रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट कराने का क्या फायदा है?

रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट कराने का क्या फायदा है?

एक रेंट एग्रीमेंट किसी भी विवाद या किसी भी पक्ष द्वारा किए गए किसी भी उल्लंघन के मामले में दोनों पक्षों की रक्षा करने में मदद करता है। यह मालिक की संपत्ति को सुरक्षा प्रदान करता है और किरायेदारों को मालिक की गैरकानूनी मांगों से भी बचाता है। एक अच्छी तरह से तैयार किए गए किरायेदारी समझौते में सभी आवश्यक खंड शामिल होते हैं जैसे कि पार्टियों का नाम किरायेदारी की अवधि, किराये की राशि, सुरक्षा जमा, आदि। इसलिए, हस्ताक्षर करने से पहले किरायेदारी को समझना महत्वपूर्ण है।

किसी भी रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट से कई प्रकार के फायदे होते हैं। जो मकान मालिक और किराएदार के लिए आवश्यक होता है। आइये आज इस आलेख के माध्यम से हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि एक रजिस्टर्ड रेंट अग्रीमेंट से क्या फायदे होते हैं?

एक रेंट एग्रीमेंट मकान मालिक और किरायेदार के बीच कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है। यह मकान मालिक और किरायेदार द्वारा सहमति से किरायेदारी के सभी विवरणों को निर्दिष्ट करता है।

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किसी भी रेंटएग्रीमेंट के फायदे जानने से पूर्व हमें यह भी समझना होगा कि एक

रेंट एग्रीमेंट के आवश्यक तत्व कौन-कौन से होते हैं?

  1. रेंट एग्रीमेंट में किरायेदार और मकान मालिक दोनों के कानूनी नाम होने चाहिए। 
  2. इसमें किरायेदारी की अवधि के शुरू होने और खत्म होने की तारीख भी शामिल होनी चाहिए। 
  3. मकान मालिक और किराएदार द्वारा तय की गई किराए की राशि और हर महीने की जिस तारीख को उसका भुगतान किया जाना है के साथ ही किराए के भुगतान का तरीका भी किरायेदारी समझौते में निर्दिष्ट होना चाहिए।
  4. समझौते में उपयोगिता शुल्क जैसे बिजली बिल, गैस बिल आदि शामिल हो सकते हैं। इसमें क्लब सदस्यता शुल्क, रखरखाव शुल्क और पार्किंग शुल्क जैसे विविध शुल्क भी शामिल हो सकते हैं।
  5. एक रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट में अक्सर सुरक्षा जमा राशि के लिए एक खंड होता है जिसे निर्धारित किरायेदारी अवधि के अंत में वापस किया जा सकता है। और किसी भी नुकसान के मामले में किरायेदारी समझौते में उल्लिखित शर्तों के अनुसार मकान मालिक आपकी जमा राशि से राशि काट सकता है।
  6. रेंट एग्रीमेंट में उन कारणों को निर्दिष्ट करना चाहिए जो बेदखली का कारण बन सकते हैं जैसे भवन को नुकसान पड़ोसियों को परेशानी भुगतान करने में विफलता आदि।
  7. डिफ़ॉल्ट के कारण बेदखली की स्थिति के मामले में, किरायेदारी समझौते के लिए नोटिस अवधि और जुर्माना निर्दिष्ट करना आवश्यक है।
  8. रेंट एग्रीमेंट पंजीकृत होना चाहिए। पंजीकरण के लिए स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता है। स्टाम्प ड्यूटी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है और यह रेंट एग्रीमेंट की अवधि पर भी निर्भर करती है।
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किसी भी रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट के लिए जिन आवश्यक दस्तावेजों की ज़रूरत होती है उन्हें भी पूर्ण होना चाहिए। वे दस्तावेज हैं:

  1. संपत्ति के स्वामित्व का प्रमाण।
  2. संपत्ति के कागजात जैसे कर रसीदें।
  3. प्रत्येक पक्ष के दो पासपोर्ट फोटो और प्रत्येक गवाह की एक प्रति।
  4. दोनों पक्षों और गवाहों के पते के दस्तावेज।
  5. किराए पर ली जाने वाली संपत्ति का रूट मैप।

रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट के फ़ायदे

एक रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। यह मकान मालिक एवं किराएदार दोनों ही के लिए फायदेमंद होता है। आइये समझते हैं एक रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट के क्या फायदे हैं?

रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट दोनों पक्षों को अधिकार देता है यह किरायेदार को आवास पर रहने का अधिकार देता है और मकान मालिक को किराया एकत्र करने का अधिकार देता है।

रेंट एग्रीमेंट कम अवधि का होता है। भारत में यह 11 महीने के लिए ही होता है। रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है। लेकिन अगर रेंट एग्रीमेंट की अवधि 11 महीने से अधिक है तो उसे रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत अनिवार्य रूप से रजिस्टर कराना होगा। नहीं तो यह कोर्ट में सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं होगा।

रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की मदद और भी अधिकार सुरक्षित रहते हैं। जैसे कि:

  1. यह कानूनी रूप से स्वामित्व अधिकारों को परिभाषित करता है ।
  2. संपत्ति पर मकान मालिक का अपना दावा अधिक मजबूत करता है।
  3. मकान मालिक के अधिकारों और हितों की रक्षा करने में मदद करता है।
  4. यह संपत्ति के स्वामित्व के बारे में अन्य सभी को नोटिस देता है। इस से स्वामित्व निश्चित हो जाता है।
  5. यदि समझौता पंजीकृत है तो मकान मालिक अधिक सुरक्षित रहता है।
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यदि रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड न हो तो बेहद नुकसान हो सकता है। रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट न होने पर नुकसान की संभावना ज्यादा रहती है। आइये समझते हैं रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट न होने पर क्या नुकसान संभव है:

अनरजिस्टर्ड दस्तावेज़ अदालत में विशेष लेनदेन के साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं है। इसका उपयोग सीमित उद्देश्यों के साक्ष्य के रूप में ही किया जाता है।

  1. धोखाधड़ी और जालसाजी की संभावना बढ़ जाती है।
  2. हेराफेरी की संभावना अधिक होती है।
  3. बकाया किराया वसूलना मुश्किल होता है।
  4. संपत्ति की बिक्री को प्रभावित करना मुश्किल है।
  5. दस्तावेज़ कोई अधिकार या हित नहीं बनाता है।

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