भारत में एनआरआई शादी की प्रक्रिया क्या है?

What is the procedure for NRI marriage in India?

एनआरआई शादी भारतीय परिवार और विवाह कानून का एक महत्वपूर्ण भाग है। जब एक भारतीय नागरिक विदेश में रहकर शादी करता है, तो कई बार यह सवाल उठता है कि उस शादी की कानूनी स्थिति क्या होगी। क्या वह शादी भारतीय कानून के तहत पंजीकृत होगी? क्या विदेशी भूमि पर की गई शादी का भारत में कोई कानूनी असर होगा? इसके अतिरिक्त, शादी के बाद उत्पन्न होने वाले विवादों के समाधान में भी विभिन्न कानूनी मुद्दे सामने आते हैं।

एनआरआई विवाह से जुड़े कानूनी विवादों में दहेज, भरण-पोषण, तलाक, संपत्ति का अधिकार, और घरेलू हिंसा के मुद्दे आम हैं। इस ब्लॉग में हम एनआरआई शादियों से संबंधित कानूनी दृष्टिकोण, पंजीकरण प्रक्रिया, और संबंधित अधिकारों और कर्तव्यों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

एनआरआई विवाह के कानूनी आधार क्या है ?

भारत में, एनआरआई शादियों का कानूनी आधार मुख्य रूप से भारतीय परिवार कानून, विशेष विवाह अधिनियम, और भारतीय पर्सनल लॉ पर आधारित है। एनआरआई के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे जिस देश में रह रहे हैं, वहां के कानूनों को भी समझें और उसी के अनुरूप कार्य करें।

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत हिंदू धर्म के अनुयायी भारतीय नागरिकों के विवाहों को नियंत्रित किया जाता है। यदि कोई एनआरआई हिंदू है और भारत में शादी करता है, तो वह इस कानून के अधीन आता है।

विशेष विवाह अधिनियम, 1954 एक ऐसा कानून है जो सभी धर्मों के नागरिकों के लिए लागू है। यदि एनआरआई और उसका साथी अलग-अलग धर्मों के हैं, या दोनों धर्मों से संबंधित नहीं हैं, तो वे इस अधिनियम के तहत शादी कर सकते हैं। इसके तहत भारत में शादी करने वाले सभी नागरिकों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य है।

इसके अलावा, मुस्लिम पर्सनल लॉ भी मुस्लिम समुदाय के लिए लागू होता है, जो उनके विवाह और परिवारिक मामलों को नियंत्रित करता है। यदि एनआरआई मुस्लिम है, तो उसे अपने पर्सनल लॉ के तहत विवाह की प्रक्रिया को समझना होगा।

एनआरआई विवाह पंजीकरण कैसे किया जाता है?

भारत में विवाह के पंजीकरण की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर जब शादी विदेशी भूमि पर होती है। शादी के पंजीकरण से विवाह की वैधता और कानूनी अधिकार सुनिश्चित होते हैं।

विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत, भारत में शादी पंजीकरण के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया है:

शादी का आवेदन: एनआरआई को अपने शादी के पंजीकरण के लिए आवेदन करना होता है। यह आवेदन स्थानीय विवाह अधिकारी के पास किया जाता है।

दस्तावेज़: पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  • पासपोर्ट की प्रतिलिपि (दोनों पक्षों की)
  • वीज़ा और निवास प्रमाण पत्र
  • शादी का प्रमाण (जैसे कि शादी कार्ड, शादी के फोटो, आदि)
  • दोनों पक्षों का पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि)

विवाह प्रमाण पत्र: एक बार पंजीकरण हो जाने के बाद, विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, जो विवाह की वैधता को प्रमाणित करता है।

एनआरआई के लिए पंजीकरण प्रक्रिया: यदि एनआरआई ने विदेश में शादी की है, तो वह भारतीय दूतावास से अपनी शादी का पंजीकरण करा सकते हैं।

विवाह पंजीकरण की यह प्रक्रिया वैधानिक रूप से विवाह को स्वीकार करने और इसके बाद के अधिकारों की पुष्टि करने में मदद करती है।

दहेज निषेध अधिनियम और दहेज प्रथा

भारत में दहेज प्रथा एक गंभीर सामाजिक समस्या रही है। हालांकि, यह कानूनी दृष्टि से निषेध है, लेकिन एनआरआई शादियों में दहेज से संबंधित कई मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध हैं। यह कानून महिलाओं को दहेज से बचाने के लिए है।

अगर एनआरआई अपनी शादी में दहेज लेने का आरोप लगाए जाते हैं, तो यह मामला भारतीय न्यायालयों में दर्ज किया जा सकता है। इस कानून के तहत दहेज उत्पीड़न के मामलों में भारतीय न्यायालय महिलाओं को राहत प्रदान करते हैं, और आरोपी पति या परिवार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है।

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एनआरआई विवाह के बाद पत्नी के अधिकार क्या होते हैं?

