कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट में शिकायत कैसे दर्ज करें

कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट में शिकायत कैसे दर्ज करें

हम अक्सर कुछ ना कुछ खरीदते रहते हैं। कभी ऑनलाइन तो कभी बाजार से। कई बार ऐसा होता है कि कुछ सामान खरीदकर हमें महसूस होता है कि हम ठगे गए। जो प्रोडक्ट दिखाया गया और सामान बेचते वक्त दुकानदार ने जो वादे किये वो झूठे निकले।

अगर आपके साथ भी ऐसा हो जाए तो आप कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का सहारा ले सकते हैं। आपको उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के बारे में जानना चाहिए। सरकार ने उपभोक्ता अधिकार और सुरक्षा को लेकर कई कानून बनाये है।

अगर कोइ भी कंज्यूमर शिकायत करता है और वो सही पाया जाता है तो कंपनी या दुकानदार को खराब सामान बदलना पड़ता है| इतना ही नहीं उसे समान की कीमत जुर्माने समेत वापस करनी पड़ सकती है| अब आप जानना चाहेंगे कि इस कानून के अंतर्गत क्या क्या आता है। क्या सरकार भी इस क़ानून के तहत जुर्माना देती है। जी हाँ बिलकुल देती है।

इस कानून में वो सभी प्रकार की सेवा या उत्पाद, आती हैं जो भी कोइ ग्राहक पैसा देकर खरीदता है। इसमे सरकारी या गैर सरकारी सभी प्रकार की सेवायें आती है। जैसे कोइ व्यक्ति रेल या हवाई जहाज से यात्रा करता है तो ये सेवाएं भी इस एक्ट के अन्दर आती हैं।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

इस कानून के दायरे में क्या क्या आता है

  • यह कानून किसी भी हानिकारक सामान और सेवाओं के बेचने पर ग्राहक को सुरक्षा का अधिकार देता है।
  • ग्राहक को सामान और उसकी शुद्धता, मात्रा और मूल्य जानने का पूरा अधिकार है।
  • यह कानून ग्राहक को  उनके अधिकार के लिए कोर्ट जाने का भी अधिकार देता है।
इसे भी पढ़ें:  व्यक्ति को गंभीर रूप से चोटील करने पर धाराएं

कौन कर सकता है शिकायत 
इस क़ानून के सेक्शन 12- के अंतर्गत शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया बताई गयी है। इसके अनुसार कोइ भी उपभोक्ता खराब सामान के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकता।

इसके अलावा एक उपभोक्ता या एक से अधिक उपभोक्ता भी मिलकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

साथ ही केंद्र सरकार या राज्य सरकार भी खराब सामान और सेवा के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते है।

शिकायत कैसे और कहाँ करें

यदि आपके साथ भी सामान खरीने में धोखाधड़ी हुई है तो आप कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट  के सेक्शन 12 के तहत शिकायत दर्ज कर सकते है। शिकायत का तरीका बहुत आसान है।

सबसे पहले एक सादे कागज पर एप्लेकेशन लिखें।

ये एप्लीकेशन अध्यक्ष जिला फोरम के नाम लिखें।

विषय – लिखें।

विषय लिखने के बाद शिकायतकर्ता अपना पूरा नाम व पता लिखे साथ ही उस व्यक्ति या कंपनी का भी पूरा नाम और पता जिसके खिलाफ शिकायत करनी है।

इसके बाद शिकायत से संबंधित सभी तथ्य और घटना पूरे सिलसिलेवार तरीके से लिखें। जिससे कि ग्राहक का पक्ष साफतौर पर समझ में आ सके।

इसके अलावा अपनी शिकायत को मजबूत करने के लिए आपके पक्ष में जो भी सबूत हो चाहे वो कोइ पर्ची या रसीद हो या टेलेफोनिक कनवरसेशन हो, कोइ ईमेल हो या कोइ भी दस्तावेज जो आपके पास है उसे जरूर लगाएं इससे आपका केस मजबूत होगा।

इसके बाद आप अपने मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना की बात लिखते हुए हर्जाने की बात लिख सकते हैं। इस एप्लीकेशन के साथ शिकायतकर्ता को एक एफिडेविट भी देना होता है जिसमें यह लिखा होता है कि सब तथ्य सत्य है।

इसे भी पढ़ें:  सरोगेट मदर हैं या बच्चा लिया है गोद तो भी ले सकती हैं मातृत्व अवकाश

शिकायत के साथ सामान की कीमत के हिसाब से एक नोमिनल शुल्क जमा करना होता है। जैसे एक 1 पर सौ रूपये, 5 लाख तक की राशि पर दो सौ रूपये, 10 लाख तक की धनराशि पर चार सौ रूपये तथा 20 लाख रूपये तक की धनराशि पर पांच सौ रूपये फीस लगती है। ये बैंक ड्रा्ट अथवा पोस्टल आर्डर द्वारा पे की जाती है जो अध्यक्ष जिला फोरम के नाम देय होता है।

शिकायत के साथ सम्बंधित साक्ष्य की फोटो प्रतियां लगानी होती हैं। इसकी तीन कॉपी करके जिला फोरम में प्रस्तुत की जाती है। शिकायत करने के लिए वकील की अनिर्वायता नही है। बल्कि शिकायत खुद या अपने प्रतिनिधि द्वारा भी करवाई जा सकती है। इसके बाद जिला फोरम 21 दिन के अन्दर आपकी शिकायत पर सुनवाई करेगा। इस कानून के मुताबिक़ कोई भी शिकायत बिना शिकायतकर्ता को सुनें अस्वीकृत नही की जायेगी।

कई बार ऐसा होता है कि शिकायतकर्ता खुद कंज्यूमर कोर्ट में पेश नहीं हो सकता तो वो अपनी जगह किसी और व्यक्ति को भी अधिकृत कर सकता है। अगर ऐसा करना चाहते हैं तो उस के लिए एक एफिडेविट देना होता है।

तो ये थी कंस्यूमर एक्ट से जुडी जानकारी अगर आप के साथ भी सामान खरीदने में कोइ धोखाधड़ी हुई है तो आप इस एक्ट की सहायता से मुआवजा ले सकते हैं।

Social Media

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *