भारतीय कानून में, जब दो वयस्क व्यक्ति स्वेच्छा से एक लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे होते हैं और सहमति से सेक्सुअल संबंध स्थापित करते हैं, तो उन्हें इसे रेप के तौर पर नहीं कहा जाता है।
लिव-इन रिलेशनशिप को भारतीय कानून में सामरिकता के संदर्भ में एक आपसी सहमति आधारित संबंध माना जाता है, जिसमें दोनों पक्षों के बीच एक स्थायी और स्वेच्छा से बनी हुई समझौता होती है। इस समझौते के तहत, व्यक्ति स्वेच्छा से सेक्सुअल संबंध स्थापित करते हैं।
हालांकि, यदि लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति को बलात्कार, छेड़छाड़ या अन्य संबंधित अपराधों के लिए मजबूर किया है, तो उसे अभीरति या अन्य अपराध के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
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सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने की उम्र
भारत में सेक्स ऑल रिलेशंस बनाने के लिए कानूनी उम्र 18 वर्ष है। इसका मतलब है कि 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के बीच सेक्सुअल रिलेशन बनाना अवैध है। यह समाज के लिए जरूरी है क्योंकि युवाओं को सेक्सुअल रिलेशन बनाने से पहले अपने स्त्री या पुरुष बनने के बारे में अच्छी तरह समझ लेना चाहिए जिससे कि उन्हें अनुभव से संबंधित सभी जरूरी जानकारी हो सके।
भारत में कुछ अन्य कानून भी हैं जो युवाओं के सेक्सुअल स्वास्थ्य की देखभाल करते हुए बनाए गए हैं। एक ऐसा कानून है जो युवाओं के सेक्सुअल संबंधों से जुड़ी जानकारी के बारे में सिक्योरिटी उपलब्ध कराता है।
भारत में सहमति से सेक्सुअल रिलेशन बनाने के लिए बनाए गए कानून
भारत में सहमति से सेक्सुअल रिलेशन बनाने के लिए कुछ बहुत महत्वपूर्ण कानून बनाए गए हैं। ऐसे कानूनों को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि कपल्स अपनी इच्छा से सेक्सुअल संबंध भी बना सके और इससे किसी अन्य व्यक्ति को कोई परेशानी भी ना हो। साथ ही कोई अन्य व्यक्ति किसी कपल के लिए कोई परेशानी भी खड़ी ना कर सकें। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण कानून निम्नलिखित हैं:
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872
इस अधिनियम के तहत, सहमति से सेक्सुअल संबंध स्थापित करने के लिए स्वेच्छा से एक व्यक्ति की आपातकालीन और अचूक सहमति आवश्यक होती है।
पोषण और संरक्षण के लिए बाल अधिनियम, 2016
इस अधिनियम के अनुसार, किसी बालिका से संबंध बनाना अवैध है। यह अधिनियम बालिकाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बनाया गया है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860
यह भारतीय पेनल कोड है और सेक्सुअल अपराधों पर सजा का प्रावधान करता है। इसमें बलात्कार, छेड़छाड़, सेक्सुअल हठधर्म और अन्य संबंधित अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है।
पोषण और संरक्षण के लिए बाल अधिनियम, 2012
इस अधिनियम के तहत, बालिकाओं की संरक्षा, सहायता, रिहाई और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए कार्यवाही की जाती है।
ये कुछ महत्वपूर्ण कानून हैं, जो सहमति से सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने के नियमों को व्यवस्थित करते हैं। यहां ध्यान दें कि कानूनी परामर्श के लिए अपने स्थानीय कानूनी निदेशक से संपर्क करना हमेशा उचित होगा, क्योंकि कानूनी मामलों में विशेषताएं और परिस्थितियाँ हो सकती हैं जिन्हें समझना महत्वपूर्ण है।
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