मैरिज सर्टिफिकेट कैसे बनवा सकते हैं?

मैरिज सर्टिफिकेट कैसे बनवा सकते हैं?

विवाह का प्रमाण पत्र विवाह के पंजीकरण के पश्चात दिया जाने वाला प्रमाण पत्र है। यह प्रमाण पत्र न सिर्फ़ विवाह के पंजीकरण को दर्शाता है बल्कि इसके साथ ही कई प्रकार की सुविधाएं भी युगल को प्रदान करता है। साल 2006 में ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक बयान में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विवाह प्रमाण पत्र को ज़रूरी बताया था।

विवाह का पंजीकरण कराने के पश्चात विवाह का प्रमाण पत्र युगल को मैरिज रजिस्ट्रार के द्वारा प्रदान किया जाता है। आइये आज इस  लेख के माध्यम से समझते हैं कि मैरिज सर्टिफिकेट किस प्रकार बनवाया जाता है?

भारत मे विवाह करने के लिए आम तौर पर  हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 और विशेष विवाह अधनियम का उपयोग किया जाता है। इन दोनों ही अधिनियम के माध्यम से विवाह का पंजीकरण किया जा सकता है। हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत हिन्दू, जैन ,बौद्ध, सिख द्वारा आने विवाह का पंजीकरण कराया जा सकता है। विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत किसी भी धर्म के साथ ही साथ एनआरआई (NRI) के विवाह का भी पंजीकरण सम्भव होता है। 

हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत विवाह के पंजीकरण हेतु लड़का एवं लड़की को मैरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय में जा कर किसी भी कार्य दिवस पर एक आवेदन करना होता है। आवेदन किये जाने के आवेदन फॉर्म में लड़के एवं लड़की दोनों के हस्ताक्षर के साथ ही सभी आवश्यक दस्तावेजों को भी संलग्न करना होता है। मैरिज रजिस्ट्रार द्वारा सभी दस्तावेज़ों के सत्यापन के बाद एक नियत तिथि पर विवाह का पंजीकरण कर दिया जाता है। आगे हम जानेंगे कि मैरिज सर्टिफिकेट कैसे बनवाया जाता है?

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हिन्दू विवाह अधिनियन के अंतर्गत विवाह के पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजों को भी ले जाना बहुत ज़रूरी है।

आइये समझते हैं विवाह पंजीकरण और विवाह प्रमाण पत्र के क्या फायदे हैं?

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विवाह पंजीकरण का महत्व

विवाह प्रमाण-पत्र किसी भी विवाह को प्रमाणित करने के लिए आधिकारिक दस्तावेज़ होता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप विवाह के बाद अपना उपनाम नहीं बदलना चाहते हैं तो इस प्रमाण-पत्र की सहायता से आप को विवाह से जुड़े हुए सभी वैधानिक अधिकार और फ़ायदे प्राप्त कर सकते हैं। 

विवाह प्रमाण-पत्र की उपयोगिता संयुक्त बैंक खातों के खुलवाने में , जीवन बीमा इत्यादि के दौरान भी समझ आती है। यदि विवाहित युगल में से कोई भी एक व्यक्ति प्रशासनिक सेवा में है तो इस प्रमाण पत्र के माध्यम से उसे कई प्रकार की सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं।

भविष्य में यदि विवाहित युगल में से किसी के भी द्वारा धोखाधड़ी का प्रयास किया जाता है तो पुलिस में शिकायत के दौरान भी इस प्रमाण-पत्र की उपयोगिता रहती है। न्यायिक मामलों में मसलन तलाक या फिर मेंटनेंस के वाद के लिए भी विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है।

कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की प्राप्ति के लिए भी इस प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है। जैसे कि पासपोर्ट या वीज़ा।

यह जानना भी आवश्यक है कि विवाह को पंजीकृत किस अधिनियम के अंतर्गत किया जा सकता है। भारत में विवाह के पंजीकरण के लिए दो अधिनियम प्रचलन में हैं। हिन्दू मैरिज एक्ट,1955 और स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954। हिन्दू मैरिज एक्ट ,1955 के अंतर्गत हिंदुओ के विवाह का पंजीकरण किया जा सकता है। वहीं स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत भारत के किसी भी नागरिक का विवाह पंजीकृत किया जा सकता है।

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विवाह के पंजीकरण के लिए भी कुछ ज़रूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। जिन के बग़ैर किसी भी विवाह का पंजीकरण नहीं किया जा सकता है। आइये समझते हैं

विवाह के पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज़ कौन से हैं?

विवाह पंजीकरण हेतु आवश्यक दस्तावेज़

  1. पति एवं पत्नी के द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन पत्र।
  2. पति एवं पत्नी का आयु प्रमाण पत्र।
  3. पति एवं पत्नी का आवसीय प्रमाण पत्र।
  4. यदि विवाह स्थल मंदिर रहा हो तो विवाह की तस्वीरों के साथ मंदिर के पुजारी के द्वारा दिया हुआ प्रमाण-पत्र।
  5. यदि विवाह किसी अन्य देश के व्यक्ति के साथ संपन्न हुआ हो तो उस व्यक्ति के देश के दूतावास द्वारा जारी किया गया अनापत्ति प्रमाण-पत्र या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट।
  6. विवाह के बाद यदि पत्नी द्वारा उपनाम बदलने की इच्छा प्रकट की जाती है तो पति -पत्नी द्वारा गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर के साथ ही शपथ-पत्र।
  7. सभी दस्तावेज़ों पर राजपत्रित अधिकारी की मुहर होना आवश्यक।

इन सभी दस्तावेजों के साथ आप अपने विवाह का पंजीकरण बिना किसी परेशानी के करा सकते हैं। इन दस्तावेजों के अलावा पंजीकरण की प्रक्रिया को भी समझना जरूरी है आइये समझते हैं कि विवाह के पंजीकरण के लिए कौन सी बातें ज़रूरी हैं:

विवाह के पंजीकरण प्रक्रिया से संबंधित ज़रूरी बातें

  1. क्षेत्र के जिलाधिकारी या मैरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त करें।
  2. आवेदन पत्र को भरते वक़्त सावधानी बरतें। हर पूछी गई जानकारी का सही जवाब भरें।
  3. यदि विवाह के बाद उपनाम में किसी प्रकार का बदलाव अपेक्षित है तो आवेदन में नया नाम ही अंकित करें साथ ही नाम बदल जाने का प्रूफ भी दें।
  4. अपने किन्हीं तीन परिजन,मित्र या किसी अन्य करीबी को  साक्ष्य बनाते हुए अपने आवेदन पर उनके हस्ताक्षर करवाएं। आवेदन में साक्ष्यों की जानकारी मसलन उनका पता, आप से सम्बन्ध इत्यादि भरना भी अनिवार्य है। 
  5. सभी दस्तावेजों के साथ आवेदन को पंजीकरण कार्यालय में जमा करा दें। सभी दस्तावेजों के परीक्षण के बाद उन पर सक्षम अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर कर मुहर लगा कर उनकी फोटोकापी प्रतियां कार्यालय में रखी जाएगी।
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दिल्ली राज्य ने साल 2014 में राजस्व विभाग के तत्वाधान में तत्काल विवाह प्रमाण पत्र की सुविधा शुरू की थी। इस सुविधा के अंतर्गत दिल्ली राज्य में एक ही दिन में विवाह से संबंधित सभी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। इस विवाह में 10,000 रुपये की राशि लगती है जिसे जमा करने के बाद कानूनी रूप से विवाह संपन्न होता है साथ ही विवाह के पंजीकरण का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया जाता है।

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