समाज के अंदर विभिन्न जातियों के बीच विवाह का मुद्दा भारत में एक पुराना और गंभीर मुद्दा रहा है। इसमें जातिवाद की बुराई, सामाजिक विभाजन, और भिन्न-भिन्न समुदायों के बीच संघर्ष शामिल होता है। इस सब को हतोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने अंतर-जातीय विवाह योजना की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य विवाह के माध्यम से जातिवाद को खत्म करना और समाज में समरसता को प्रोत्साहित देना है। इस लेख में, हम अंतर-जाति विवाह योजना के महत्व, लक्ष्य, और लाभों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और देखेंगे कि यह कैसे भारतीय समाज के समरसता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अंतर-जाति विवाह का मतलब
अंतर-जाति विवाह एक ऐसा विवाह है जिसमें दो व्यक्तियों के बीच विभिन्न जातियों का संबंध होता है। भारत में सामान्यत: जाती, गोत्र और धर्मं देखा कर विवाह किये जाते हैं। दूसरी जाती में शादी करना सामाजिक शर्मा का विषय माना आजाता है, और यही जातिवाद को बढ़ावा देता है। भारतीय समाज में विभिन्न जातियों के बीच किए जाने वाले सामाजिक और आर्थिक प्रतिबंधों को जातिवाद कहा जाता है, जिसका परिणाम यह होता है कि लोगों के बीच सामाजिक संबंधों में ऊंच नीच आदि विभिन्न प्रकार की कुरीतियां देखी जा सकती हैं। अंतर-जाति विवाह इस जातिवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज में एकता और समरसता को प्रोत्साहित करता है।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
अंतर-जाति विवाह योजना के लक्ष्य
अंतर-जाति विवाह योजना के मुख्य उद्देश्य विवाह के माध्यम से जातिवाद को कम करना और समाज में समरसता को प्रोत्साहित करना है, लेकिन इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण लक्ष्य हैं:
समाज में समरसता को बढ़ावा देना
अंतर-जाति विवाह योजना समाज में समरसता को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न समुदायों के बीच सामाजिक समरसता को भी प्रोत्साहित करती है। यह विवाह विभिन्न जातियों के बीच सामाजिक संबंधों को मजबूती देता है और जातिवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है।
समाज के विकास में योगदान
जब समाज में भेद-भाव नहीं होता है तो एकता होती है और वो उन्नति की और ले जाती है| इस योजना के माध्यम से, समाज के विकास में विभिन्न जातियों के लोग भागीदार बनते हैं। परिणामस्वरूप अधिक लोगों को शिक्षा, रोजगार, और अन्य सामाजिक योग्यताओं का लाभ मिलता है, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास होता है।
आर्थिक सुधार
अंतर-जाति विवाह योजना एक आर्थिक सुधार का भी हिस्सा है, क्योंकि इसके माध्यम से विवाह करने वाले जोड़े को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और उन्हें आगे के जीवन में अधिक निर्भरता और स्वतंत्रता मिलती है।
योजना के लिए पात्रता
अंतर-जाति विवाह योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ मान्यता प्राप्त करने वाले मानद एवं शर्तें होती हैं, जैसे कि:
न्यूनतम आय सीमा
योजना के अनुसार, विवाह करने वाले जोड़े की आय को निर्धारित सीमा से कम होना चाहिए। इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सहायता पहुंचाना है।
समय सीमा
अंतर्जातीय विवाह करने वाले जोड़े को इस विवाह योजना के तहत आर्थिक लाभ लेने के लिए एक निश्चित समय सीमा का पालन करना पड़ता है| अर्थात इस आर्थिक लाभ को लेने के लिए उन्हें विवाह के एक साल के भीतर-भीतर आवेदन करना अनिवार्य है|
अंतरजातीय विवाह करने पर कितना पैसा मिलता है?
अंतरजातीय विवाह करने पर प्रोत्साहन के रूप में अलग-अलग राज्यों की सरकारी अलग-अलग धनराशि देती हैं।
जैसे अंतरजातीय विवाह के लिए, राजस्थान सरकार 10 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि देती है। मध्य प्रदेश सरकार की अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत, सामान्य जाति के युवक-युवतियों द्वारा अनुसूचित जाति के युवक-युवतियों के साथ अंतर्जातीय विवाह करने पर 2 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
वहीं बिहार की तरफ से ढाई लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है और उत्तर प्रदेश में यह आर्थिक सहायता ₹50000 है इसके अतिरिक्त डॉ भीमराव अंबेडकर फंड से ढाई लाख रुपए का पुरस्कार भी दिया जाता है।
केंद्र सरकार भी अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए योजना चलाती है. इस योजना के तहत, जोड़ों को 2 लाख 50 हज़ार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
किसी भी तरह की कानूनी सहायता के लिए आज ही लीड इंडिया से संपर्क करें।