वीमेन सेल में कम्प्लेन फाइल करने का प्रोसेस क्या है?

वीमेन सेल में कम्प्लेन फाइल करने का प्रोसेस क्या है?

एक व्यक्ति मौखिक, लिखित या ऑनलाइन किसी भी रूप में शिकायत/कम्प्लेन फाइल करा सकता है, जैसे भी वह उचित और आरामदायक समझता है। महिला आयोग या वीमेन कमीशन (Crime against Women Cell) महिलाओं के उन अधिकारों को दिलाने का काम करती है जिनसे वह वंचित रह गयी हैं या उनके साथ अन्याय हुआ है। वीमेन कमीशन 3 स्तर/लेवल से आई हुई सभी कम्प्लेंस से डील करता है। वह है – 

  1. जिला स्तर/ डिस्ट्रिक्ट लेवल वीमेन कमीशन 
  2. राज्य स्तर/ स्टेट लेवल वीमेन कमीशन 
  3. राष्ट्रीय स्तर/ नेशनल वीमेन कमीशन

जांच/इन्वेस्टीगेशन:

कमीशन में फाइल हुई सभी शिकायतों पर किसी भी प्रकार का ऐक्शन लेने से पहले कम्प्लेन की जांच की जाती है कि शिकायत सही है या गलत। साथ ही, कुछ सिचुऎशन्स में कमीशन द्वारा कम्प्लेंस को खारिज कर दिया जाता है। वह सिचुऎशन्स है:

  1. अगर शिकायत अस्पष्ट है या शिकायत करने का कोई उद्देश्य अमझ नहीं आ रहा है
  2. अगर शिकायत बेतुकी है या शिकायत करने का कोई आधार नहीं है
  3. अगर शिकायत गुमनाम है मतलब शिकायत किसने की है यह नहीं चल रहा बतया गया है।
  4. अगर केस सिविल नेचर का है या कोई बहुत भयंकर क्राइम नहीं हुआ है।
  5. अगर केस कोर्ट के अधीन है।
  6. ऐसी शिकायतें जो जिला या राज्य कमीशन के तहत पेंडिंग हैं। राष्ट्रीय कमीशन द्वारा खारिज कर दी जाती है।
  7. ऐसी कम्प्लेंस जो महिलाओं के अधिकारों के तहत नहीं आती है।

प्रोसेस:

वीमेन सेल में कम्प्लेन होने के बाद एक कम्प्लेन पर निम्नलिखित तरीकों से काम किया जाता है:

  1. सबसे पहले हो रही इन्वेस्टीगेशन पर ठीक तह से नज़र रखी जाती है।
  2. छोटे लेवल के विवादों या डिस्प्यूट्स को काउंसलिंग के द्वारा सॉल्व करने की कोशिश की जाती है।
  3. जघन्य और गंभीर अपराधों के लिए, एक इन्क्वारी कमिटी बनाई जाती है। फिर यह कमिटी केस से रिलेटिड जरूरी सुबूतों को इक्कठा करके अपने पॉइंट ऑफ़ व्यू के साथ अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत/सबमिट करती है।
  4. शिकायतों के आधार पर कई कम्प्लेंस को संबंधित राज्य, राष्ट्रीय या मानवाधिकार कमीशन के पास भेज दिया जाता है और कुछ कम्प्लेंस से निचले लेवल पर डील किया जाता है।
  5. सेक्सुअल हैरेसमेंट से रिलेटिड कम्प्लेंस को आंतरिक समिति/ इंटरनल कमिटी के द्वारा सॉल्व किया जाता है।

जजमेंट:

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वीमेन सेल केवल दोनों पार्टियों के बीच सुलह कराने की कोशिश कर सकता है, वो भी एफआईआर फाइल होने से पहले ही किया जा सकता है। अगर केस की एफआईआर फाइल कर दी जाती है तो वीमेन सेल का उस केस में रोल खत्म हो जाता है। वीमेन सेल के पास किसी भी व्यक्ति को ज़बरदस्ती या धमकी देकर उपस्थिति कराने या बुलाने का कोई अधिकार नहीं है। यह केवल एक समझौताकारी सेल की तरह काम करता है, जहां पार्टीज़ की सहमति से उनके बीच समझौता कराने की कोशिश की जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति इस सेल की मदद नहीं लेना चाहता, तो ऐसा करने के लिए उससे जबरदस्ती नहीं की जा सकती है। यह भी कहा गया है कि भविष्य में वीमेन सेल जांच के उद्देश्य से पार्टियों को समन जारी करने के बजाय सुलह के उद्देश्य से रिक्वेस्ट लेटर भेजकर उनसे उपस्थित होने की मांग करेगा।

वीमेन सेल और पुलिस:

कमीशन का कहना है कि “कभी-कभी लोग कहते हैं कि लिखित कानूनी नोटिस को खत्म किया जा सकता है क्योंकि यह तो सिर्फ सलाह या काउंसलिंग है, हम केवल हस्बैंड और वाइफ के बीच वैवाहिक मुद्दे/मैट्रीमोनिअल मैटर्स को समझने की कोशिश कर रहे हैं, आदि। दरसल, परेशानी यह नहीं है कि कई पुलिस ऑफिसर्स, हस्बैंड्स और उनके परिवारों के मन और भावनाओं का टेस्ट करने के लिए वीमेन सेल की कार्यवाही का यूज़ करते है, बल्कि परेशानी यह है कि वह रिश्वत लेने के इरादे से ऐसा करते है।

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डाइवोर्स की कार्यवाही के दौरान वीमेन सेल कैसे सुरक्षा करता है?

सेल यह सुनिश्चित करता है कि इन्वेस्टीगेशन निष्पक्ष रूप से की जाए और विक्टिम व्यक्ति को कम्प्लेन वापस लेने के लिए मजबूर ना किया जाए। इसी तरह डाइवोर्स की कार्यवाही के दौरान अगर किसी महिला को धमकी दी जाती है तो वह ‘महिला आयोग/राष्ट्रीय महिला कमीशन’ के 24/7 हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से मदद के लिए संपर्क कर सकती है।

एनसीडब्ल्यू की पावर्स :

एनसीडब्ल्यू (National Commission for Women) के पास यह निम्नलिखित पावर्स होती है –

  • भारत के किसी भी हिस्से से किसी भी व्यक्ति को समन करना और बुलाने के लिए बाध्य करना। 
  • एविडेंस के लिए डाक्यूमेंट्स मंगवाना।
  • अफिडेविट्स पर सबूत इकठ्ठा करना। 
  • कोर्ट से किसी भी सार्वजनिक/पब्लिक रिकॉर्ड को मंगाने का अनुरोध करना। 
  • गवाह और डाक्यूमेंट्स को एग्ज़ामिन करना या जांच करना। 
  • जरूरत के अनुसार कोई भी अन्य रेक्विरमेंट। 

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