शादीशुदा होते हुए भी किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाना कानून क्या कहता है?

Having a relationship with someone else while being married – what does the law say

भारत में विवाह केवल एक सामाजिक रिवाज नहीं, बल्कि एक पवित्र और कानूनी अनुबंध होता है, जो दो व्यक्तियों को ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को भी जोड़ता है। विवाह में विश्वास, वफादारी और जिम्मेदारी जैसी भावनाएं सबसे प्रमुख होती हैं। लेकिन जब पति या पत्नी विवाहबाह्य संबंध (Extramarital Affair) में लिप्त हो जाते हैं, तो यह न केवल वैवाहिक जीवन को खतरे में डालता है, बल्कि कई बार कानूनी विवादों की भी शुरुआत कर देता है।

तो सवाल उठता है  की  क्या शादीशुदा व्यक्ति का किसी और के साथ शारीरिक संबंध बनाना अपराध है? क्या इसके लिए सज़ा मिल सकती है? क्या पत्नी या पति इस आधार पर तलाक ले सकते हैं? इस ब्लॉग में हम इन्हीं सवालों के उत्तर विस्तार से जानेंगे।

विवाहबाह्य संबंध (Adultery) का कानूनी अर्थ

विवाहबाह्य संबंध यानी Adultery का मतलब है, जब कोई शादीशुदा व्यक्ति अपने जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाता है।

पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 के अंतर्गत Adultery एक आपराधिक अपराध था। यह धारा विशेष रूप से पुरुषों पर लागू होती थी  अगर कोई पुरुष किसी शादीशुदा महिला से सहमति से यौन संबंध बनाता, तो उसे 5 साल तक की सजा हो सकती थी।

हालांकि, इस कानून में महिला को कोई अपराधी नहीं माना जाता था, और न ही पति को पत्नी के अफेयर पर केस करने की अनुमति मिलती थी। यही पक्षपातपूर्ण और लैंगिक भेदभावपूर्ण प्रकृति इस धारा की आलोचना का कारण बनी।

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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला – जोसेफ शाइन बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (2018)

साल 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में IPC की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। पांच-न्यायाधीशीय संविधान पीठ ने  जोसेफ शाइन बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (2018) 2 SCC 189] केस में कहा:

व्यभिचार (Adultery) नैतिक रूप से गलत हो सकता है, परंतु इसे अपराध मानना व्यक्ति की निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है।

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फैसले की मुख्य बातें:

  • यह धारा महिलाओं के अधिकारों के विरुद्ध थी क्योंकि इसमें महिलाओं को “पति की संपत्ति” माना गया था।
  • पुरुषों को सज़ा होती थी, लेकिन महिलाओं को नहीं  जो समानता के अधिकार का उल्लंघन था।
  • कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवाहबाह्य संबंध अब आपराधिक अपराध नहीं है, परंतु यह तलाक का मजबूत आधार हो सकता है।

क्या अब विवाहबाह्य (अडुल्टेरी Adultery) संबंध अपराध नहीं है?

हाँ, अब अडुल्टेरी  Adultery भारत में अपराध नहीं है। इसका मतलब यह नहीं कि इसका कोई कानूनी परिणाम नहीं होता। विवाहबाह्य संबंध अभी भी:

  • नैतिक रूप से गलत माने जाते हैं।
  • सामाजिक कलंक का कारण बनते हैं।
  • वैवाहिक जीवन में मानसिक प्रताड़ना, विश्वासघात और पारिवारिक विघटन का कारण बन सकते हैं।

अडुल्टेरी (Adultery) पर कानूनी कार्रवाई: क्या कर सकते हैं पति या पत्नी?

तलाक की याचिका (Petition for Divorce):

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(i) के अनुसार, यदि पति या पत्नी विवाह के बाद किसी अन्य से शारीरिक संबंध बनाता है, तो यह तलाक का आधार बन सकता है।
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ और स्पेशल मैरिज एक्ट में भी इसी प्रकार के प्रावधान हैं।

मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty):

  • विवाहबाह्य संबंध अगर पति या पत्नी को मानसिक रूप से पीड़ा देता है, तो इसे मानसिक क्रूरता माना जा सकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में माना है कि Adultery भले ही अब अपराध न हो, लेकिन यह क्रूरता का आधार हो सकता है।

महत्वपूर्ण केस

नवीन कोहली बनाम नीलू कोहली [(2006) 4 SCC 558]

  • सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में कहा कि विवाहबाह्य संबंध (Extra-Marital Affair) वैवाहिक जीवन के मूल आधार — विश्वास और निष्ठा — को तोड़ता है।
  • ऐसे संबंधों को मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) की श्रेणी में रखा जा सकता है।
  • यदि कोई पक्ष लगातार इस प्रकार का व्यवहार करता है जिससे दूसरा पक्ष मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस करे, तो यह तलाक का वैध आधार बन सकता है।
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि जब विवाह पूरी तरह टूट चुका हो और उसमें मेल-मिलाप की कोई संभावना न हो, तो तलाक देना ही न्यायसंगत होता है।
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भरण-पोषण (Maintenance)

  • अगर पत्नी पति के अफेयर के कारण उसे छोड़ देती है, तो वह CrPC की धारा 125 लेकिन अब BNSS  की धरा 144  के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती है।
  • कोर्ट पति की आय, जीवनशैली, और पत्नी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर भरण-पोषण तय करता है।

बच्चों की कस्टडी (Child Custody) और संपत्ति विवाद

  • विवाहबाह्य संबंध के कारण तलाक हो जाने पर बच्चे की कस्टडी के लिए अदालत फैसला करती है।
  • अदालत बच्चे के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता देती है।
  • संपत्ति विवादों में न्यायालय विवेक के अनुसार निर्णय देता है।

विवाहबाह्य संबंध को साबित कैसे करें?