एनआरआई विवाह के बाद पत्नी के अधिकार भारतीय कानूनों के तहत पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं। भारतीय महिला को अपने विवाह में कानूनी अधिकार प्राप्त होते हैं, चाहे वह पति के साथ भारत में हो या विदेश में। पत्नी के अधिकारों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • घरेलू हिंसा (संरक्षण) अधिनियम, 2005: इस अधिनियम के तहत, महिला को घरेलू हिंसा से संरक्षण मिलता है। यदि पत्नी को पति या ससुरालवालों द्वारा शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो वह इस कानून के तहत शिकायत दर्ज कर सकती है।
  • भरणपोषण का अधिकार: एनआरआई महिला को भरण-पोषण के लिए भारतीय न्यायालय में याचिका दायर करने का अधिकार है, यदि पति उसे पर्याप्त आर्थिक सहायता नहीं देता।
  • विशेष विवाह अधिनियम, 1954: यदि पति और पत्नी दोनों भारतीय नागरिक हैं और विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत है, तो पत्नी को तलाक, भरण-पोषण, और संपत्ति के अधिकार मिलते हैं।
  • तलाक का अधिकार: यदि किसी कारणवश विवाह में अनबन होती है, तो पत्नी भारतीय न्यायालय से तलाक की याचिका दायर कर सकती है, चाहे वह विदेश में क्यों न हो।

एनआरआई शादियों में विवादों का समाधान कैसे किया जा सकता है?

एनआरआई शादियों में विवाद के मामले आमतौर पर दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, तलाक, संपत्ति के अधिकारों आदि से संबंधित होते हैं। यदि कोई एनआरआई अपने विदेशी पति/पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करना चाहता है, तो उसे भारतीय न्यायालयों का सहारा लेना पड़ सकता है।

  • तलाक: एनआरआई शादियों में तलाक की प्रक्रिया जटिल हो सकती है, क्योंकि इसमें विभिन्न देशों के कानून और न्यायालयों का हस्तक्षेप हो सकता है। हालांकि, भारत में तलाक की प्रक्रिया शुरू करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम के तहत आवेदन किया जा सकता है। यदि दोनों पक्षों में से कोई एक भारत में है, तो वह भारतीय न्यायालय में तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता है।
  • घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न: यदि किसी महिला को अपने पति या ससुरालवालों द्वारा उत्पीड़ित किया जाता है, तो वह भारतीय न्यायालयों में घरेलू हिंसा या दहेज उत्पीड़न के मामलों में शिकायत दर्ज कर सकती है। महिला अधिकारों की रक्षा के लिए भारतीय न्यायालय सख्त निर्णय लेते हैं।
  • भरणपोषण: यदि पत्नी को पति से भरण-पोषण का अधिकार मिल रहा है, तो वह भारतीय न्यायालय से भरण-पोषण की याचिका दायर कर सकती है।
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एनआरआई विवाहों में अंतरराष्ट्रीय विवादों का समाधान कैसे किया जा सकता है?

एनआरआई विवाहों में कई बार अंतरराष्ट्रीय विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कि विवाह के बाद की संपत्ति के अधिकार, भरण-पोषण, तलाक आदि। यदि दोनों पक्ष विदेशी भूमि पर रहते हैं, तो उनके बीच के कानूनी विवाद को सुलझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों का सहारा लिया जा सकता है।

हालांकि, भारतीय न्यायालयों की क्षमता और अधिकार क्षेत्र का विस्तार होने के कारण, कई मामलों में भारतीय न्यायालय भी अंतरराष्ट्रीय विवादों का निपटान करते हैं।

निष्कर्ष

एनआरआई शादियों की कानूनी प्रक्रिया और संबंधित विवादों का समाधान एक जटिल और विविध प्रक्रिया हो सकती है। भारतीय कानून न केवल शादियों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है, बल्कि विवाह के बाद उत्पन्न होने वाले विवादों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दहेज, घरेलू हिंसा, तलाक, भरण-पोषण और संपत्ति के अधिकारों से संबंधित कानूनों के माध्यम से एनआरआई शादियों के मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।

एनआरआई शादियों की प्रक्रिया को समझने के लिए कानूनी सलाह लेना और संबंधित प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है, ताकि विवाह के बाद उत्पन्न होने वाले कानूनी विवादों से बचा जा सके और दंपति को उनके अधिकार प्राप्त हो सकें।

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