चोरी और ज़बरदस्ती वसूली करने के बीच क्या अंतर होता है?

चोरी और ज़बरदस्ती वसूली करने के बीच क्या अंतर होता है?

एक राज्य सरकार को ना केवल अपने राज्य में रहने वाले नागरिकों के जीवन की रक्षा करनी चाहिए और सार्वजनिक शांति बनाए रखनी चाहिए, बल्कि उसे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उन सभी नागरिको की प्रॉपर्टी भी सुरक्षित रहे ताकि सभी नागरिक चिंता मुक्त होकर रह सके और राज्य में भी शान्ति बनी रहे। इसलिए, प्रॉपर्टी की सुरक्षा दुनिया भर में सभी के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए, एक नागरिक की प्रॉपर्टी के खिलाफ कोई भी अपराध जिसे प्रॉपर्टी की चोरी, एक्सटॉरशन आदि को 1860 में लागू हुए भारतीय दंड संहिता के अंदर कवर किया गया हैं। इस लेख में विशेष रूप से यह जानेंगे कि एक प्रॉपर्टी की चोरी और उसकी जबरदस्ती वसूली यानि एक्सटॉरशन के बीच क्या अंतर है।

चोरी क्या है?

चोरी को आसान भाषा मे समझे तो यह, एक व्यक्ति की किसी भी ऐसी प्रॉपर्टी जिसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, को उसकी सहमति के बिना बेईमानी से अपने कब्जे में कर लेने को चोरी करना कहता है। इसे भारतीय दंड संहिता, 1860 के सेक्शन 378 में परिभाषित किया गया है। इस एक्ट के अनुसार, किसी भी प्रकार की चोरी करना एक दंडनीय अपराध है।

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एक्सटॉरशन क्या है?

ज़बरदस्ती वसूली या एक्सटॉरशन करना भी चोरी से संबंधित ही एक अपराध है। इसे भारतीय दंड संहिता, 1860 के सेक्शन 383 में परिभाषित किया गया है। एक्सटॉरशन का मतलब होता है किसी व्यक्ति या संगठन से धन, सर्विसिस या सामान को लेने के लिए धमकियों और अन्य प्रकार की ज़बरदस्ती करना। ऐसा जरूरी नहीं है कि जो व्यक्ति आपको एक्सटॉर्ट कर रहा है या आपसे जबरदस्ती किसी सामन, पैसे या सर्विसिस की मांग कर रहा है वो उन्हें खुद इस्तेमाल करे, किसी और के लिए भी जबरदस्ती करके उस सामान को लेना भी अपराध की श्रेणी में ही आता है। किसी भी व्यक्ति की या उसके किसी करीबी की जान को खतरा पैदा करके, उसे चोट पहुंचा कर या किसी अन्य डर पैदा करके उससे नकद पैसा, प्रॉपर्टी, या सर्विसिस के रूप में मूल्यवान संपत्ति लेना एक्सटॉरशन का अपराध माना जाता है।

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चोरी और एक्सटॉरशन के बीच अंतर

चोरी और जबरदस्ती वसूली के बीच निम्नलिखित अंतर है। 

जबरदस्ती वसूली करने में गैरकानूनी तरीके से सहमति ली जाती है।चोरी करने में मालिक की सहमति के बिना उसकी प्रॉपर्टी छीन ली जाती है।
सिर्फ ऐसी प्रॉपर्टी ही चोरी की जा सकती है जिसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। एक्सटॉरशन दोनों तरह की प्रॉपर्टी पर किया जा सकता है जो एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जा सकती और जो नहीं ले जाई जा सकती है।
चोरी में पीड़ित की प्रॉपर्टी बिना उसे बताये ले ली जाती है। जबरदस्ती वसूली में पीड़ित की प्रॉपर्टी अपराधी को ट्रांसफर कर दी जाती है।
यह एक व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है यह एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता हैजबरन वसूली में बल या मजबूरी का कोई तत्व नहीं होता है, व्यक्ति को खुद को या किसी अन्य व्यक्ति को चोट लगने का डर होता है
भय का तत्व भय का तत्व अनुपस्थित भय का तत्व मौजूद हैपीड़ित द्वारा संपत्ति का वितरण नहीं किया गया है पीड़ित द्वारा संपत्ति का वितरण किया गया है
किसी एक अवधि के लिए कारावास के साथ दंडित किया जा सकता है जो 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों के साथ किसी भी विवरण के कारावास के साथ दंडित किया जा सकता है जिसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना या दोनों के साथ

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