क्या एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग भी शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकते है?

क्या समलैंगिक लोग भी शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकते है?

धारा 377 को आईपीसी में 1861 ईसवी में उस समय के ब्रिटिश शासक लॉर्ड मेकाले ने लागू किया था यह कहकर की ये प्रकृति के नियमो के विरुद्ध है, वो अंग्रेज जिनको हमने बहुत ही प्रगतिशील और आधुनिक सोच का माना था, लेकिन समय के साथ साथ विचारो पर विकार आता गया और भारत के सर्वोच्च न्ययालय ने इस प्रकृति के विरुद्ध कृत्य को एक अपराध बोध से मुक्त कर दिया, आज दुनिया के 26 देशो में समलेंगिकता अपराध नहीं है उसमे से भारत 27वा देश बन गया है। एलजीबीटी कम्युनिटी भी सम्मान पूर्वक देश में रह सकती है।

इन विचारो वाले सदस्यों का भी एक समुदाय है जिसे LGBT (लेज़्बीयन, गे, उभयलिंगी, अथवा परलैंगिक) कहा जाता है, वास्तव में देखा जाय तो प्रकृति ने हर प्राणी को एक जीवन दिया है अपने अनुसार जीने का जिसे हम व्यक्तिगत जीवन कहते है, और एक जीवन होता है सामाजिक जिसमे उसे रहना होता है, इस समुदाय की अपनी एक जीवन शैली है जिसे वह अपने अनुसार जीना चाहते है लेकिन वो जिस समाज में रहते है उसके अपने आधारभूत सिद्धांत है, इसलिए एक नए अघोषित एवं आत्मनिर्भर समाज का निर्माण हुआ जिसे LGBT कहा जाने लगा। 

अब इस समुदाय की एक ही शिकायत रही है की उसे बड़े समाज ने स्वीकार नहीं किया और कभी इस कम्युनिटी को इनके अधिकार नहीं मिले। लेकिन अपने अधिकारों के लिए इन लोगों ने बहुत सारे आंदोलन किये खासतौर से एलजीबीटी कम्युनिटी खुल कर सड़कों पर उतरी। इसके बाद धारा 377 के दंड के प्रावधान से इनको बाहर कर दिया गया। अब एलजीबीटी कम्युनिटी आपस में किसी भी तरह के रिश्ते रख सकती है। चाहे वो लिव-इन हो या शादी अब ये कानूनन जुर्म नहीं है। 

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दरअसल  इस पर रिसर्च की गयी है। इस रिसर्च में देखा गया की अप्राकृतिक शारीरिक सम्बन्ध से कोई इन्फेक्शन या बीमारी नहीं फैलती है। ऐसे सम्बन्ध किसी भी तरह से नुकसानदेह भी नहीं है। इसलिए अब  एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग अपनी मर्जी से आपस में सम्बन्ध बना सकते है, लिव-इन में रह सकते है और अब शादी भी कर सकते है। बशर्ते उन्हें शादी के बाद मिलने वाले कानूनी अधिकार नहीं दिए गए है। अब तक शादी को लेकर कानून के दायरे में केवल लड़का और लड़की को ही रखा गया है। जिस वजह से अभी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों के लिए ऐसे कोई अधिकार स्पष्ट नहीं किये गए है। एलजीबीटी कम्यूनिटी के वह लोग जो बालिग़ है वह अपनी मर्जी से शादी कर सकते है। हालाँकि, वह अभी वैवाहिक अधिकारों के अंदर नहीं आते है। 

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सब जानते है कि शादी के बाद ज़िन्दगी में बहुत से परिवर्तन आते है। प्यार होता है तो झगडे भी अपनी जगह बना ही लेते है। जब एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग शादी के बंधन में बंधते है तो क्या वो इसे अपनी मर्जी से खत्म भी कर सकते है। एलजीबीटी कम्युनिटी के शादी से रिलेटेड अधिकारों का कोई स्पष्टीकरण अभी कानून में नहीं दिया गया है। जरुरत पड़ने पर नए कानून बनाये जाते है और पुराने कानून बदले भी जाते है। तो शायद आने वाले समय में इस मुद्दे पर भी कोई स्पष्टीकरण आ जाये। अब देखते है की आखिर वो कौन-से अधिकार है, जो मैरिड कपल्स को उनकी शादी के बाद मिलते है। लेकिन एलजीबीटी कम्युनिटी को अभी नहीं मिले है।अब यह सवाल उठता है की समलैंगिक कपल अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? और इसके अलावा उनके पास और कौन कौन से अधिकार है? 

