विवाह-पूर्व समझौता क्या है?
एक कपल जो शादी करने वाले है और इस शादी की जिम्मेदारियों को लेकर वो एक एग्रीमेंट करते हैं तो उस विशेष समझौते या एग्रीमेंट को एक प्रीन्यूपटीएल एग्रीमेंट या प्रेनअप एग्रीमेंट या विवाह-पूर्व समझौता कहा जाता है। यह समझौता आमतौर पर इसीलिए किया जाता है क्योंकि सभी मानते हैं कि शादी एक प्रकार का बंधन है जिसे स्वर्ग में बनाया जाता है, लेकिन हकीकत में इस तरह की शादी कपल्स के लिए बहुत खराब स्थिति पैदा कर देती है, इसलिए, इस तरह की ख़राब सिचुऎशन्स, फाइनेंसियल और भावनात्मक नुक्सान से डील करने के लिए कपल आजकल शादी से पहले का एग्रीमेंट करते हैं।
भारतीय कानूनी प्रणाली के अनुसार यह प्रीन्यूपटीएल एग्रीमेंट कानूनी रूप से ना तो पूरी तरह वैध और ना ही शून्य है। भारत एक बहुत ही विविध देश है और संस्कृति में बहुत समृद्ध है। भारतीय संस्कृति की अवधारणा के अनुसार प्रीन्यूपटीएल एग्रीमेंट की अवधारणा कपल्स के लिए बहुत नई है। भारत में यह बहुत कम देखा जाता है जब दो लोग शादी करने से पहले को शादी से पहले प्रीन्यूपटीएल एग्रीमेंट बनवाएं, लेकिन पश्चिमी देशों में प्रीन्यूपटीएल एग्रीमेंट का यह कांसेप्ट बहुत आम है और वहां मौजूद लगभग हर व्यक्ति इस एग्रीमेंट को बनवाता है।
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भारत में शादी किसी प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट नहीं है, इसलिए हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अनुसार प्रीन्यूपटीएल एग्रीमेंट वैध हो सकता है, लेकिन यह भारतीय कॉन्ट्रैक्ट 1872 एक्ट के दायरे में आता है क्योंकि प्रेनअप दोनों पार्टियों के बीच एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट है।
प्रीनुपटियल एग्रीमेंट के क्लॉज़िज़
- संपत्ति और देनदारियां
- ऐसी संपत्ति जिससे डील करने की जरूरत है
- बच्चों की निगरानी
- लोन या किसी भी प्रकार की संयुक्त संपत्ति/जॉइंट प्रॉपर्टी
- कोई भी व्यक्तिगत संपत्ति/पर्सनल प्रॉपर्टी
- रखरखाव/मेंटेनेंस
- कुल खर्च
- दोनों पार्टीज़ की फाइनेंसियल कंडीशन
- अन्य दावे/क्लेम्स
यह सभी आधार उस एग्रीमेंट के अंदर कानूनी भाषा में लिखा जाता है और दोनों पार्टियों द्वारा इस एग्रीमेंट को साइन किया जाता है। दोनों पार्टियों के द्वारा साइन किया जाने के बाद इस एग्रीमेंट को नोटरी करना होता है।
धार्मिक या पर्सनल लॉ के तहत शादी को एक कॉन्ट्रैक्ट नहीं माना जाता है। इसलिए प्रेनअप एग्रीमेंट किसी भी वैवाहिक कानूनों के बजाय भारतीय कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 के सेक्शन 10 के तहत डील किये जा सकते है।
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