क्या रेप केस में अरेस्ट हुए व्यक्ति को बेल मिल सकती है?

क्या रेप केस में अरेस्ट हुए व्यक्ति को बेल मिल सकती है?

सबसे भयानक शब्दों में से एक, रेप, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को डर से कंपा देता है। इस भीषण और भयानक क्राइम को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए है। लेकिन समय के साथ, कुछ लोग इन कानूनों का यूज़ बदले की भावना से निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए करते है। वह निर्दोष लोगों की इज़्ज़त खराब करने और उनके मान-सम्मान को चोट पहुंचाने के लिए ऐसा करते है। 

वह अपनी नाराजगी की वजह से बदला लेने के लिए इसे एक हथियार के रूप में यूज़ करते है। समाज को शर्मसार करने के लिए हथियार के रूप में इन कानूनों का शोषण करने वालों से निर्दोषों की रक्षा करने के लिए क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 438 और 439 के तहत बेल और एंटीसिपेट्री बेल के कई बाय-लॉज़ और प्रोविजन्स है। 

हर दिन हमें आईपीसी के सेक्शन 376 की ताजा खबर सुनने को मिलती है कि अक्सर इतने कड़े कानूनों के बाद भी रेप हो जाता है, लेकिन यह भी बहुत जाना जाता है कि कई लोग बदला लेने के उद्देश्य से इसे आरोपी को दोषी ठहराने के लिए हथियार के रूप में यूज़ करते हैं।

लेकिन जो लोग रेप के झूठे केस में फंसकर लंबे समय के लिए जेल में बंद हो जाते हैं, उन्हें आईपीसी के सेक्शन 376 के तहत बेल की जरूरत होती है। ऐसे केसिस में बेल लॉयर ढूंढना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि रेप के केसिस में बेल मिलना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन एक अच्छे बेल लॉयर की हेल्प से आपको आसानी से बेल मिल सकती है। 

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आईपीसी के तहत रेप को इस तरह डिफाइन किया गया है – 

अगर निम्नलिखित सिचुऎशन्स में किसी व्यक्ति ने एक महिला के साथ सेक्सुअल रिलेशन्स बनाये है तो उसे पुरुष द्वारा रेप किया गया माना जायेगा। वह सिचुऎशन्स है –  

  • लड़की की मर्जी के खिलाफ/अगेंस्ट उसके साथ सेक्सुअल रिलेशन्स बनाना
  • लड़की की सहमति के बिना कोशिश करना
  • लड़की या उसके किसी प्रिय को चोट पहुंचने या मृत्यु का डर लड़की में पैदा करके, उसकी जबरदस्ती सहमति लेकर, उसके साथ सेक्सुअल रिलेशन्स बनाना
  • वह उसका हस्बैंड नहीं है यह लड़की को पता होने के बावजूद भी उसकी सहमति होना क्योंकि उसे लगता है कि वह लड़का उसका कानूनी हो चूका या होने वाला हस्बैंड है। 
  • लड़की की सहमति ऐसे समय पर लेना जब वह उसके परिणामों को समझने में असमर्थ है, या किसी हानिकारक पदार्थ का यूज़ करके जिससे वह नशे या मानसिक रूप से सहमति देने में एबल नही है।
  • अगर लड़की सोलह साल से कम उम्र की है तो उसकी सहमति से या सहमति के बिना सेक्सुअल रिलेशन्स बनाना क्राइम है। ऐसे केसिस में सेक्सुअल रिलेशन्स बनते ही रेप माना जाता है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

शादी का वादा करके बनाये गए सेक्सुअल रिलेशन्स को रेप नहीं माना जाता है। आरोपी अपने बचाव में खुद को सही साबित करने के लिए अपने फैक्ट्स बता सकता है कि एक साथ रहने के दौरान उन्होंने जो भी सेक्सुअल रिलेशन्स बनाये वह रेप नहीं बल्कि सहमति से किया गया था। 

एक बार लिव-इन कनेक्शन या रिलेशन बनने के बाद, कई सिचुऎशन्स आरोपी के फेवर में बदल जाती हैं। रेप केसिस में एफआईआर फाइल करने की कोई टाइम लिमिट नहीं है, जो कई जजमेंट्स द्वारा समर्थित है।

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रेप कानूनों का दुरुपयोग – 

कोर्ट्स ने देखा है कि वास्तविक/रियल रेप केसिस के अलावा, कुछ महिलाओं ने हाल ही में निर्दोष लोगों पर रेप का झूठा आरोप लगाया है ताकि उनकी इज़्ज़त को नुकसान पहुंचाया जा सके और अन्य गलत परिणाम हो सकें। ऐसे केसिस में आईपीसी का सेक्शन 376 एक सवालकर्ता की तरह काम करती है क्योंकि यह ऐसे क्राइम के लिए कड़ी सजा का प्रोविज़न करता है। 

कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि कुछ रीज़न हैं कि महिलाएं झूठा रेप का आरोप क्यों फाइल करती हैं, जिसमें ब्लैकमेल करके जबरदस्ती पैसे वसूलना, जबरदस्ती शादी करने के लिए ब्लैकमेल करना, बदले की भावना से इज़्ज़त खराब करना, आदि शामिल हैं। भारतीय संविधान में कुछ  बाय लॉज़ और क्लॉज़िज़ शामिल हैं।

रेप के झूठे आरोपों को गलत साबित करने का भार आरोपी पर होता है। आरोपी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 438 और 439 के तहत सेशन कोर्ट में बेल की मांग कर सकता है क्योंकि आईपीसी का सेक्शन 376 एक नॉन-बेलेबल क्राइम है। अगर कोर्ट बेल देने से इनकार करती है, तो सिचुएशन बदल जाने या चार्जशीट फाइल होने के बाद आरोपी फिर से अप्लाई कर सकता है।

इसलिए अगर आप रेप के झूठे केस में फंस गए हैं तो आपको बेल लॉयर ढूंढ़ने के लिए आपको बहुत मुश्किलों से गुजरना होगा, यहां हमने आपके संघर्ष को आसान बना दिया है। लीड इंडिया

में, हमारे लॉयर ऐसे केसिस में विशेष रूप से प्रशिक्षित और कुशल हैं। वह आपका मार्गदर्शन और हेल्प कर सकते हैं और आपको केस की गंभीरता के बारे में बता सकते हैं और तेजी से इसका सोल्युशन भी कर सकते है।

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