक-दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर पाते और साथ में शांति से नहीं रह पाते। तभी वे आपसी तलाक का फैसला करते हैं।
म्यूच्यूअल डाइवोर्स में लीगल सेटलमेंट को चुनने के फायदे –
- म्यूच्यूअल डाइवोर्स के केस में समझौता/सेटलमेंट करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह कानूनी रूप से लागू किया जा सकता है।
- इसलिए, अगर पार्टियों में से कोई एक शर्तों को नहीं मानता है, तो इसे कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन माना जाएगा।
- यह कई चिंताओं पर भी स्पष्टता/क्लीरेंस देता है, जो कि किसी रिश्ते के ख़त्म होने के बाद उभर सकती हैं।
- म्यूच्यूअल डाइवोर्स में आप बच्चे की कस्टडी या अपने बच्चों के मेंटेनेंस से रिलेटीड किसी भी अन्य मैटर पर अच्छे तरीके से बिना लड़े फैसला ले सकते हैं क्योंकि दोनों पार्टी अपने बच्चों के लिए बराबर जिम्मेदार हैं।
- यह इस बात को भी सुनिश्चित करता है कि रिलेशनशिप ख़त्म होने के दौरान और ज्यादा कड़वा ना हो।
- साथ ही हर परेशानी को दोनों पार्टियों द्वारा अच्छी तरह से आँका/कंसीडर किया जाता है और उस पर विचार किया जाता है, इसलिए दोनों पार्टियों के साथ-साथ कोर्ट के समय की भी बचत होती है।
अगर आपने अपने रिश्ते को बिना लड़े-झगड़े शान्ति से ख़त्म करने का फैसला किया है, और लीगल एडवाइस या हेल्प की तलाश में हैं, तो आप लीड इंडिया में हमसे संपर्क कर सकते हैं, क्योंकि हम आपको एडवोकेट्स की एक अनुभवी टीम प्रदान करते हैं, जिन्होंने म्यूच्यूअल डाइवोर्स के साथ साथ बाकि डाइवोर्स और चाइल्ड कस्टडी के केसिस से रिलेटेड मैटर्स को भी सफलतापूर्वक डील किया है।