स्टार्टअप में नियमों का क्या महत्व है?

स्टार्टअप में नियमों का क्या महत्व है?

कम्प्लाइंसिस (Compliance) का मतलब कई सारे नियमों का एक समूह होता है, जिसे सरकार द्वारा बनाया जाता है। इन कम्प्लाइंसिस या नियमों का सभी कंपनियों या स्टार्टअप को पालन करना होता है, ताकि वह अपनी कंपनियों को सुचारू रूप से चला सके।  

किसी भी नयी खुलने वाली कंपनी को आम भाषा में स्टार्टअप कहते है। स्टार्टअप को सफलतापूर्वक चलाने के लिए इन नियमों और विनियमों का ठीक से पालन करना बहुत जरूरी है। यह नियम और अनुपालन बताता है कि एक कंपनी के रूप में उस संगठन को क्या करना चाहिए क्या नहीं, आदि।  

जैसे-जैसे स्टार्टअप विकास की तरफ बढ़ता है तब उस व्यवसाय को बहुत से नए-नए कानूनी पहलुओं से डील करना पड़ता है। इन कानूनी दांव-पेंचो से सही तरह से निपटने के लिए कंपनी को नियमों और विनियमों की जरूरत पड़ती है। और अगर कोई कंपनी इन नियमों का पालन करने में विफल होती है तो उसे कानूनी पहलुओं जैसे देनदारियों या जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, यह उस व्यवसाय के बंद होने की एक वजह भी बन सकता है। 

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

नियमों की क्या जरूरत है? 

एक नए स्टार्टअप को चलाने के लिए इन नियमों की जरूरत क्यों पड़ती है उसके कुछ पहलु यहां बताये है –

  1. एक नए स्टार्टअप को चलाने के लिए सुचारू रूप से चलाने के लिए। 
  2. स्टार्टअप के विकास के लिए इन नियमों की जरूरत पड़ती है।
  3. व्यवसाय को कानूनी रूप से सुरक्षा मिलती है।  
  4. यह व्यवसाय की वृद्धि के लिए एक बैकअप बनाता है। 
  5. अनुपालन सेवा एक प्रतिष्ठित कंपनी बनाने में मदद करती है। 
  6. यह आपकी कंपनी को एक प्रतिष्ठित ब्रांड बनाने में मदद करता है और कंपनी की छवि विकसित होती है। 
  7. अगर कोई कंपनी पालन नहीं करती है तो उस व्यवसाय की प्रतिष्ठा और विश्वास में कमी आती है।
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स्टार्टअप के लिए कुछ जरूरी नियम

भारत में सरकार द्वारा कुछ जरूरी नियम बनाये गए है जो उन सभी व्यक्तियों को मानने होते है, जो भी एक स्टार्टअप खोलना चाहते है। साथ ही यह भी जानेंगे की किसी स्टार्टअप या बिजनेस की शुरुआत कैसे होती है?

  1. कंपनी एक्ट 2013 के तहत नियम। 
  2. जीएसटी के तहत नियम।
  3. इनकम टैक्स 1961 के तहत बताये गए नियम। 
  4. लेबर लॉ या श्रम कानून के तहत बताये गए नियम। 
  5. कंपनी एक्ट 2014 के तहत नियम। 

कंपनी एक्ट के तहत नियम 

भारत में स्थापित सभी कंपनियों को कंपनी एक्ट 2013 के नियमों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए। इन नियमों के तहत पारिश्रमिक, ऑडिटर्स की नियुक्ति, स्थापना के बाद पैन, टैन और बैंक खाता होने का नियमन है। यह नियमों का पालन, किसी भी दंड से बचने के लिए जरूरी है। 

जीएसटी के तहत नियम

जीएसटी नियम के तहत, अगर किसी भी स्टार्टअप का कारोबार पिछले साल में सामन में 40 लाख रुपये से ज्यादा और सेवाओं में 20 लाख रुपये से ज्यादा का व्यापार हुआ है तो ऐसे स्टार्टअप को पंजीकृत होना जरूरी है। अगर ऐसा कोई स्टार्टअप जीएसटी के नियमों को पूरा करने में सफल नहीं होता है, तो इसे अपराध माना जाएगा और यह सज़ा के लिए उत्तरदायी होगा। 

इनकम टैक्स एक्ट के तहत नियम 

इस एक्ट के तहत हर व्यवसाय को आईटीआर मतलब इनकम टैक्स रिटर्न और अन्य देनदारियों का भुगतान करना होता है। 

श्रम कानून के तहत नियम 

यह नियम मुख्य रूप से कर्मचारियों, कंपनियों और ट्रेड यूनियनों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए होते हैं। श्रम कानून के नियमों में शामिल कुछ एक्ट हैं – 

  • ट्रेड यूनियन एक्ट 
  • कारखाना एक्ट
  • न्यूनतम मजदूरी एक्ट 
  • समान पारिश्रमिक एक्ट
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प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तहत नियम

प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को वार्षिक आधार पर अलग-अलग नियमों का पालन करना पड़ता है। अगर कंपनी नियमों का पालन नहीं करती है, तो वह दंड की भागी होती है। उनमे से कुछ जरूरी नियम है – 

  1. बोर्ड बैठक
  2. वार्षिक बैठकें
  3. लेखा परीक्षक की नियुक्ति
  4. निदेशक की रिपोर्ट
  5. ई-फॉर्म भरना

लीड इंडिया कैसे मदद कर सकता है?

लीड इंडिया के पास कॉरपोरेट वकीलों की एक स्पेशल टीम है, जो आपकी कंपनी को नियमों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी और ऐसे नियमों के पालन के लिए सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने में आपकी मदद करेगी।

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