जे.जे एक्ट के तहत एडॉप्शन कैसे होता है?

जे.जे एक्ट के तहत एडॉप्शन कैसे होता है?

भारत में बाल संरक्षण और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कई कानून और नीतियाँ बनाई गई हैं। जे.जे. एक्ट इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस एक्ट के तहत बच्चों के लिए एक सुरक्षित और संरक्षित वातावरण बनाने का प्रयास किया गया है, विशेषकर उन बच्चों के लिए जो बिना देखरेख के रह गए हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे जे.जे. एक्ट के तहत एडॉप्शन की प्रक्रिया संचालित होती है।

जे. जे एक्ट क्या है?

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, जिसे पहले 2000 में लागू किया गया और बाद में 2006 और 2015 में संशोधित किया गया है। यह बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को उचित देखभाल और संरक्षण प्रदान करना है। इस एक्ट के तहत, यदि कोई बच्चा बिना देखभाल के पाया जाता है या उसके परिवार में कोई संकट है, तो उसे संरक्षण के लिए राज्य द्वारा जिम्मेदारी दी जाती है।

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एडॉप्शन की प्रक्रिया क्या है?

आवेदन

एडॉप्शन की प्रक्रिया की शुरुआत एक आवेदन से होती है। इच्छुक व्यक्ति या दंपत्ति को अपने स्थानीय चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) में आवेदन करना होता है। आवेदन में व्यक्तिगत जानकारी, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और गोद लेने के इच्छुक बच्चे की उम्र और स्थिति का विवरण देना होता है।

जांच करना

आवेदन प्राप्त होने के बाद, CWC द्वारा एक जांच की जाती है। यह जांच यह सुनिश्चित करने के लिए होती है कि गोद लेने वाला व्यक्ति या कपल्स बच्चे के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सके। इसमें वित्तीय स्थिति, स्वास्थ्य, और सामाजिक स्थिति की जांच शामिल होती है।

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फैमिली काउंसलिंग 

जांच के बाद, CWC परिवार के सदस्यों के साथ काउंसलिंग करती है। इस चरण में, परिवार की संरचना, व्यवहार, और बच्चों के प्रति उनके दृष्टिकोण का मूल्यांकन किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि गोद लेने वाले व्यक्ति या दंपत्ति का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य ठीक है।

बच्चा चुनना

एक बार जब सभी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं, तो CWC की मदद से गोद लेने वाला व्यक्ति या कपल्स एक बच्चे को चुन सकते हैं। यह चयन बच्चे की जरूरतों और परिवार की परिस्थितियों के आधार पर किया जाता है।

कानूनी प्रक्रिया

बच्चा चुनने के बाद, कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है। इसमें अदालत में एक याचिका दायर की जाती है, जिसमें यह बताया जाता है कि गोद लेने वाले व्यक्ति या कपल्स बच्चे के लिए सबसे उपयुक्त हैं। अदालत इस याचिका पर विचार करती है और यदि सब कुछ ठीक पाया जाता है, तो गोद लेने की अनुमति दे दी जाती है।

गोद लेने का आदेश

अंत में, यदि अदालत ने सब कुछ सही पाया, तो वह गोद लेने का आदेश जारी करती है। इसके बाद बच्चा आधिकारिक रूप से गोद ले लिया जाता है, और उसके सारे अधिकार और जिम्मेदारियाँ गोद लेने वाले परिवार को ट्रांसफर हो जाती हैं।

एडॉप्शन के कानूनी पहलू क्या हैं?

  • जे.जे. एक्ट के तहत गोद लेने के लिए बच्चा आमतौर पर 18 वर्ष से कम उम्र का होना चाहिए। इसके साथ ही, बच्चे की उम्र के अनुसार गोद लेने वाले व्यक्ति की उम्र की भी आवश्यकताएँ होती हैं।
  • गोद लेने के लिए व्यक्ति या दंपत्ति को कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करना होता है। इसमें उनकी आय, मानसिक स्वास्थ्य, और सामाजिक स्थिति शामिल होती है।
  • गोद लिए गए बच्चों को भी अपने मूल अधिकारों की रक्षा का पूरा अधिकार होता है। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
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निष्कर्ष

जे.जे. एक्ट के तहत एडॉप्शन की प्रक्रिया एक विस्तृत और संवेदनशील मुद्दा है। यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे को एक सुरक्षित, प्यार और देखभाल करने वाला परिवार मिले। इसके साथ ही, यह प्रक्रिया कानूनी रूप से भी संरक्षित है, जिससे बच्चों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा की जा सके।

इस प्रकार, यदि आप किसी बच्चे को गोद लेने की सोच रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि आप इस प्रक्रिया को समझें और सभी कानूनी पहलुओं का पालन करें। यह न केवल बच्चे के लिए, बल्कि आपके परिवार के लिए भी एक महत्वपूर्ण निर्णय है।

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