क्या दूसरी शादी करने के लिए डाइवोर्स होना जरूरी है?

क्या दूसरी शादी करने के लिए डाइवोर्स होना जरूरी है?

हां,दूसरी शादी करने के लिए डाइवोर्स होना जरूरी है। दूसरी शादी करने के लिए उसके पहले के विवाह को समाप्त करना, यानी तलाक लेना आवश्यक होता है। इसके बिना, दूसरी शादी को लगभग सभी देशों में वैध माना जाना मुश्किल हो सकता है। भारत में तो शादी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी को वैद्य माना ही नहीं जाता। ऐसा करने पर यह आपको कानूनी मुश्किलों में डाल सकता है।

तालाक की प्रक्रिया और उसके नियम भी देश और क्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। कुछ स्थानों में विवाह अदालत के माध्यम से तलाक चाहिए, जबकि कुछ जगहों पर अलग-अलग तलाक प्रक्रियाएं होती हैं, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित तलाक प्रक्रिया या धार्मिक विवादों के अनुसार नियत की गई तलाक।

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पहली शादी से तलाक की प्रक्रिया

तलाक की धार्मिक प्रणाली

धार्मिक समुदाय तलाक से संबंधित प्रक्रिया में आपको अपने धर्म के अनुसार तलाक प्रक्रिया का पालन करना होगा। यह धार्मिक समुदाय के विधानों और नियमों पर निर्भर करेगा।

सिविल तलाक

कुछ देशों में, सिविल तलाक की प्रक्रिया समान होती है। आपको विवाह अदालत या समन्वयक (मीडिएशन) के पास जाना पड़ता है और तलाक के लिए आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद, आप न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से तलाक प्राप्त कर सकते हैं।

विवाह अदालत

कुछ देशों में विवाह अदालत के माध्यम से तलाक दिया जाता है। आपको विवाह अदालत में तलाक के लिए एक आवेदन दाखिल करना होगा और उसके बाद न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से तलाक प्राप्त करना होगा ।

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वकील के माध्यम से

कुछ देशों में आपको एक वकील की सलाह लेना पड़ सकती है और उसे आपके प्रतिनिधि के रूप में कानूनी कार्रवाई करने के लिए रख सकते हैं। वकील आपको विशेष जानकारी और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की सलाह देगा।

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तलाक के लिए आवेदन

आपको विवाह अदालत या न्यायालय में तालाक के लिए एक आवेदन दाखिल करना होगा। आपको अपने वकील से सलाह लेनी चाहिए और तालाक के आवेदन पर आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियां संलग्न करनी होगी।

न्यायिक प्रक्रिया

आपका तलाक मामला न्यायालय द्वारा सुनवाई के लिए चलाया जाएगा। इस प्रक्रिया में, आपको अपने दावे को साबित करने के लिए प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। इसमें: विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र, शादी के संबंध में दस्तावेज़, विवादित मुद्दों के लिए संदर्भ साक्ष्य, आदि मामले आते हैं।

समझौता

कई बार न्यायालय इस मामले में समझौता करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। इसके लिए आपको इस मेंटालिटी के साथ भी जाना चाहिए कि जहां तक संभव हो सके सहमति हो जाए। इसके लिए संभव हो तो एक मध्यस्थ भी लेकर जाएं जो इसमें आपकी मदद कर सकता है।

फैसला

न्यायालय आपके मामले की सुनवाई के बाद एक फैसला सुनाएगा। यह फैसला आपके मुद्दे के आधार पर तलाक की मांग को मंजूर कर सकता है या इनकार कर सकता है।

इसके अलावा, आपको तलाक के पश्चात संपत्ति वितरण, बच्चों की पालन-पोषण आदि के मामलों को भी ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए, अपने देश या क्षेत्र के स्थानीय कानूनी प्रशासन या वकील से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

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यदि इस सम्बन्ध में आप भी कोई लीगल सहायता चाहते हैं तो आप लीड इंडिया ऑफिस में भी संपर्क कर सकते हैं।

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