हाँ, लड़के भी घरेलू हिंसा के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। घरेलू हिंसा के विरुद्ध कानून द्वारा कोई व्यक्ति या व्यक्तियों के द्वारा उस व्यक्ति के खिलाफ विवादित और अत्याचारी आचरण को संज्ञान में लेते हुए, शिकायत दर्ज की जा सकती है। इसके अलावा, भारतीय कानून ने पुरुषों को भी घरेलू हिंसा से बचाने के लिए संरक्षण प्रदान किया है।
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लड़को को घरेलू हिंसा के खिलाफ शिकायत करने के लिए उन्हें निर्दिष्ट प्रावधानों का पालन करना होगा।
लड़के अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं या फिर उन्हें निशुल्क दायित्व निभाने वाले न्यायालय में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इससे पहले वे इस विषय में किसी सलाहकार वकील से सलाह ले सकते हैं।
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिनियम भारत में, घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिलाओं की संरक्षण के लिए”दंड संहिता, 498ए के तहत विवाहित स्त्री के साथ क्रूरता” एवं “दामिनी कानून” जिसे “पुरुषों के लिए परिवार के सदस्यों के खिलाफ हिंसा (प्रतिष्ठान) अधिनियम” भी कहा जाता है। इस अधिनियम के तहत, भारत में किसी भी पति या परिवार के सदस्य को यह अधिकार देता है की वे किसी भी प्रकार के घरेलू हिंसा का शिकार होने पर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
यदि कोई पति किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा का शिकार होता है तो उसे इस अधिनियम के तहत शिकायत करने का अधिकार होता है। अधिनियम के अनुसार, शिकायत करने के लिए पति को स्थानीय पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करवानी होती है। उसके बाद पति की शिकायत पर पुलिस एक अधिकारी को नियुक्त करके शिकायत की जांच करती है। यदि प्रमाणित होता है कि घरेलू हिंसा की घटना घटी है, तो शिकायत पर आधारित जानकारी के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाती है।
महिला संरक्षण अधिनियम के अलावा, भारत के अन्य कुछ राज्यों में भी पुरुषों के लिए अलग-अलग कानून हैं जो उन्हें घरेलू हिंसा से बचाने के लिए मदद करते हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
मध्य प्रदेश पुरुषों के लिए, परिवार के सदस्यों के खिलाफ हिंसा अधिनियम, 2019। जिसके तहत पुरूष परिवार के सदस्यों के खिलाफ तहत दर्ज करा सकता है।
उत्तर प्रदेश पुरुषों के लिए परिवार के सदस्यों के खिलाफ हिंसा निवारण अधिनियम, 2020
महाराष्ट्र पुरुषों के लिए घरेलू हिंसा (प्रतिष्ठान) अधिनियम, 2017।
इन अधिनियमों के तहत, पति या परिवार के सदस्य को घरेलू हिंसा का शिकार होने पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यदि इस तरह की शिकायतों का सत्यापन होता है, तो आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाती है।
क्या पति तलाक ले सकता है या नहीं?
जवाब : जी हां,बिल्कुल। एक प्रताड़ित पति, हिंदू विवाह और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत तलाक के लिए आवेदन कर सकता है। यदि वह सही साबित होता है तो कानूनन उस प्रताड़ित पति को तलाक मिल भी सकता है।
किन परिस्थितियों में पति, पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं?
पत्नी अगर अपने पति को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करती है, या फिर किसी झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देकर ब्लैकमैल करती है तो पति भी उसके खिलाफ प्राथमिकी यानी फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट यानी की FIR, धारा 154 के तहत दर्ज करा सकता है।
अगर पत्नी 498A के तहत दहेज प्रताड़ना के झूठे मामले में फंसाने की धमकी दे रही है या फिर आत्महत्या करने की बात कह कर पति को धमका रही है, उस परिस्थिति में भी पति पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है।
अगर पति के अपनी पत्नी के साथ संबंध सही नहीं चल रहा है, तो ऐसी परिस्थिति में वह पति हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 9 के तहत मुकदमा दर्ज करा सकते हैं।
इसके अलावा पति को यह अधिकार होता है की वे पत्नी के खिलाफ फैमिली कोर्ट में भी लिखित शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकयत दर्ज होने के बाद पति पत्नि दोनो की फैमिली कोर्ट में पति-पत्नी की काउन्सलर के द्वारा काउंसलिंग की जाती है।
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