एक कपल के बीच का मजबूत रिश्ता हमेशा एक अच्छी फैमिली बनाने में हेल्प करता है। इसलिए इस्लाम में आदेश दिया गया है कि कपल्स की शादी स्टेबल होनी चाहिए और शादी के दौरान किये गए वादों को तोड़ने भी मना है। शादी की शुरुवात में किसी भी शादी को तोड़ने का इरादा नहीं होता है, लेकिन भयानक घटनाओं की वजह से कई बार शादी का पवित्र बंधन भी टूट जाता है। मुस्लिम डाइवोर्स इस तरह के रिश्ते को ख़त्म करने का एक तरीका है।
मुस्लिम कानून के अनुसार, एक डाइवोर्स हस्बैंड-वाइफ के अपने फैसले से भी हो सकता है और कोर्ट द्वारा आर्डर देने पर भी हो सकता है। डाइवोर्स का तरीका चाहे जो भी हो, इसे सामाजिक मानदंडों/सोशल नॉर्म्स के रूप में एक्सेप्ट नहीं किया गया है और ना ही कभी सही माना जाता है। इस्लाम में डाइवोर्स को एक एक्सेप्शन के रूप में माना जाता है। हालाँकि, मुस्लिम कानून के तहत डाइवोर्स लेने को दो तरीकों में बांटा गया है:
- एक्स्ट्राजुडिशियल डाइवोर्स
- जुडिशियल डाइवोर्स
एक्स्ट्राजुडिशियल डाइवोर्स –
इस कैटेगरी में मुस्लिम कानून में डाइवोर्स को तीन प्रकारों में बांटा गया है:
हस्बैंड द्वारा डाइवोर्स –
शादी के कॉन्ट्रैक्ट में, हस्बैंड और वाइफ दोनों के पास आम तौर पर बराबर अधिकार होते हैं। हालाँकि, हस्बैंड का अधिकार, इस्लामी कानून के तहत वाइफ के अधिकार से कहीं ज्यादा है। हस्बैंड और वाइफ दोनों के पास, जब मन चाहें तब अपनी शादी को खत्म करने की पावर होती है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे हस्बैंड डाइवोर्स ले सकता है –
- डाइवोर्स : यह शब्द शादी के बंधन को तुरंत या धीरे-धीरे “ख़त्म करने” के बारे में बताता है।
- इला : वह सिचुएशन जहाँ एक हस्बैंड पूरे होश में अपनी वाइफ के साथ सभी रिश्तों को तोड़ने की कसम खाता है।
- ज़िहार : यह एक सोंच-समझ रखने वाले अडल्ट हस्बैंड का काम है जो अपनी वाइफ को अपनी माँ या किसी अन्य महिला से कम्पेयर करता है, जो निषिद्ध रिश्ते में शामिल है।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
वाइफ द्वारा डाइवोर्स :
हस्बैंड की सहमति के बिना वाइफ डाइवोर्स नहीं ले सकती। वास्तव में, उसे अपने हस्बैंड को डाइवोर्स देने का अधिकार है लेकिन उसके लिए वह अपने हस्बैंड से रिक्वेस्ट करती है कि तफ़वीज़ उनका रिश्ता तोड़ दे।
हालाँकि, जब एक हस्बैंड अपनी वाइफ पर बेवफा होने का झूठा आरोप लगाता हैं तब वह वाइफ का चरित्र हनन करना होता है । इस सिचुएशन में वाइफ के पास इन आधारों पर डाइवोर्स मांगने का अधिकार है।
आपसी सहमति से डाइवोर्स :
इसमें डाइवोर्स वाइफ और हस्बैंड दोनों की आपसी सहमति से लिए जाता है। मुस्लिम कानून के अनुसार, डाइवोर्स तभी दिया जाता है जब हस्बैंड-वाइफ दोनों अपने असंतोषजनक रिश्ते को खत्म करने और पर्मनेंट्ली अलग होने के लिए तैयार होते है।
जुडिशियल डाइवोर्स :
मुस्लिम मैरिज डीसोल्यूशन एक्ट, 1939 जुडिशियल आर्डर द्वारा भी शादी को तोड़ने की अनुमति देता है। इस एक्ट के अनुसार, एक महिला कोर्ट के आर्डर के माध्यम से एक्ट में बताये गए किसी भी आधार पर डाइवोर्स लेने की रिक्वेस्ट कर सकती है। एक्ट केवल उन वाइफ्स पर लागू होता है जिनकी शादी मुस्लिम कानून के अनुसार हुई है।
मुस्लिम मैरिज डीसोल्यूशन एक्ट, 1939 या मुस्लिम डाइवोर्स एक्ट के तहत महिलाओं को डाइवोर्स लेने का अधिकार दिया गया है, जिसके द्वारा एक मुस्लिम वाइफ निम्नलिखित आधारों पर अपने हस्बैंड से डाइवोर्स की मांग कर सकती है :
- हस्बैंड को लापता हुए 4 साल हो चुके हैं, जिसके द्वारा महिलाएं डाइवोर्स की मांग कर सकती हैं।
- हस्बैंड तीन साल से अपनी शादी के कर्तव्यों को पूरा नहीं कर रहा है।
- जिस महिला की शादी उसके पिता या किसी अन्य के द्वारा 15 साल की उम्र से पहले करा दी गयी थी, उसने 18 साल की उम्र से पहले उस शादी को एक्सेप्ट करने से मना कर दिया हो।
- हस्बैंड को कम से कम सात साल की जेल की सजा दी गई है।
- दो साल के लिए, हस्बैंड ने उसे इग्नोर किया और उसे भरण पोषण देने में भी असफल रहा है।
- हस्बैंड को कुष्ठ रोग/ है, जो एक गंभीर यौन रोग होता है, या दो साल से मानसिक रूप से बीमार है।
हालांकि, एक कुशल डाइवोर्स लॉयर से लीगल हेल्प लेना सबसे अच्छा है जो आपको ऐसी सिचुऎशन्स में मार्गदर्शन करा सकता है और आपके डाइवोर्स के केस में आपकी मदद कर सकता है। लीड इंडिया में आपकी मदद के लिए उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ मुस्लिम डाइवोर्स लॉयर की एक टीम है, जिनसे आप आसानी से संपर्क/कांटेक्ट कर सकते है।