भारत में सिविल वकील क्या करते हैं?

भारत में सिविल वकील क्या करते हैं?

किसी भी तरह के कानून से जुड़े मुद्दों को सुलझाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान वकील का ही रहता है। क्योंकि दिन प्रतिदिन कई तरह के अलग-अलग कानूनी मामले सामने आते हैं इसलिए हर वकील हर मामलों में विशेषज्ञ नहीं होता है। एक वकील की भूमिका विभिन्न कानूनी क्षेत्राधिकारों में अलग अलग होती है।

एक वकील  सरकारी वकील, अटॉर्नी, बैरिस्टर, कैनन वकील, सिविल लॉ नोटरी वकील, परामर्शदाता, सॉलिसिटर जैसे कई अलग क्षेत्रों में अपनी रुचि के आधार पर भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक भूमिका के अलग-अलग कार्य और विशेषाधिकार होते हैं। 

मुख्य तौर पर वकीलों का काम लोगों को कानूनी सलाह देना और उनकी बात को कानून संगत व प्रभावी तरीके से रखना होता है। क्योंकि देश के अंदर अलग-अलग प्रकार के केसेज होते हैं इसलिए वकीलों को भी उनके सेक्टर के हिसाब से विभाजित कर दिया जाता है जैसे दीवानी वकील सिविल वकील आदि।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

आज हम अपने इस ब्लॉग पोस्ट में जानेंगे कि आखिर सिविल वकील क्या करते हैं और कैसे कोई व्यक्ति सिविल वकील बन सकता है?

सिविल वकील, अपने मुवक्किल की शिकायतों या दावों को कानूनी तरीके से निपटाने का काम करते हैं। वे अपने ग्राहक के गैर-आपराधिक कानूनी विवादों की सुरक्षा के लिए कानून के सभी उपलब्ध प्रावधानों का इस्तेमाल करते हैं। 

सिविल वकील की भूमिका

वैसे तो सिविल वकीलों को तमाम तरह के कानूनी मामलों का ज्ञान होता है उनके बारे में पढ़ाई की होती है। लेकिन खास तौर पर सिविल मामलों में सिविल वकीलों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर भारत में सिविल कानून की बात करें तो तमाम तरह के अपराधों को सिविल कानून के अंतर्गत रखा गया है जैसे किसी एग्रीमेंट का उल्लंघन करना, किसी की हत्या करना , पारिवारिक विवाद में किसी अपराध को अंजाम देना, बलात्कार करना, कानूनी मामलों में लापरवाही करना यह सब सिविल कानून के अंतर्गत आते हैं। 

इसे भी पढ़ें:  लिव-इन संबंध में रहने वाले लोगों के कानूनी अधिकार क्या है?

अगर हम इसे और विस्तार से समझना चाहे तो मुख्य रूप से सिविल वकील निम्नलिखित जिम्मेदारियां निभाते हैं।

  • आम तौर पर सिविल वकील संपत्ति के मामले, वैवाहिक और पारिवारिक मामले, वसूली के मामले, रोजगार के मामले, नागरिक कानून के अंतर्गत आने वाले अन्य मामलों में कानूनी सलाह देते हैं।
  • सिविल वकीलों के क्षेत्र में आने वाले मामलों में मुख्य रूप से संपत्ति और कानूनी दावों से जुड़े विवाद शामिल होते हैं।
  • सिविल वकील लोगों को उनके कानूनी अधिकारों को स्वीकार करने और प्राप्त करने में मदद करते हैं।
  • ये अपने ग्राहकों को उनकी स्वतंत्रता और कानूनी प्रक्रिया के बारे में जागरूक भी करते रहते हैं।
  • जनहित में वकील समाज की बेहतरी के लिए नागरिक अभियानों की वकालत भी करते हैं।

अक्सर सिविल वकील सबसे पहले संबंधित पक्ष से मिलते हैं, उनके मामले को विस्तार पूर्वक जानते हैं, फिर गवाह से मिलते हैं और उसके बाद एक मजबूत पक्ष की आधारशिला रखते हैं।  

भारत में सिविल वकील कैसे बना जा सकता है?

भारत में अगर आप सिविल वकील बनना चाहते हैं तो आपको कुछ कदम उठाने अत्यंत आवश्यक हैं।

  • 10+2 के बाद पांच साल का बीए एलएलबी कोर्स करना होगा।
  • अगर आपने ग्रेजुएशन कर लिया है तो 3 साल का एलएलबी कोर्स करना होगा।
  • किसी कानूनी फर्म में अथवा किसी वकील के साथ इंटर्नशिप करनी होगी।
  • बार काउंसिल ऑफ़ इण्डिया (बीसीआई) के साथ पंजीकरण करना होगा।
  • भारत में कानून प्रक्टिस करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा।

अतः भारत में सिविल वकीलों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अपेक्षाकृत अन्य वकीलों से उनके पास अधिक मामले होते हैं। 

इसे भी पढ़ें:  आर्बिट्रेशन और मीडीएशन के बीच क्या अंतर है?

किसी भी तरह की लीगल हेल्प के लिए आज ही लीड इंडिया से संपर्क करें हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की एक पूरी टीम है जो आपकी हर संभव सहायता करने में मदद करेगी।

Social Media