कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी दस्तावेज की पूरी जानकारी?

Complete information about documents required for court marriage

कोर्ट मैरिज भारत में Special Marriage Act, 1954 के तहत दो बालिग व्यक्तियों के बीच होने वाला कानूनी विवाह है, जिसमें किसी भी जाति, धर्म या समुदाय की बाधा नहीं होती। इस प्रक्रिया में धार्मिक रीति-रिवाजों की कोई आवश्यकता नहीं होती, और शादी रजिस्ट्रार के सामने वैधानिक रूप से संपन्न होती है।

कोर्ट मैरिज का प्रमुख लाभ यह है कि इसमें धर्म, जाति, पंथ या समुदाय की कोई सीमा नहीं होती। इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान हो, ईसाई हो, या किसी अन्य धर्म का हो, वह विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी कर सकता है। इसके अतिरिक्त, इस प्रक्रिया में पारंपरिक विवाह की तुलना में अधिक औपचारिकता और कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाती है।

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कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी दस्तावेज़

कोर्ट मैरिज के लिए कुछ आवश्यक दस्तावेज़ होते हैं जिन्हें पूरा करना आवश्यक है। इन दस्तावेज़ों में पहचान प्रमाण, आयु प्रमाण, गवाहों के दस्तावेज़, और शपथ पत्र शामिल हैं।

इन दस्तावेज़ों को सही तरीके से और समय पर प्रस्तुत करना विवाह की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाता है।

यह विवाह बिना धार्मिक रीति-रिवाजों के भी पूरी तरह वैध माना जाता है।

दस्तावेज़विवरण
आवेदन पत्र (Form A)विवाह के 30 दिन पहले रजिस्ट्रार को भरकर देना होता है
पासपोर्ट साइज फोटोवर-वधु: 4-4, गवाह: 1-1
पहचान पत्रआधार कार्ड, वोटर ID, पासपोर्ट या DL
जन्म प्रमाण / आयु प्रमाण10वीं की मार्कशीट या जन्म प्रमाण पत्र
शपथ पत्र (Affidavit)यह घोषणा करता है कि: वे विवाहित नहीं हैं, आपसी सहमति है, कोई कानूनी बाधा नहीं
वैवाहिक स्थिति के दस्तावेज़ (यदि लागू हो)तलाक पत्र / मृत्यु प्रमाण पत्र
गवाहों के दस्तावेज़PAN कार्ड, ID प्रूफ, फोटो (3 गवाह अनिवार्य)
फीस / शुल्क₹500 – ₹1000 (राज्य अनुसार); वकील फीस अलग

विशेष परिस्थितियों के लिए दस्तावेज़

स्थितिअतिरिक्त दस्तावेज़
विदेशी नागरिकपासपोर्ट, वीजा, अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC)
अंतर-राज्यीय विवाहस्थानीय निवास प्रमाणपत्र
धर्म परिवर्तन (यदि किया हो)धर्म परिवर्तन प्रमाण पत्र

कोर्ट मैरिज की कानूनी प्रक्रिया: Step-by-Step

विवाह नोटिस (30 दिन पहले)

  • दूल्हा-दुल्हन आवेदन पत्र (Form A) विवाह अधिकारी को देते हैं
  • दोनों का स्थायी पता और दस्तावेज़ लगाना जरूरी
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नोटिस बोर्ड पर प्रकाशन

  • विवाह कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर 30 दिन तक नोटिस चस्पा किया जाता है
  • कोई भी व्यक्ति इस विवाह पर आपत्ति दर्ज कर सकता है

वैध आपत्ति न होने पर विवाह तिथि तय

अगर कोई वैधानिक आपत्ति नहीं आती, तो विवाह की तारीख निर्धारित होती है

विवाह समारोह और शपथ

  • विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय में वर-वधु और 3 गवाहों की उपस्थिति में विवाह संपन्न होता है
  • दोनों पक्ष एक-दूसरे को “I accept” कहकर विवाह में प्रवेश करते हैं

विवाह का रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र जारी

  • विवाह अधिकारी उसी दिन Marriage Certificate जारी करता है
  • यह प्रमाण पत्र पासपोर्ट, वीज़ा, प्रॉपर्टी या बैंकिंग कार्यों में मान्य होता है

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया – चरणबद्ध जानकारी

विवाह नोटिस देना:

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया का पहला कदम विवाह नोटिस देना होता है। दूल्हा और दुल्हन को विवाह से 30 दिन पहले विवाह अधिकारी के पास एक निर्धारित फॉर्म में आवेदन करना होता है। इस आवेदन में सभी आवश्यक जानकारी भरनी होती है।

