कोर्ट मैरिज रद्द करने की सबसे आसान प्रक्रिया क्या है?

कोर्ट मैरिज रद्द करने की सबसे आसान प्रोसेस क्या है?

दोनों पार्टियों (पार्टनर्स) को यह समझना होगा कि वास्तव में शादी के प्रमाण पत्र/मैरिज सर्टिफिकेट को रद्द करने का कोई बहुत आसान तरीका नहीं है, इसकी एक विशेष प्रक्रिया होती है जिसमे आपको वांछनीय साक्ष्यों को बताना पड़ेगा और जो न्यायकर्ता को उचित एवं समुचित लगे और वो आपके विवाह विच्छेद (तलाक) करने के लिए आदेश दे सके। स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 25 (1) के तहत कोर्ट मैरिज को अमान्य करने के लिए पिटीशन फाइल की जा सकती है अगर शादी को अमान्य घोषित करने के लिए पर्याप्त वजह/वैलिड रीज़न हैं।

जब शादी करने वाले पार्टनर्स में से कोई एक पार्टी अस्वस्थ मन या मानसिक रूप से फिट ना होने की वजह से शादी के लिए अपनी वैलिड/वैध सहमति देने में असमर्थ था, तो शादी को शून्य (null and void) माना जाएगा और इस आधार पर मैरिज सर्टिफिकेट रद्द किया जा सकता है।

शादी तोड़ने का दूसरा तरीका यह है कि कपल को कोर्ट से डाइवोर्स लेना पड़ता है। एक बार जब डाइवोर्स की डिक्री का आर्डर कोर्ट द्वारा पास कर दिया जाता है, तो व्यक्ति को दोबारा शादी करने का अधिकार होता है और यह संभावना है कि स्पेशल मैरिज एक्ट या हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत किया जाता है।

परिस्थितियां

दूसरी सिचुएशन यह हो सकती है कि डाइवोर्स के बिना ही पार्टनर दूसरी शादीकर सकते है अगर उनके रिवाज या धर्म में इसे वैलिड माना जाता है। शादी व्यक्तिगत/पर्सनल कानूनों के तहत संपन्न होती हैं और संविधान की नज़र में दूसरी शादी को कानूनी रूप से वैलिड नहीं माना जाता हैं।

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एक शादी जो हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के लागू होने के बाद की गयी है, वह केवल इस एक्ट के सेक्शन 13 में बताये गए किसी भी आधार पर डाइवोर्स की डिक्री द्वारा ही ख़त्म की जा सकती है। जब तक एक्ट के तहत एक शादी ख़त्म नहीं हो जाती, तब तक हस्बैंड-वाइफ में से कोई भी दूसरी शादी नहीं कर सकता है।

इसे केवल भारतीय कानून के कोर्ट में डाइवोर्स के माध्यम से रद्द किया जा सकता है।

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शादी को रद्द कराना

मैरिज सर्टिफिकेट को रद्द नहीं किया जा सकता है, उसे रद्द करने का कोई प्रोविज़न नहीं है। एक बार मैरिज रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस पूरी होने के बाद, इसे कानूनी रूप से वैलिड शादी माना जाएगा। इसलिए सर्टिफिकेट को रद्द नहीं किया जा सकता है।

मैरिज सर्टिफिकेट को रद्द करने के लिए आपको एक वकील को हायर करके उसकी मदद लेने की जरूरत है। वकील के द्वारा डाइवोर्स की डिक्री के लिए पिटीशन फाइल करने की जरूरत होती है।

मैटर की जटिलता, गवाहों और डाक्यूमेंट्स की उपलब्धता जैसे अलग-अलग फैक्टर्स के आधार पर शादी को रद्द करने में कुछ महीनों से लेकर कई साल लग सकते हैं।

कपल का अलग होना भी डाइवोर्स के बराबर ही है

स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के सेक्शन 28 और हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के सेक्शन 13बी यह तय करते है कि आपसी सहमति से डिवोर्स लेने के लिए अप्लाई करने के लिए हस्बैंड-वाइफ एक वर्ष से अलग रह रहे होने चाहिए। 

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शादी का अपरिवर्तनीय टूटना

शादी के रिश्ते का इस तरह से टूटना या दोनों पार्टनर्स के बीच इस तरह की परिस्थितियां की रिश्ते के वापस जुड़ने की कोई गुंजाईश ही ना हो, इसे शादी के अपरिवर्तनीय टूटने के रूप में समझा जाता है। कानून की नजर में यह डाइवोर्स लेने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है। हालाँकि अगर शादी का अपरिवर्तनीय टूटना, तलाक लेने के अन्य आधार जैसे क्रूरता या धोखा देना आदि के साथ जुड़ा हुआ है, तो डाइवोर्स लिया जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि केवल शादी का अपरिवर्तनीय टूटना डाइवोर्स लेने की वजह नहीं हो सकती है।

इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि मैरिज सर्टिफिकेट को किसी भी परिस्थिति में रद्द नहीं किया जा सकता है और इसे केवल डाइवोर्स के माध्यम से ही रद्द किया जा सकता है। ऊपर बताये गए तरीके केवल हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के तहत हुई शादी पर ही लागू होती है।

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