ब्लैकमेलिंग के खिलाफ क्या क्या कार्यवाई की जा सकती है?

ब्लैकमेलिंग के खिलाफ क्या क्या कार्यवाई की जा सकती है?

ब्लैकमेलिंग क्या है ?

ब्लैकमेलिंग एक अवैध और अनैतिक प्रथा है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को धमकी देकर उसकी गुप्त जानकारी, रहस्यमय तथ्य या अवैध कार्यों की जानकारी को सार्वजनिक करने की धमकी देता है ताकि वह अपने हक़ या मांगों को पूरा करने के लिए मजबूर हो जाए। यह विशेष रूप से व्यक्तिगत या पेशेवर नुकसान को रोकने या दूसरे के हक़ों का उल्लंघन करने के लिए किया जाता है।

ब्लैकमेल करने वाले व्यक्ति आमतौर पर संदेहास्पद या गोपनीय जानकारी को हथिया कर उसका दुरुपयोग करते हैं जो वास्तविकता में ग़ैर-स्वीकृत हैं और उनके प्रकट होने से व्यक्ति या संगठन को नुकसान हो सकता है। उदाहरण के रूप में, व्यक्तिगत तस्वीरें या वीडियो, व्यक्तिगत चैट लॉग, गोपनीय व्यापार या आपत्तिजनक कार्यों की जानकारी, व्यापारिक रहस्य, निजी जीवन जानकारी, आपत्तिजनक संबंधों के सबूत आदि हो सकते हैं।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

कोई ब्लैकमेल कर रहा है तो क्या करें?

यदि आप किसी के ब्लैकमेलिंग के शिकार हैं यानी कि कोई आपको ब्लैकमेल कर रहा है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा कर अपना बचाव कर सकते है:

ठीक से सोचें और सही प्रतिक्रिया सोचें

व्यक्ति को शांत रहकर समस्या को समझना चाहिए और बिना धमकी के समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए।

ब्लैकमेलर के साथ संपर्क करें

धमकी देने वाले व्यक्ति से संपर्क करके समस्या को बातचीत के माध्यम से हल करने की कोशिश करें।

सहायता मांगें

पुलिस या कानूनी सलाहकारों की मदद लें। उन्हें सच्चाई और गवाहों को पेश करने के बारे में बताएं।

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क्या भारत में ब्लैकमेल करना अपराध है?

भारतीय कानून के अनुसार, ब्लैकमेल करना एक अपराध माना जाता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 503 ब्लैकमेलिंग को दंडनीय अपराध के रूप में मानती है और इसके लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। ब्लैकमेल करने वाले व्यक्ति द्वारा गलत उपयोग की जाने वाली तथ्यांशों की रक्षा नहीं होती है, और ऐसे कार्यों के लिए कठोर दंड और सजा हो सकती है।

ब्लैकमेलिंग के खिलाफ़ क्या क्या कार्रवाई की जा सकती है?

भारतीय संविधान ब्लैकमेलिंग के खिलाफ कई कार्रवाइयों को प्रदान करता है। निम्नलिखित बातें भारतीय कानून के तहत संभव हैं:

भारतीय दंड संहिता, 1860

धारा 503 ब्लैकमेलिंग को दंडनीय अपराध के रूप में मानती है। इसके अनुसार, जो व्यक्ति किसी को किसी अवैध क्रिया का प्रमाण देने या किसी को किसी गोपनीय तथ्य के बारे में धमकी देकर उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है, वह दंडित किया जा सकता है। यह अपराध अगर साक्ष्य के साथ साबित होता है तो दो वर्ष की कैद से सात वर्ष की कैद तक की सजा और जुर्माना लगा सकता है।

आपत्ति के निवारण कानून (धारा 354डी)

भारतीय संविधान ने आपत्ति के निवारण कानून के तहत ब्लैकमेलिंग को भी विशेषतः बताया है। धारा 354डी के तहत, किसी व्यक्ति को धमकी देकर उसे व्यभिचार, अपवित्रीकरण या किसी अनुचित काम के लिए मजबूर करने का प्रयास करना भी अपराध माना जाता है। यह अपराध अगर साक्ष्य के साथ साबित होता है तो इसमें तीन से पांच साल की कैद और जुर्माना लग सकता है।

इनके अलावा, ब्लैकमेलिंग के मामलों में यदि आपको ब्लैकमेल कर रहे व्यक्ति के खिलाफ या अपराधी के खिलाफ दबाव देने के लिए दायर करें तो आप कानूनी सलाह लेने के लिए अदालत में आवेदन कर सकते हैं। न्यायिक प्रक्रिया धारा, 1973 द्वारा प्रदान की गई है जिसमें आपको न्यायिक द्वारा सुनवाई और न्यायिक उपाय की सुविधा मिलेगी।

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यदि इस सम्बन्ध में आप भी कोई लीगल सहायता चाहते हैं तो आप लीड इंडिया ऑफिस में भी संपर्क कर सकते हैं। 

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