भारत में दहेज के लिए होने वाली मृत्यु की संख्या क्या दर्शाती है?

भारत में दहेज के लिए होने वाली मृत्यु का स्तर क्या है?

भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) के तहत ”दहेज मृत्यु” या दहेज़ के लिए मर्डर करने की परिभाषा सेक्शन 304बी (1) में बताई गयी है, जिसमें लिखा है कि “जहां किसी महिला की जलने या शारीरिक चोट लगने की वजह से मौत होती है या उसकी शादी के सात साल के अंदर नार्मल सिचुऎशन्स के अलावा उसकी मृत्यु होती है और उसकी मृत्यु से ठीक पहले, उसके हस्बैंड या हस्बैंड के किसी रिश्तेदार द्वारा दहेज की मांग के लिए क्रूरता या उत्पीड़न किया गया था तो ऐसी मृत्यु को “दहेज मृत्यु” कहा जाएगा और हस्बैंड या रिश्तेदार को उसकी मौत की वजह माना जाएगा।”

संख्या क्या कहती है :

बारात में दहेज पूरे देश के लिए एक बहुत बड़ी परेशानी है, कड़े कानूनों के बावजूद भारत की रिपोर्ट्स हर साल सबसे ज्यादा दहेज से होने वाली मौतों से भरी रहती है। भारत में सन 2019 में 7.1 हजार मौतों दहेज की वजह से देखी गई थी। यह रिपोर्ट नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रस्तुत की गई थी और यह बताया गया था कि यह फिगर्स लगातार बढ़ रहे है, हर घंटे एक महिला दहेज की वजह से मौत की शिकार हो जाती है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

जुडिशियल सिस्टम :

दहेज की बुराई पर नज़र रखने के लिए बहुत से अलग-अलग कड़े कानून बनाए गए है, जैसे; IPC का सेक्शन 304B, IPC का सेक्शन 406, दहेज निषेध एक्ट, 1961 आदि। इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा के लिए, घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 भी लागू किया गया है। यह एक्ट विशेष रूप से दहेज से रिलेटिड केसिस को डील नहीं करता लेकिन अगर किसी महिला को उसके ससुराल में परेशान किया जाता है, उस पर हमला या क्रूरता की जाती है, तो वह इस एक्ट की हेल्प ले सकती है।

इसे भी पढ़ें:  हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत गुज़ारे भत्ते को ले कर क्या प्रावधान हैं?

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पवन कुमार v. हरियाणा राज्य के केस में मिसाल कायम करने के लिए फैसला सुनाया कि निम्नलिखित एलिमेंट्स मिलकर सेक्शन 304-बी आईपीसी का निर्माण करते हैं:

(1) किसी महिला की मृत्यु जलने, शारीरिक चोट लगने या किसी अप्राकृतिक सिचुएशन की वजह से हो;

(2) यह शादी के सात साल के अंदर हुआ हो;

(3) यह साबित हो कि महिला के मरने से ठीक पहले, उसके हस्बैंड या उसके किसी रिश्तेदार ने महिला के साथ क्रुएल्टी या उत्पीड़न किया था;

(4) क्रुएल्टी या उत्पीड़न दहेज की मांग से रिलेटिड हो।

आज भी समाज में दहेज लेना और देना एक्सेप्ट किया जाता है। लोग आज भी नकद पैसों और गिफ्ट्स के लेने-देने के नाम पर इस प्रथा के आधीन हैं और ऊपर बताये गए सभी कानूनों ने हमारे समाज में महत्व खो दिया है। 90 के फिगर्स से पता चलता है कि दहेज़ के लिए दुल्हनों की मौत में हर साल बढ़ोत्तरी हुई है, जिसमे से कई केसिस के फाइल ना होने की वजह से, अनगिनत मौतों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। 

केस क्या था?

केरल में 19 साल की सुचित्रा नाम की लड़की ने 21 जून, 2021 को सुसाइड कर ली क्योंकि उसके ससुराल वालों ने उसे शादी के सिर्फ 3 महीने के अंदर दहेज के लिए परेशान करना शुरू कर दिया था। 

कामेश पंजियार v. बिहार राज्य के केस में, कोर्ट ने इस प्रॉब्लम पर पर्सनली धयान दिया। विक्टिम अपीलकर्ता के घर के बरामदे में पड़ी हुई मिली थी, जहां उसके मुंह से खून की धार बह रही थी और गर्दन पर उसके साथ हुई हिंसा के स्पष्ट निशान थे। ऐसा लग रहा था कि विक्टिम को गला दबाकर जान से मार दिया गया था। कोर्ट ने डॉक्टर की राय, बरामद हुए सबूत और गवाहों की गवाही का स्पोर्ट किया कि महिला की मौत सामान्य सिचुऎशन्स में नहीं हुई है जैसा कि सेक्शन 304-बी में बताया गया है, और इसलिए यह “दहेज के लिए हुए मर्डर” का केस था। “

इसे भी पढ़ें:  आंकड़ें बताते है कि भारत में दहेज की बुराई किस हद्द तक फैली हुई है?

जमानत ना मिलने वाले कॉग्निजेबल ओफ्फेंसिस – 

दहेज के लिए मर्डर करना एक कॉग्निजेबल अपराध है। इस क्राइम के तहत अपराधी को जमानत ना मिलने का प्रोविज़न है। दहेज के लिए मर्डर करना एक सीरियस और बड़ा अपराध होता है और सामान्य रूप से आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है और पुलिस बिना किसी वारंट के कॉग्निजेबल अपराध करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।

इस तरह की बुराइयों को सपोर्ट ना करके और इस बुराई को खत्म करने के लिए सामाजिक क्रांति लाकर देश के युवा/यूथ इसे रोक सकते हैं। समाज को जागरूक होने की जरूरत है। ऐसे परेशानियों को केवल पुलिस और कानूनी व्यवस्था से कम नहीं किया जा सकता है। साथ ही, कानूनी की जानकारी देने वाले “कानूनी साक्षरता कार्यक्रम” भी शुरू किए जा सकते हैं, जहां महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाए।

अगर आप इस बुराई के शिकार हुए हैं तो लीड इंडिया प्रोसेस, कानूनों और सोल्युशन्स के माध्यम से आपका मार्गदर्शन करता है। हम कोर्ट से न्याय लेने में आपकी मदद कर सकते हैं क्योंकि इस सामाजिक बुराई से दूर होने का कोई शॉर्टकट नहीं है।

Social Media

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *