मानहानि का मुकदमा किये जाने पर अक्सर बड़े मुआवजों को देखकर व्यक्ति परेशान हो जाता है। मानहानि का मुकदमा आई पी सी की धारा 499 के किया जाता है, और आई पी सी की धारा 500 के तहत कार्यवाही की जाता है। लेकिन क्या हो यदि आप पर किसी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया तो आप क्या कदम उठा सकते हैं?
आज हम इस लेख में यह समझने का प्रयास करेंगे कि यदि आप पर किसी ने मानहानि का मुकदमा कर दिया हो तो आप मानहानि के मुकदमे से कैसे बच सकते हैं? आइये समझते हैं:
सब से पहले हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि शिकायतकर्ता ने जो नोटिस आपको भेजा है उसे ध्यान पूर्वक पढ़े। इस बात का पता लगाएं कि वादी ने आख़िर आपकी किस बात को आपत्ति जनक मानते हुए मानहानिकारक समझ लिया है। नोटिस को ध्यान से पढ़ कर इस बात का पता लगाया जाना बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही इस बात पर भी ध्यान दें कि नोटिस का जवाब देने की समय सीमा क्या है? ये महत्वपूर्ण होता है और इस पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
उन सभी साक्ष्यों को एकत्र करें जो इस से सम्बंधित हों। अपने सोशल मीडिया हैंडल्स, अपने ई मेल इत्यादि को खंगाले और साथ ही यह भी देखें कि क्या सच में आपने किसी के प्रति मानहानि कारक कथन प्रकाशित किया है? अपने फैक्ट चेक नोट्स बनाएं और इन्हें ड्राफ्ट के साथ रख कर तैयारी करें।
चूंकि मानहानि का मुकदमा आपराधिक प्रवृत्ति में दायर किया गया होगा इस हेतु अगला कदम आपकी ओर से यह होना चाहिए कि आप एक अच्छे वकील से मिल कर उन्हें अपनी सारी बातें बताएं। इस के बाद आप और आपका वकील मिल कर मानहानि से बचाव से संबंधित कुछ प्रावधानों पर गौर करें और यह देखें कि क्या आपका केस इस मामले में आता है?
मानहानि में ऐसे कई बचाव हैं जिनके तहत केस आपके पक्ष में हो सकता है। सबसे पहले मानहानि के लिए निश्चित अनिवार्यता को देखे और पता करें कि क्या आपका दिया हुआ बयान मानहानि के अंतर्गत आता है?
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मानहानि के लिए अनिवार्य बातें हैं:
- कथन उसी व्यक्ति को संबोधित हो जिसने वाद दायर किया है।
- कथन अपमान जनक है या नहीं?
- कथन प्रकाशित है या नहीं?
मानहानि के मुकदमे से बचाव लिए अपने वकील के साथ मिल कर कुछ बचाव तलाशें जिनके माध्यम से आप मानहानि का मुकदमा जीत सकते हैं, वे बचाव इस प्रकार से हैं:
- सत्यता: इस बात की पुष्टि करने का प्रयत्न करें कि जो बयान आपने दिया है वह सत्य है। और इसे न्यायालय के समक्ष सिद्ध करें।
- राय बनाना: अपने दिये हुए कथन पर विचार करें और देखें कि क्या यह एक प्रकार की राय थी? यदि यह राय थी तो इसे न्यायालय के समक्ष सिद्ध कर मानहानि के मुकदमे से बचा जा सकता है।
- माफ़ी: अपने मानहानिकारक कथन को वापस लेकर यदि माफ़ी मांग ली जाए तो यह भी एक बचाव हो सकता है। इस से मानहानि के मुकदमे से बचाव की संभावना रहती है।
इस के अलावा यह भी देखें कि कहीं आपका बयान विशेष अधिकारों की श्रेणी में तो सम्मिलित नहीं है यदि है तो आप मानहानि के मुकदमे से बच सकते हैं।
वो विशेष अधिकार जो मानहानि के दायरे में नहीं आते हैं वे हैं:
- अदालती कार्यवाही के दौरान दिया गया कथन।
- संसदीय कार्यवाही में दिया गया बयान।
- राज्य संचार से जुड़े कथन।
मानहानि के मुकदमों से बचाव के लिए आप मध्यस्थता और समझौते का सहारा भी ले सकते हैं जिनसे भी मानहानि के मुकदमे से बचाव सम्भव है।
समझौता-वार्ता आप और वादी अपने वकीलों के साथ मिलकर बातचीत से समझौते पर आते हैं जहाँ हो सकता है वादी आपसे कुछ शुल्क मांगे या एक सार्वजनिक माफ़ी के साथ अपना केस वापस लेने पर मंज़ूर हो जाए। समझौते के साथ ही आप मानहानि के लंबे मुकदमे से बच सकते हैं।
मध्यस्थता के माध्यम से भी मानहानि के मुकदमे से बचाव सम्भव है। मध्यस्थता के लिए दोनों पार्टियों के बीच मध्यस्थ एक ऐसे प्रस्ताव के साथ आता है जो दोनों ही पार्टियों को संतुष्ट करने का प्रयास करता है जिसके माध्यम से मानहानि के मुकदमे से बचाव किया जा सकता है।
लीड इंडिया में अनुभवी वकीलों की एक पूरी टीम है यदि आपको किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता चाहिए तो लीड इंडिया से सम्पर्क करें।