अगर किसी पति या पत्नी को संदेह है कि उसका जीवनसाथी किसी और से संबंध रखता है, तो उसे कोर्ट में इसे साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य पेश करने होते हैं।

साक्ष्य के रूप में निम्न चीजें प्रस्तुत की जा सकती हैं:

  • WhatsApp चैट या टेक्स्ट मैसेज
  • कॉल रिकॉर्डिंग
  • सोशल मीडिया संदेश
  • होटल या यात्रा रिकॉर्ड
  • गवाहों के बयान

नोट : संदेह भर से कोई केस नहीं बनता, ठोस प्रमाण आवश्यक हैं।

जब विवाहबाह्य संबंध हो तो क्या करना चाहिए?

  • संवाद स्थापित करें: स्थिति को पहले समझने की कोशिश करें और संवाद के माध्यम से हल निकालने का प्रयास करें।
  • परामर्श लें: मैरिज काउंसलर या फैमिली थैरेपिस्ट से मदद लेना एक अच्छा कदम हो सकता है।
  • कानूनी सलाह लें: अगर मामला गंभीर है और रिश्ते की मरम्मत संभव नहीं है, तो किसी अनुभवी वकील से उचित कानूनी सलाह लें।
  • सबूत जुटाएं: अगर आप तलाक या भरण-पोषण जैसे कानूनी कदम उठाना चाहते हैं तो साक्ष्य एकत्र करना जरूरी है।

बिलकुल! नीचे सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों को चार्ट/टेबल फॉर्मेट में पेश किया गया है, जो पूरी तरह से कॉपी-पेस्ट योग्य है और आप इसे अपने ब्लॉग, वर्ड डॉक्यूमेंट या वेबसाइट में आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं:

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सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय (Court Marriage और झूठे आरोपों से जुड़े मामलों में)

केस का नामवर्षमहत्वपूर्ण निर्णय/बिंदु
जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ2018IPC की धारा 497 (व्यभिचार) को असंवैधानिक घोषित किया गया। यह अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन था।
नवीन कोहली बनाम नीलू कोहली2006विवाहबाह्य संबंध को मानसिक क्रूरता माना गया, जो तलाक का आधार बन सकता है।
समर घोष बनाम जया घोष2007मानसिक पीड़ा और विश्वासघात को तलाक का पर्याप्त आधार माना गया।
वी. भगत बनाम डी. भगत1994चरित्र हनन और झूठी अफवाहें मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आती हैं और तलाक का आधार बन सकती हैं।

निष्कर्ष

शादीशुदा होते हुए किसी अन्य के साथ शारीरिक या भावनात्मक संबंध बनाना भारतीय समाज में नैतिक रूप से अनुचित माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया हो, परंतु यह वैवाहिक जीवन को गहराई से प्रभावित करता है।

विवाहबाह्य संबंध अब “अपराध” नहीं लेकिन “कानूनी विवाद का आधार” अवश्य है। यह तलाक, मानसिक प्रताड़ना, भरण-पोषण, और कस्टडी जैसे विषयों को जन्म देता है। ऐसे मामलों में सही कानूनी सलाह, साक्ष्य और भावनात्मक समर्थन बेहद आवश्यक होते हैं।

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FAQs

1. क्या विवाहबाह्य संबंध अब अपराध नहीं है?

नहीं, सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के बाद IPC की धारा 497 को रद्द कर दिया गया है। अब यह अपराध नहीं है, परंतु तलाक का आधार हो सकता है।

2. क्या पत्नी अपने पति के अफेयर पर केस कर सकती है?

हाँ, वह तलाक, भरण-पोषण, और मानसिक प्रताड़ना के आधार पर कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

3. क्या पति भी पत्नी पर विवाहबाह्य संबंध के लिए केस कर सकता है?

हाँ, पति भी तलाक और बच्चों की कस्टडी के लिए याचिका दायर कर सकता है।

4. क्या विवाहबाह्य संबंध साबित करने के लिए सबूत जरूरी हैं?

बिल्कुल, कोर्ट में प्रमाण के बिना निर्णय नहीं दिया जा सकता। टेक्नोलॉजिकल सबूत जैसे कॉल रिकॉर्ड, मैसेजेस, आदि उपयोगी होते हैं।

5. क्या कोर्ट हमेशा तलाक दे देता है यदि विवाहबाह्य संबंध साबित हो जाए?

नहीं, कोर्ट सारे तथ्यों की समीक्षा करता है और फिर निष्कर्ष पर पहुंचता है। पुनर्मिलन की संभावना हो तो समय भी देता है।

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