व्यक्ति सारी उम्र पैसे और प्रतिष्ठा के लिए काम करता है। लोग अपनी प्रतिष्ठा को जीवन के सबसे बड़ी कमाई मानते हैं। अगर कोइ किसी की प्रतिष्ठा पर कीचड उछाले तो उसे कानूनी भाषा में मानहानि कहते हैं। इसके लिए कानून भी बना है। भारतीय कानून में प्रतिष्ठा को व्यक्ति की संपत्ति मानते हुए उसकी सुरक्षा के प्रावधान किये हैं। अपने सम्मान की रक्षा के लिए व्यक्ति कोर्ट जा सकता है और झूठी या अपमानजनक टिप्पणी करने वाले को सजा भी दिलवा सकता है। आइये जानते हैं क्या है मानहानी और इसके लिए कोर्ट में केस कैसे किया जाता है।
इन्डियन पीनल कोड यानि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 में व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा के प्रावधान हैं। इन्डियन पीनल कोड (IPC) की धारा 499 के अनुसार किसी के विषय में अपमान जनक टिप्पणी करना, झूठी बात फैलाना, उसकी प्रतिष्ठा के खिलाफ कुछ लिखना, छापना या छपवाना मानहानि माना जाता है।
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आइये थोड़ा और विस्तार से जानते हैं कि कानून में किन बातों को मानहानि माना गया है-
- किसी भी मृत व्यक्ति के लिए ऐसी टिप्पणी करना जो उसकी ख्याति को नुकसान पहुंचाती हो। और उसके परिवार या करीबी रिश्तेदारों की भावनाओं को आहात करती हो।
- ठीक यही बात किसी कंपनी, संगठन या व्यक्तियों के समूह पर भी लागू होती है।
- किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर व्यंग्य के रुप में कही गयी बात भी मानहानि मानी जाती है।
- मानहानिकारक टिप्पणी को प्रकाशित करना अथवा बेचना भी मानहानि माना जाता है
किसे नहीं माना जाता मानहानि
मानहानि के अंदर आने वाली बाते जानने के साथ ये जानना भी जरूरी है कि किन बातों को मानहानी नहीं माना जाता। किसे व्यक्ति के लिए की गयी सच्ची टिप्पणी मानहानि के अन्दर नहीं आती है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति के बारे में अगर सच्ची टिप्पणी की गयी हो तो उसे मानहानि नहीं माना जाता। इसमे भी यदि ऐसी टिप्पणी सार्वजनिक हित में की गयी हो तो मानहानी नहीं कहलाती। इसके अलावा यदि कोइ व्यक्ति किसी भी प्रसिद्द या पब्लिक फिगर के सार्वजनिक आचरण के बारे में टिपणी करें जो सार्वजनिक हित में हो, लोगों की भलाई के लिए हो, उन्हें सचेत करने के लिए हो तो इसे मानहानि नहीं माना जाता है।
मानहानि के लिए क्या है कार्यवाही
मानहानी को समझने के बाद अब जानते हैं कि इसके लिए कार्यवाही क्या होती है। कोइ भी ऐसा व्यक्ति जिसकी प्रतिष्ठा यानी के मान की हानि हुई हो वो CR.P.C. की धारा 499 के अंतर्गत मानहानि करने वाले व्यक्ति पर आपराधिक मुकदमा दायर कर सकता है। मानहानि का मुक़दमा एक व्यक्ति या उसमे शामिल व्यक्तियों या समूह पर आपराधिक मुकदमा दायर कर सकता है। यदि मानहानिकारक टिप्पणी से किसी व्यक्ति या उसके व्यवसाय की या दोनों की हानि हुई है तो वो हर्जाने के लिए भी कोर्ट में केस दाखिल कर हर्जाना लिया जा सकता है।
कैसे करें शिकायत
आइये अब जानते हैं कि मानहानि की शिकायत कैसे की जाती है। मानहानि करने वाले के खिलाफ वकील के माध्यम से मानहानि संबंधी सभी दस्तावेजों के साथ कोर्ट में लिखित शिकायत करनी होती है। इसके बाद कोर्ट उसक व्यक्ति का बयान दर्ज करेगा जिसने कोर्ट में शिकायत की है। यदि कोर्ट को लगता है तो वो एक या दो गवाहों के बयान भी दर्ज करेगा। इन बयानों के आधार पर यदि कोर्ट वादी की शिकायत को सही पाटा है तो मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को को कोर्ट में पेश होने के लिए समन जारी करता है।
मानहानी का मुकदमा दर्ज करवाने के लिए छोटी सी कोर्ट फीस जमा करनी होती है। अगर हर्जाने की मांग भी की गयी है तो मांगे गए हर्जाने के 5 से 7 प्रतिशत कोर्ट फीस के रूप में जमा करना होता है। अलग.अलग राज्यों में कोर्ट फीस अलग.अलग हो सकती है। मानहानि के मामले में वादी को केवल इतना सिद्ध करना होता है कि टिप्पणी सार्वजनिक रूप से की गयी और वो अपमानजनक थी। उसे यह सिद्ध नहीं करना पड़ता कि वो टिप्पणी झूठी थी। अपनी बात को सही साबित करना बचाव पक्ष काम है कि उसने जो टिप्पणी की थी वह सही थी।
मानहानि के लिए सजा
CR.P.C में मानहानि की परिभाषा बताई गयी है। इसमे यह बताया गया है कि मानहानि क्या होती है व कितने प्रकार की हो सकती है। इसमें सजा का प्रावधान धारा 500 CR.P.C. में दिया गया है । इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति ऐसा अपराध करेगा तो उसे दो साल के कारावास व जुर्माने या दोनो की सजा भुगतनी होगी।
झूठे मुकदमे से बचाव
इस क़ानून का दुरुपयोग ना हो इसके लिए भी प्रावधान है। अगर कोई व्यक्ति ईर्ष्या या द्वेष की भावना से या किसी को ब्लेकमेल करने के इरादे से मानाहानी का झूठा केस करता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ ही मुकदमा किया जा सकता है। साथ ही वो अपने अपमान और हेरेस्मेंट के लिए कोर्ट के माध्यम से मुआवजे की भी मांग कर सकता है। हर्जाने की मांग आर्धिक तथा मानसिक दोनों प्रकार के आघात की भरपाई के लिए की जा सकती है।