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(1) संपत्ति का अधिकार :-

सबसे पहला संपत्ति का अधिकार होता है। शादी के बाद पत्नी को ये राइट मिल जाता है की वो अपने पति के घर में रह सकती है। चाहे वो घर किराये का हो, उसके पति द्वारा बनाया गया हो, जॉइंट फॅमिली का घर हो, या फिर पुश्तैनी घर हो। लेकिन एलजीबीटी कम्युनिटी के अंदर आने वाले लोगों में से कोई भी पार्टनर अपनी प्रॉपर्टी दूसरे पार्टनर के साथ शेयर करने के लिए बाध्य नहीं है।

(2) मेंटेनेंस का अधिकार :-

ये दूसरा अधिकार है जो लड़की को मिलता है की लड़की अपनी डेली नीड्स, बेसिक कम्फर्ट, और लिविंग स्टैण्डर्ड, की चीजों की मांग अपने पति से कर सकती है। लेकिन एलजीबीटी ग्रुप में शादी करने के बाद कोई भी पार्टनर दूसरे पार्टनर से किसी भी परिस्तिथि में मेंटेनेंस की मांग नहीं कर सकता है।

(3) चाइल्ड  मेन्टेन्स का अधिकार :-

जब बच्चा जन्म लेता है तभी से उस बच्चे की परवरिश का पूरा भार उसके पिता पर होता है। पत्नी अपने पति से बच्चे की परवरिश का पूरा फाइनेंसियल स्पोर्ट मांग सकती है। लेकिन  एलजीबीटी कम्युनिटी के केस में ऐसा नहीं है। अगर एलजीबीटी कम्युनिटी के कपल का कोई बच्चा या बच्चे है तो उसका पूरा भार उसके बायोलॉजिकल फादर के ऊपर होता है। 

(4) डाइवोर्स लेने का अधिकार :-  

एलजीबीटी कम्युनिटी को शादी का अधिकार तो मिल गया है लेकिन जरुरत पड़ने पर उस शादी को ख़त्म करने का कोई अधिकार अभी उनके पास नहीं है। अन्य शादी से सम्बंधित अधिकारों की तरह ही इस अधिकार से भी एलजीबीटी  कम्युनिटी अभी वंचित है। 

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(5) कमिटेड रिलेशनशिप का अधिकार :-

हिन्दू धर्म के अनुसार शादी के बाद कोई भी पार्टनर, बिना डाइवोर्स लिए किसी दूसरे व्यक्ति के साथ अफेयर या शादी नहीं कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा होते हुए भी अफेयर या दूसरी शादी करता है, तो उस व्यक्ति का पार्टनर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बीहॉफ पर डाइवोर्स ले सकता है और अडल्टरी का चार्ज भी लगा सकता है। इस राइट को भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लिए अभी तक क्लियर नहीं किया गया है। 

(6) स्त्रीधन का अधिकार :-

स्त्रीधन वो होता है जो या तो लड़की को शादी से पहले या शादी के बाद मिलता है जैसे की गिफ्ट्स और पैसे। महिला अपने स्त्रीधन का कभी भी अपनी मर्जी के अनुसार यूज़ कर सकती है। चाहें वो उसके पति या ससुराल वालों के पास ही क्यों न रखा हो। उस धन पर महिला का ही अधिकार माना जाता है। एलजीबीटी कम्युनिटी में कोई भी पार्टनर दूसरे पार्टनर से इस धन की मांग नहीं कर सकता है। 

जैसा की हमने देखा की एलजीबीटी कम्युनिटी को बहुत से राइट्स मिले जो की पहले उनके पास नहीं थे। उनके संबंधों को दंड के प्रावधान से बाहर कर दिया गया है। लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे राइट्स है जो उनके पास नहीं है।

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