भारत में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पाने की प्रक्रिया क्या है?

भारत में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पाने की प्रक्रिया क्या है?

उत्तराधिकारी शब्द का अर्थ होता है किसी भी व्यक्ति के न रहने पर उसके सारे अधिकार प्राप्त कर लेने वाला व्यक्ति। कानूनी तौर पर मुख्य रूप से उत्तराधिकार का अर्थ संपत्ति और प्रॉपर्टी के हिस्सेदारी से होता है। भारतीय कानून में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की भी व्यवस्था है और यह प्रमाण पत्र तब जारी किया जाता है। जब कोई व्यक्ति जो किसी प्रॉपर्टी का मालिक होता है लेकिन अपनी प्रॉपर्टी का किसी दूसरे व्यक्ति को बिना उत्तराधिकारी बनाएं मर जाता है। ऐसी स्थिति में भारतीय कानून उसे व्यक्ति के बेटे या बेटी के नाम उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश देता है तथा संपूर्ण प्रॉपर्टी उनके बच्चों के नाम हस्तांतरित कर दी जाती है।

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र क्या है?

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र का उपयोग मुख्य रूप से किसी ऐसे मृत व्यक्ति की प्रॉपर्टी को जिसने अपने जीते जी किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया है उसे हस्तांतरित करने के लिए किया जाता है। भारतीय कानून में इस प्रक्रिया को भारतीय उत्तराधिकार कानून 1925 के नाम से जाना जाता है। 

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उत्तराधिकार प्रमाण प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है?

यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई है तो कानून के हिसाब से उनके बच्चों का उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनाया जा सकता है इसके लिए एक निश्चित कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है। 

उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए सबसे पहले सिविल कोर्ट के लिए एक याचिका तैयार करनी होती है। जिसमें उक्त व्यक्ति की मृत्यु कब हुई है, मृत्यु का कारण क्या था, व्यक्ति के पास प्रॉपर्टी कितनी थी यह सभी विवरण से स्पष्ट एवं सही-सही लिखने होते हैं। 

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उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जो व्यक्ति याचिका दायर करता है उसे एक शपथ पत्र भी साथ में जमा करना होता है, जिस पर लिखा होता है कि वह व्यक्ति मृत व्यक्ति की प्रॉपर्टी का अधिकारी है। 

याचिका कर्ता को मुख्य रूप से बस इतना ही काम करना पड़ता है इसके आगे का काम सिविल कोर्ट के जज का होता है। 

सिविल कोर्ट से उत्तराधिकार की याचिका दायर करने के बाद याचिकर्ता को कोर्ट में उपस्थित होना पड़ता है| कोर्ट में यदि जज को संशय हो तो वह उत्तराधिकारी होने के नाते उसका संबंध पूछ सकते हैं। इसके बाद कोर्ट अपने विवेक से इस मामले की जांच करेगा और उसे लगता है कि उक्त व्यक्ति ही मृत व्यक्ति का सच्चा उत्तराधिकारी है तो 45 दिन के भीतर उस व्यक्ति का उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनाकर तैयार हो जाता है। 

यह उत्तराधिकार प्रमाण पत्र भारत के किसी भी हिस्से में संपूर्ण रूप से मान्य होता है। इसके बाद मृतक की सारी प्रॉपर्टी यहां तक कि यदि उसके पास शेयर मार्केट अथवा म्युचुअल फंड जैसे जगह पर भी पैसा लगा है तो उस सारी संपत्ति पर उत्तराधिकारी अपना दावा कर सकता है।

अतः उत्तराधिकार एक प्रभावशाली प्रमाण पत्र होता है इसके बनने के बाद व्यक्ति कानूनी तौर पर मृत व्यक्ति की प्रॉपर्टी पर अपना अधिकार प्राप्त कर सकता है। इसलिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया थोड़ा सा समय लेती है लेकिन निष्पक्ष तरीके से काम करती है । 

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