लव या इंटरकास्ट मैरिज के केस में इंटिमेशन लेटर कपल्स को सुरक्षा देता है और साथ ही पेरेंट्स को उनकी शादी के बारे में बताता है। ऐसे केसिस में, कपल अपने मैरिज सर्टिफिकेट साथ सभी जरूरी डिटेल्स लेटर में लिखवाकर अपने पेरेंट्स, पुलिस स्टेशन ऑफ़िसर और जिला सुपरिंटेंडेंट को भेज सकते है। इसे न्यूज़ पाइरस में भी पब्लिश/प्रकाशित किया जा सकता है। इसे एक लॉयर द्वारा तैयार करके भेजा जाना चाहिए। यह कपल के अगेंस्ट हुई झूठी कम्प्लेंट्स से भी उनकी सुरक्षा करता है।
कोर्ट मैरिज –
आज के दौर में भी अरेंज मैरिज की तुलना में लव मैरिज काफी कम होती है। ऐसे में इंटरकास्ट या लव मैरिज करने वाले कपल्स की रक्षा करना बहुत जरूरी है। लव या इंटरकास्ट मैरिज स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 द्वारा शासित होते हैं। जाति और धर्म के अलग-अलग होने के बावजूद, दो व्यक्तियों (सेम या अलग-अलग राष्ट्रों में रहने वाले) के बीच एक कोर्ट मैरिज हो सकती है। शादी का लाइसेंस लेने के लिए इच्छुक पार्टी मैरिज रजिस्ट्रार को सीधे आवेदन कर सकते हैं। स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के सेक्शन 16 में शादी के रजिस्ट्रेशन के प्रोसेस के बारे में बताया गया है।
नोटिस –
सबसे पहले, शादी की सूचना डिस्ट्रिक्ट के मैरिज रजिस्ट्रार को दी जानी चाहिए। इस अधिसूचना के जारी होने के समय से कम से कम 30 दिन पहले से कपल में से किसी एक पार्टनर को उसी जगह पर रहना जरूरी है। मैरिज रजिस्ट्रार द्वारा नोटिस को प्रकाशित/पब्लिश किया जाना चाहिए। नोटिस पब्लिश होने के 30 दिनों के बाद शादी की जा सकती है अगर उस शादी के होने से किसी करीबी को कोई वैलिड परेशानी नहीं है।
डाक्यूमेंट्स –
लव मैरिज के रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ डाक्यूमेंट्स की जरूरत होती है जो हैं:
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- आवेदन पत्र/एप्लीकेशन फॉर्म, दूल्हे और दुल्हन द्वारा साइन किया हुआ।
- दोनों पार्टनर्स की जन्मतिथि का प्रमाण, जैसे – मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, बिरथ सर्टिफिकेट आदि।
- दूल्हा और दुल्हन से अलग-अलग साइन किये हुआ अफिडेविट्स में निम्नलिखित जानकारी शामिल होनी चाहिए:
- वेरीफाई किया जाना चाहिए कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पार्टनर्स के एक दूसरे के साथ निषिद्ध संबंध नहीं होने चाहिए।
- दोनों पार्टनर्स के पासपोर्ट आकार के फोटो, जिनमें से दो को कानूनी रूप से एक ऑफ़िसर द्वारा अच्छी कंडीशन में प्रमाणित/ऑथेंटिकेट किया गया है।
- अगर दू पार्टनर्स में से किसी का डाइवोर्स हुआ है तो उसकी डाइवोर्स डिक्री की कॉपी
- विधवा या विधुर पार्टनर के केस में हस्बैंड या वाइफ का डेथ सर्टिफिकेट
सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी झूठी कंप्लेंट से कपल की सुरक्षा के लिए कई फैसले पास किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा एक सही लव मैरिज को सपोर्ट किया है और इसे जातिविहीन समाज की तरफ एक आंदोलन माना जाता है। लता सिंह v. उत्तर प्रदेश राज्य के केस में (2006) 5 एससीसी 475; 2006 (56) एसीसी 234, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि शादी का अधिकार भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 के तहत दिया गया एक ऑप्शन है। कोर्ट ने राज्य को कपल को सुरक्षा देने का भी आर्डर दिया था। इंटरकास्ट मैरिज धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने में मदद करते है।
2005 की सीमा v. अश्विन कुमार ट्रांसफर पिटीशन (सिविल) 291 में, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि शादी का रजिस्ट्रेशन का मतलब समझा जायेगा की कपल की शादी हो चुकी है। इसलिए, सभी धर्म के नागरिकों को अपनी शादी रजिस्टर करानी चाहिए। मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए राज्य और केंद्र सरकार को नियम-कायदे बनाने चाहिए। उन्हें मैरिज रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक स्पेशल ऑफ़िसर भी नियुक्त/हायर करना चाहिए।
शक्ति वाहिनी व् भारत संघ (यूओआई) और अन्य [AIR 2018 SC 1601] के कैसे में ऑनर किलिंग की प्रथा को गलत और बुरा ठहराया गया और इंटरकास्ट या इंटर रिलिजन मैरिज करने वाले कपल्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई सिफारिशें तय की गयी। जब दो अडल्ट्स एक-दूसरे को शादी के लिए चुनते हैं, तो उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए क्योंकि उन्हें संविधान के आर्टिकल 21 और 19 के तहत अपनी पसंद के पार्टनर से शादी करने का अधिकार है। यह कपल्स का मौलिक अधिकार हैं और इसका उल्लंघन होने पर एक व्यक्ति हाई कोर्ट में आर्टिकल 226 के तहत और सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 32 के तहत एक रिट पिटीशन फाइल कर सकता है।
इंटिमेशन लेटर शादी की सूचना देने के साथ-साथ कपल्स को झूठी कम्प्लेंट्स से बचाने में भी मदद करता है। अगर पेरेंट्स या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कोई झूठी कंप्लेंट फाइल की जाती है, तो मैरिज सर्टिफिकेट और इंटिमेशन लेटर इस बात का प्रमाण होगा कि कोई अपराध नहीं किया गया है और कपल के अगेंस्ट झूठी कंप्लेंट फाइल की गई है।