नोटिस बोर्ड पर प्रकाशित करना:

विवाह नोटिस देने के बाद, विवाह अधिकारी कार्यालय में नोटिस बोर्ड पर इसे चस्पा कर देता है। यह नोटिस 30 दिनों तक बोर्ड पर रहता है। इस अवधि के दौरान किसी भी तीसरे पक्ष को आपत्ति दर्ज कराने का अवसर मिलता है। अगर कोई वैध आपत्ति नहीं आती, तो विवाह की तिथि तय की जाती है।

आपत्ति ना आने पर विवाह तिथि तय होती है:

30 दिनों के नोटिस अवधि के बाद, यदि कोई आपत्ति नहीं आती, तो विवाह की तिथि तय की जाती है। इसके बाद, दूल्हा-दुल्हन और गवाहों की उपस्थिति में विवाह अधिकारी के सामने विवाह संपन्न किया जाता है।

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विवाह का रजिस्ट्रेशन:

विवाह का रजिस्ट्रेशन विवाह अधिकारी के सामने होता है। इसमें दूल्हा-दुल्हन और कम से कम तीन गवाहों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। रजिस्ट्रेशन के दौरान विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।

विवाह प्रमाण पत्र (Marriage Certificate) जारी:

विवाह के तुरंत बाद विवाह प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है, जो वैध कानूनी दस्तावेज़ के रूप में काम करता है। यह प्रमाण पत्र विवाह के कानूनी अस्तित्व को प्रमाणित करता है।

ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • सभी दस्तावेजों को सत्यापित (attested) करवा लें।
  • आवेदन करने से पहले दोनों पक्षों की उम्र की पुष्टि आवश्यक है।
  • अगर किसी पक्ष ने पूर्व में विवाह किया है तो उसके वैध दस्तावेज ज़रूर शामिल करें।
  • सभी गवाह बालिग और भारतीय नागरिक होने चाहिए।

कुछ जरूरी कानूनी बिंदु जो ध्यान में रखें

  • दोनों पक्षों की उम्र: लड़का ≥ 21 वर्ष, लड़की ≥ 18 वर्ष
  • सभी दस्तावेज़ों की अटेस्टेड कॉपी + ओरिजिनल साथ रखें
  • सभी गवाह भारतीय नागरिक और बालिग होने चाहिए
  • अगर किसी पक्ष का पूर्व विवाह हुआ हो, तो उसका प्रमाण पत्र जरूरी है
  • विवाह कार्यालय में समय से पहुंचे, सभी गवाहों सहित

सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय

नंदिनी प्रवीण बनाम भारत संघ (2020)

इस याचिका में, याचिकाकर्ता ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धाराओं 6(2), 6(3), 7, 8, 9 और 10 को चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि ये प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत समानता, गैर-भेदभाव और निजता के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। याचिका में विशेष रूप से विवाह से पहले सार्वजनिक सूचना देने की आवश्यकता पर सवाल उठाया गया, जो अंतर-धार्मिक जोड़ों की निजता का उल्लंघन कर सकता है।​

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सुप्रियो चक्रवर्ती और अन्य बनाम भारत संघ (2023)

इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने समान-लैंगिक विवाह को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत मान्यता देने की याचिकाओं को खारिज कर दिया। पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निर्णय दिया कि विवाह का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है, और समान-लैंगिक विवाहों को विशेष विवाह अधिनियम में शामिल करना संसद का कार्यक्षेत्र है।​

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FAQs

Q1. क्या कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की अनुमति चाहिए?

नहीं, यदि दोनों बालिग हैं और आपसी सहमति है तो अनुमति आवश्यक नहीं।

Q2. क्या कोर्ट मैरिज एक ही दिन में हो सकती है?

नहीं, Special Marriage Act के तहत 30 दिन का नोटिस पीरियड अनिवार्य है।

Q3. क्या धर्म परिवर्तन ज़रूरी है?

नहीं, यह एक धर्मनिरपेक्ष अधिनियम है। किसी धर्म को अपनाना अनिवार्य नहीं।

Q4. क्या मैरिज प्रमाण पत्र तुरंत मिलता है?

हां, विवाह के दिन ही Marriage Certificate जारी किया जाता है।

Q5. अगर विदेशी नागरिक से विवाह हो तो क्या करना होता है?

पासपोर्ट, वीजा, NOC और स्थायी पता प्रमाण साथ में लगाना होता है।

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