भारत में ज़्यादातर लोग अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा/एजुकेशन देना चाहते हैं, लेकिन भ्रष्ट प्रथाओं और भ्रष्टाचार/करप्शन ने एजुकेशन सिस्टम पर अटैक/आक्रमण कर दिया है।
आजकल की मॉडर्न एजुकेशन मानव विकास/डेवेलपमेंट सिखाने के बजाय केवल पैसा बनाने और पूंजी/कैपिटल निर्माण पर केंद्रित/फोकस करती है।
करप्शन की भूमिका ज्यादातर सरकारी ऑफिस, बिज़नेस ऑर्गनाईज़ेशन और पुलिस स्टेशन में देखी गई है, लेकिन इसकी जड़ें एजुकेशन सीसैटेम में भी फैली हुई हैं।
एजुकेशन सिस्टम में होने वाला करप्शन –
दुनिया का हर व्यक्ति एजुकेशन की वैल्यू के बारे में जानता है, लेकिन बात यह है कि करप्शन हमेशा एजुकेशन सिस्टम के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करता है। करप्शन ने एजुकेशन सिस्टम की जड़ों को बुरी तरह जकड़ लिया है जिसे वापस सही करना काफ़ी मुश्किल हो गया है।
यह करप्शन सबसे पहले स्कूल, कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए रिश्वत देने की तरफ इशारा करता है। साथ ही, अच्छे मार्क्स या ग्रेड लाने के लिए रिश्वत के रूप में पैसे देने ने एजुकेशन सिस्टम को बुरी तरह गिरा दिया है। स्टूडेंट्स को खराब गुणवत्ता वाली एजुकेशन और सही नॉलेज की कमी होने के पीछे सबसे बड़ा रीज़न यह करप्शन ही है।
हालाँकि सरकारी आर्गेनाईजेशन समय-समय पर ऐसी बुराइयों से डील करने के लिए नियम और कानून बनाते हैं। जिसकी वजह से कई इंस्टीटूशन्स खुद को सरकारी आर्गेनाईजेशन के साथ जोड़ने में असमर्थ होती हैं, क्योंकि वह सरकार द्वारा तय की गयी जरूरी शर्तों को पूरा नहीं कर पाते है।
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भारत में कितना करप्शन है?
हालही के कुछ सालों में कई प्राइवेट कॉलेजों ने ट्रेनड प्रोफेशनल्स और जरूरी बुनियादी ढांचे के बिना ही बहुत से अलग-अलग पाठ्यक्रम/कोर्सिस शुरू किए हैं। यह करप्ट इंस्टीटूशन्स एंट्रेंस टेस्ट, कोचिंग सेंटर आदि के माध्यम से पैसे कमाते हैं। साथ ही, एडमिशन के लिए बड़ी मात्रा में पैसों की मांग की जाती है, जिसे हर कोई वहन/अफ़्फोर्ड नहीं कर सकता है।
पेरेंट्स भी करप्शन का हिस्सा
जाने-अनजाने में पेरेंट्स भी इस करप्शन का हिस्सा बन रहे हैं। हर स्टूडेंट एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाना चाहता है। जो कड़ी मेहनत करते हैं, वे निश्चित रूप से वह प्राप्त करते हैं जो वे चाहते हैं, लेकिन कुछ कमजोर स्टूडेंट्स ऐसे मार्क्स लाने में असमर्थ हो जाते हैं, तो ऐसे स्टूडेंट्स के पेरेंट्स अपने बच्चे के एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाने की चाहत में इंस्टीटूशन्स को बड़ी रकम का भुगतान करके करप्शन को बढ़ावा देने में एक जरूरी रोल निभाते हैं, जो की बाकि काबिल स्टूडेंट्स को पीछे कर देता है।
यह मेहनती स्टूडेंट्स को कैसे प्रभावित करता है?
हर कोई एक जैसा नहीं होता है। कुछ लोग अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते है और अपने पेरेंट्स को गर्व महसूस कराते है। वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग बिना कोई पढ़ाई या म्हणत किये ही सिर्फ आनंद लेना चाहते हैं। और सबसे अनैतिक यह है कि वह अच्छे मार्क्स ले भी आते हैं या कभी-कभी तो टॉप भी कर लेते हैं।
रिज़ल्ट बदलने के लिए पैसे देकर किए गए भ्रष्टाचार की वजह से योग्य या काबिल स्टूडेंट्स की उमीदें टूट जाती है जिससे कई असामान्य या अप्राकृतिक पहलू सामने आते हैं। कभी-कभी ऐसे विक्टिम स्टूडेंट्स सुसाइड कर लेते हैं या उन्हें आगे ले जाने वाली सभी उमीदें खो देते हैं और कई बच्चे इसतरह के भेद भाव से भटक जाते है।
रिजल्ट में इस तरह का करप्शन मेहनती स्टूडेंट्स का हौसला तोड़ देता है और समान अवसरों/इक्वल ओपोर्च्युनिटीज़ के उनके अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।
ऐसे विक्टिम स्टूडेंट्स क्या कर सकते हैं?
जो स्टूडेंट्स बेहतर होने के योग्य हैं, लेकिन इस तरह के भ्रष्टाचार से दबे हुए हैं, उन्हें इन जरूरी टॉस को फॉलो करना चाहिए:
- आरटीआई: ऐसे भ्रष्ट कदाचार के शिकार स्टूडेंट्स आरटीआई की प्रोसेस के माध्यम से जानकारी मांग सकते हैं, जहां स्टूडेंट एक प्रतिष्ठित बोर्ड को आरटीआई भेज सकता हैं और उसी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता हैं।
- वेबसाइट पर कम्प्लेन: विक्टिम स्टूडेंट्स जिस बोर्ड से एग्जाम आयोजित हुआ है उसी एजुकेशन बोर्ड की वेबसाइट पर कम्प्लेन कर सकते हैं। या संबंधित अथॉरिटी को ईमेल के माध्यम से भी शिकायत कम्प्लेन कर सकते हैं।
- कोर्ट: साथ ही, मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए वह कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।
लीड इंडिया कैसे मदद कर सकता है?
लीड इंडिया के पास सबसे अच्छे लीगल एक्सपर्ट्स हैं जो संबंधित अथॉरिटी को आरटीआई फाइल करने में आपकी मदद कर सकते है। या संबंधित अथॉरिटी को कम्प्लेन या नोटिस भेजने में भी आपकी मदद कर सकते है। अपने मौलिक अधिकार के उल्लंघन के लिए आप रिट पिटिशन फाइल करने में भी हमारी मदद मिल ले सकते है।