पत्नी के द्वारा लगाए गए झूठे दहेज़ सहित अन्य केसेस से कैसे बचें?

पत्नी के द्वारा लगाए गए झूठे दहेज़ सहित अन्य केसेस से कैसे बचें?

भारत में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बन गए है, जिनमे से एक कानून बीएनएस की धारा 80 के तहत दिया गया है। यह धारा दहेज़ डेथ के बारे में बताता है, जो भारत में महिलाओं द्वारा अपने पति के खिलाफ मानसिक, शारीरिक, या किसी भी प्रकार की परेशानी या उत्पीड़न की शिकायत करने के लिए इस्तेमाल होता है।

यह कानून न केवल पति के खिलाफ, बल्कि ससुराल वालों के खिलाफ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर पति या उसके परिवार वाले किसी विवाहित महिला के साथ क्रूरता या किसी भी तरह की हरासमेंट करते हैं, तो उन्हें 7 साल तक की सजा हो सकती है, जो उम्रकैद तक भी बढ़ सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह कानून ऐसे व्यवहार को रोकने के लिए बनाया गया है।

महिलाओं द्वारा कानूनों का दुरुपयोग

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह हर कानून का पालन भी किया जा सकता है और उसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। एंटी-दहेज़ कानून जो महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुए हैं, वहीं ये पुरुषों के लिए मुश्किलें लेकर आए हैं। दर्ज किए गए सभी दहेज के मामले सही नहीं होते और 40% से अधिक मामलों में, महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोप झूठे होते हैं।

झूठे दहेज के आरोपों से निपटना पति और उसके परिवार के लिए बहुत मुश्किल हो सकता है। दहेज और घरेलू मामलों से जुड़े झूठे आरोपों में बढ़ोतरी समाज के लिए चिंता का विषय बन गई है। इन मामलों से निपटने के लिए अदालत ने हाल ही में कानून में कुछ बदलाव किए हैं और फैसले दिए हैं, ताकि झूठे मामलों को खत्म किया जा सके और जो लोग अपने फायदे के लिए कानून का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें सजा दी जा सके।

झूठे केस  के खिलाफ सुरक्षा कैसे प्राप्त करें?

झूठे दहेज के मामलों से बचने के लिए, कई नियम और तरीके उपयोग किए जा सकते हैं जो इन स्थितियों को संभालने में मदद करेंगे।

कानूनी सहायता – दहेज़ के मामलों में माहिर एक सक्षम वकील को  हायर करें। ऐसे आरोपों का सामना करना कठिन हो सकता है, इसलिए एक अच्छे वकील से सलाह लेना जरूरी है जो आपके केस की पूरी जानकारी समझ सके और सही मार्गदर्शन कर सके। हर मामला अलग होता है, इसलिए आरोपों का जवाब देने का तरीका भी केस के अनुसार अलग होता है।

 सभी सबूत और डॉक्यूमेंट इकट्ठा करें – अपनी निर्दोषता साबित करने के लिए सभी सबूत और डॉक्यूमेंट इकट्ठा करें, जैसे कि मैसेज, आपके और आपके परिवार के सदस्यों के बीच आपकी पत्नी और उनके रिश्तेदारों के साथ हुई बातचीत। आपकी पत्नी के घर से अपनी इच्छा से बाहर जाने और शादी से पहले या बाद में दहेज की कोई मांग न होने के सबूत इकट्ठा करें।

कोर्ट की कोई भी सुनवाई न छोड़ें – झूठे दहेज या घरेलू हिंसा के केस में हर कोर्ट की सुनवाई में शामिल होना बहुत जरूरी है। यह दिखाता है कि पति अपनी रक्षा को लेकर गंभीर है और उसे जवाब देने और सबूत पेश करने का मौका मिलता है। नियमित रूप से हाजिर रहना कोर्ट में गलत धारणाओं से बचाता है और केस की जानकारी रखता है, जिससे अच्छा परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

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एंटीसिपेटरी बेल के लिए अप्लाई करें – एंटीसिपेटरी बेल उस व्यक्ति को दी जाती है जिसे लगता है कि उसे नोन – बेलेबल ऑफेंस के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि उसकी पत्नी उसके खिलाफ झूठा केस दर्ज कर सकती है, तो वह एंटीसिपेटरी बेल के लिए आवेदन कर सकता है ताकि गिरफ्तारी से बचा जा सके।

अपनी पत्नी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं – अगर झूठी एफआईआर दर्ज हो जाती है, तो पति सीनियर पुलिस ऑफिसर या कमिश्नर के पास जाकर एक लिखित शिकायत दे सकता है। अगर मां या बहनें भी इस मामले में शामिल हैं, तो वह नेशनल  वुमन  कमीशन  में जाकर झूठे दहेज़ केस से बचाव की मदद ले सकती है।

एफआईआर को खारिज करवाएं – आप बीएनएसएस की धारा 528 के तहत झूठी एफआईआर को खारिज करने के लिए हाई कोर्ट से अनुरोध कर सकते हैं। जबकि अदालतें आमतौर पर एफआईआर को खारिज करने या कानूनी मामलों में इंटरफेयर  करने से हिचकिचाती हैं, लेकिन अगर आप मज़बूत सबूत पेश करते हैं तो वे ऐसा कर सकते हैं। मज़बूत सबूतों के साथ, अदालत के पास आपकी पत्नी द्वारा दर्ज की गई झूठी एफआईआर को खारिज करने का अधिकार है।

रेस्टिटूशन ऑफ कान्जगल राइट्स के लिए केस दर्ज करें – अगर आपकी पत्नी घर छोड़कर अपने परिवार के पास चली गई है, तो आप हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत रेस्टिटूशन ऑफ कान्जगल राइट्स के लिए केस दर्ज कर सकते हैं। इसमें आपको सभी शर्तें और नियम बताने का मौका मिलेगा, जिनका पालन करके आपकी पत्नी फिर से आपके साथ रहना शुरू कर सकती है।

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हाई कोर्ट को एप्रोच करें – अगर झूठे केस पर पति के खिलाफ कोई आदेश होता है, तो वह उस फैसले को हाई कोर्ट या राज्य के संबंधित अधिकारी के पास अपील कर सकता है।

झूठा केस दर्ज कराने पर क्या सजा होती है?

भारतीय न्याय संहिता, 2023 के धारा 248 में झूठे आरोप लगाने पर सजा का प्रावधान दिया  हुआ है। अगर कोई जानबूझकर किसी के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करता है या झूठे आरोप लगाता है, तो उसे कड़ी सजा मिल सकती है।

झूठे आरोप लगाने पर सजा में पांच साल तक की जेल, दो लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। अगर झूठा आरोप ऐसे गंभीर अपराध से जुड़ा है जो मौत की सजा, आजीवन कारावास, या दस साल या उससे ज्यादा की जेल का कारण बन सकता है, तो दोषी को दस साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।

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