क्या वकीलों को गर्मी में काला कोट पहनने से छूट दी गयी है?

क्या वकीलों को गर्मी में काला कोट पहनने से छूट दी गयी है?

यदि आप में से कोई कोर्ट गया है, या आपने किसी वकील को देखा है, तो अक्सर उन्हें काले गाउन और काले कोर्ट में ही देखा होगा। लेकिन आपको तो पता ही है कि गर्मी का समय आते-आते काला रंग पहनना कितना मुश्किल काम हो जाता है। काले रंग की वजह से और ज्यादा गर्मी लगती है। क्योंकि प्रकाश आपके शरीर से परावर्तित नहीं हो पाता। इसलिए हम गर्मियों में काला कपड़ा पहनना अवॉइड करते हैं। यही हमारे देश के वकीलों का हाल भी है। उन्हें अपने कामों के लिए एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट जाना पड़ता है। काले कपड़े पहनने के बाद धूप में निकलना बहुत ही मुश्किल काम हो जाता है। इसलिए गर्मी के समय में हमारे देश के वकीलों को कुछ सीमित समय के लिए काले कोट और गाउन से आजाद किया जाए, इस हेतु वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मसला

वकीलों द्वारा गर्मियों में काले गाउन और काला कोट का ड्रेस को तेज गर्मी में हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी अधिवक्ताओं याने की एडवोकेट्स को गर्मियों के समय में एक सीमित समय के लिए उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च अदालत यानी की हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में काला गाउन और काला कोट ना पहनने की छूट दी जाए।

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वकीलों के इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, कि वह इसके लिए अधिकृत नहीं है।वकीलों को अपने यह याचिका बार काउंसिल ऑफ इंडिया में दायर करनी चाहिए। जो कि वकीलों के ड्रेस का निर्धारण करता है।

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इस विषय पर न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और जस्टिस बी सुब्रमण्यम वाली पीठ ने कहा है कि 

“अनुच्छेद 32 के अनुसार वे इस याचिका पर विचार नहीं कर सकते हैं”। क्योंकि यह शिकायत या इस याचिका पर विचार करने का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया का है। इसलिए वकीलों को अपनी याचिका लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया में जाना होगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की ओर से प्रतिनिधित्व कर रहे वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी को इस बात की छूट दी है, कि यदि बार काउंसिल ऑफ इंडिया यानी की भारतीय विधिज्ञ परिषद इस विषय पर विचार नहीं करता है, तो वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली है और इस मामले को खारिज कर दिया है। हालांकि याचिकाकर्ताओं की ओर से इस मामले को वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह पेश कर रहे थे। जो अदालत में वकीलों की ओर से नियमों में संशोधन करवा कर वकीलों को काला कोट और गाउन गर्मियों के समय में कुछ समय तक पहनने से बचाना चाहते थे। क्योंकि भीषण गर्मी का समय आने वाला है। और ऐसे में एक अदालत से दूसरी अदालत का चक्कर काले कोट और काला गाउन पहन कर जाना बहुत मुश्किल काम हो जाता है। इसीलिए वकीलों ने गर्मियों में केवल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में काले कोट तथा काला गाउन पहनने से कुछ समय के लिए राहत की मांग की है।

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