इलीगल टर्मिनेशन में कितना कंपनसेशन मिलता है?

इलीगल टर्मिनेशन में कितना कंपनसेशन मिलता है?

कर्मचारी को निकालना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसे कानूनी नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए। कभी-कभी कंपनियां कर्मचारियों को गलत कारणों से निकाल देती हैं, जिससे उन्हें मानसिक और वित्तीय नुकसान होता है।

कुछ कंपनियां कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं करती और कर्मचारियों को उनके लिंग, उम्र, या जाति के आधार पर निकाल देती हैं। यह भारतीय एंटी-डिस्क्रिमिनेशन लॉ का उल्लंघन है। इसके अलावा, कुछ कंपनियां कर्मचारियों को बिना उचित कंपनसेशन या नोटिस के निकाल देती हैं, जो भारतीय लेबर लॉ के खिलाफ है।

इलीगल टर्मिनेशन क्या है? 

इलीगल टर्मिनेशन तब होता है जब किसी कर्मचारी को काम से निकाल दिया जाता है जो कि लेबर लॉ या कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का उल्लंघन करता है। इससे कर्मचारियों को मानसिक तनाव, वित्तीय संकट, और भविष्य में नौकरी मिलने की संभावनाओं पर असर हो सकता है। कंपनियों को अवैध तरीके से कर्मचारियों को निकालने पर कंपनसेशन देना पड़ सकता है।

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नौकरी से निकालना कब अवैध होता है

  • कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन: अगर किसी कर्मचारी को उनके रोजगार समझौते के खिलाफ निकाला जाता है, तो यह अवैध माना जाता है। आम तौर पर, ऑफर लेटर में लिखा होता है कि कंपनी को 1, 2, या 3 महीने का नोटिस देना होगा। अगर कंपनी यह नोटिस नहीं देती, तो उसे उन महीनों की सैलरी के बराबर जुर्माना भरना पड़ सकता है।
  • भेदभाव: अगर किसी को उनकी उम्र, लिंग, जाति, या धर्म के आधार पर निकाला जाता है, तो यह भेदभाव होता है।
  • प्रतिशोध: अगर किसी कर्मचारी को सिर्फ इसलिए निकाला जाता है कि उसने अवैध व्यवहार की रिपोर्ट की या कानूनी अधिकारों का उपयोग किया, तो यह प्रतिशोध होता है।
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कानूनी प्रावधान

  • इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट, 1947: कर्मचारियों को निकालने से पहले 30 से 90 दिन का नोटिस देना जरूरी है। 100 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की मंजूरी लेनी होती है।
  • इंडस्ट्रियल एंप्लॉयमेंट (स्टैंडिंग ऑर्डर) एक्ट, 1946: कंपनियों को अपनी सर्विस की शर्तें सरकारी अधिकारियों से मंजूर करानी होती हैं।
  • फैक्ट्री एक्ट, 1948: नौकरी से निकालने के समय उपयोग न की गई छुट्टियाँ नोटिस अवधि में शामिल नहीं की जाएंगी और छुट्टी का भुगतान अगले कामकाजी दिन तक किया जाना चाहिए।
  • मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट, 1961: महिला कर्मचारियों को मैटरनिटी लीव के दौरान नौकरी से निकालना मना है।

कर्मचारियों के लिए कानूनी उपाय

  • कर्मचारी कानूनी कार्रवाई के लिए पहले क़ानूनी नोटिस भेजना होता फिर  मुकदमा दायर कर सकते हैं। वे नौकरी वापस पाने, बकाया सैलरी, वित्तीय नुकसान की भरपाई, और मानसिक तनाव के लिए मुआवजा मांग सकते हैं।
  • वे अपनी शिकायतें लेबर कमिश्नर, लेबर कोर्ट, या इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के तहत इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल में दर्ज करा सकते हैं।
  • अगर नौकरी के समझौते में आर्बिट्रेशन या कन्सिलिएशन का नियम है, तो कर्मचारी इन तरीकों से विवाद सुलझा सकते हैं।

गलत तरीके से निकालने पर कितना कंपनसेशन मिलेगा?

गलत तरीके से निकालने पर आपको  रुकी हुई सैलरी, बोनस, कमीशन, और अन्य लाभ की भरपाई मिलेगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कंपनसेशन की राशि 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1,50,000 रुपये कर दी।

दिल्ली हॉर्टिकल्चर बनाम दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक टेम्पररी कर्मचारी को गलत तरीके से नौकरी से निकालने का मामला सुना। कोर्ट ने कर्मचारी को नौकरी पर वापस रखने के बजाय 23,000 रुपये कंपनसेशन देने का आदेश दिया।

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कोर्ट ने कंपनसेशन के पक्ष में ये कारण दिए

  • कर्मचारी ने सिर्फ 11 महीने काम किया था।
  • उसे निकालने के बाद किसी जूनियर कर्मचारी को नहीं रखा गया।
  • वह टेम्पररी वर्कर था और डेली वेजेस पर काम करता था।
  • निकालने और केस की सुनवाई के बीच 8 साल का अंतर था।
  • निकालने के समय उसकी उम्र 18-19 साल थी और 8 साल बाद भी उसे टेम्पररी वर्कर के रूप में ही रखा जाता।

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