आज के आधुनिक समाज में प्रेम और रिश्ते व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अहम हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन जब यह प्रेम सार्वजनिक स्थानों पर दिखाया जाता है, तो अक्सर यह सवाल उठता है – क्या यह वास्तव में अवैध है? भारतीय न्याय संहिता में सार्वजनिक अश्लीलता से संबंधित धाराएँ हैं, लेकिन वे स्पष्ट रूप से PDA को अवैध नहीं ठहरातीं।
सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम प्रदर्शन करने से सामाजिक आलोचना (Social critique) और नैतिक पुलिसिंग (Moral policing) का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कानूनी कार्रवाई तभी होती है जब यह सार्वजनिक अश्लीलता के मानदंडों को पूरा करता हो। इसलिए, कपल्स को सार्वजनिक स्थानों पर अपने व्यवहार के प्रति संवेदनशील और स्थानीय सांस्कृतिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए। इस ब्लॉग में हम इस मुद्दे पर भारतीय कानून का क्या दृष्टिकोण है, इसका विश्लेषण करेंगे।
सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन (PDA) क्या होता है?
PDA का मतलब है सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम या स्नेह का प्रदर्शन, जैसे गले लगना, हाथ पकड़ना, किस करना आदि। यह व्यवहार सामान्यतः शालीन या अशालीन हो सकता है, और इसे समाज की सांस्कृतिक मान्यताओं के आधार पर परिभाषित किया जाता है। हर समाज के पास यह तय करने का अपना तरीका होता है कि किस प्रकार का सार्वजनिक प्रेम स्वीकार्य है और किसे अश्लील माना जाता है।
सार्वजनिक प्रेम के अंतर्गत क्या आता है?
- पब्लिक प्लेस में एक दूसरे का हाथ थम के चलना या पकड़ना।
- अपने पार्टनर के गले पर, कंधे पर हाथ रखना।
- अपने पार्टनर के कमर पर हाथ रखना या उसे सपोर्ट करना।
- पब्लिक प्लेस एक-दूसरे से प्रेम भरे शब्द कहना या प्रपोज़ करना।
- अपने पार्टनर के माथे, गाल, सिर या हाथ पर किस करना भावनाओं को एमोशनली व्यक्त करना है न की कोई क्राइम है।
- पब्लिक प्लेस, मेट्रो, बस, पार्क थिएटर जैसी प्लेसेस पर गले लगना किसी भी अश्लीलता को नहीं दर्शता है।
सार्वजनिक प्रेम के अंतर्गत क्या नहीं आता है?
- पब्लिक प्लेसेस पर सेक्सुअल एक्ट करना।
- पब्लिक प्लेसेस पर अपने पार्टनर के प्राइवेट पार्ट को छूना।
- किसी पब्लिक प्लेसेस पर अपने पार्टनर को गलत तरीके से किस करना।
भारत में सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन को लेकर समाज की क्या सोच है?
- छोटे शहरों और गांवों में लोगों का नजरिया: ग्रामीण और छोटे शहरों में PDA को अशिष्ट या अश्लील माना जाता है। सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम प्रदर्शन को सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ समझा जाता है, और ऐसे व्यवहार के लिए आलोचना या सामाजिक बहिष्कार हो सकता है।
- शहरों में लोगों का नजरिया: शहरी क्षेत्रों में PDA को सामान्य और स्वीकार्य माना जाता है। लोग सार्वजनिक स्थानों पर बिना संकोच अपने प्रेम का प्रदर्शन करते हैं, और यहाँ सामाजिक स्वीकृति के कारण इस पर कम आलोचना होती है।
- पीढ़ी के हिसाब से सोच: युवाओं में PDA को लेकर अधिक लचीलापन और स्वीकृति देखने को मिलती है, जबकि वरिष्ठ पीढ़ियाँ इसे अस्वीकार्य मानती हैं। यह अंतर उनके सांस्कृतिक और पारंपरिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। उदाहरण के तौर पर, आज के युवा अक्सर मॉल, पार्क, या कैफे में PDA को सहज मानते हैं और बिना किसी झिझक के अपने प्रेम का सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करते हैं। वहीं, वरिष्ठ पीढ़ी में इस प्रकार का प्रेम प्रदर्शन आमतौर पर अश्लील या असभ्य माना जाता है। यह अंतर उनके परवरिश, पारंपरिक मान्यताओं और सामाजिक दृष्टिकोण पर आधारित है, जिनमें सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन को खुले तौर पर स्वीकारने में हिचकिचाहट होती है।
भारतीय कानून में सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन पर क्या कहा गया है?
भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 296 सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील हरकतों को अपराध मानती है, लेकिन इसमें “अश्लीलता” की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है। इस धारा का उपयोग समाज की सामान्य मान्यताओं और सामाजिक आस्थाओं के आधार पर किया जाता है। इस धारा के तहत किए गए अपराधों में अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर अशिष्ट या अश्लील व्यवहार, जैसे कि खुले तौर पर गाली-गलौज करना, अश्लील इशारे करना, या सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन करना शामिल हो सकते हैं।
- अश्लीलता का निर्धारण समाज की सोच और संस्कारों पर आधारित होता है।
- यह कानून किसी भी सार्वजनिक स्थान पर लागू हो सकता है जैसे सड़क, पार्क या सार्वजनिक परिवहन।
- इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर जुर्माना या 3 महीने तक की सजा हो सकती है।
- यह धारा समाज की नैतिक और सांस्कृतिक सीमाओं का पालन करने की कोशिश करती है, लेकिन इसमें स्पष्टता की कमी भी है, जिससे इसे न्यायिक विवेक पर छोड़ा जाता है।
भारतीय न्यायपालिका ने सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम प्रदर्शन (PDA) से संबंधित मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक मान्यताओं के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, अवीक सरकार बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (2014) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
- समय और समाज के मानकों के अनुसार अश्लीलता की परिभाषा बदलती है: कोर्ट ने उल्लेख किया कि समय के साथ समाज की सोच बदलती है, और जो एक समय में अश्लील माना जाता था, वही बाद में स्वीकार्य हो सकता है।
- समाज के सामान्य दृष्टिकोण को महत्व दिया गया: अदालत ने समाज की सामान्य मान्यताओं और आस्थाओं के आधार पर यह निर्धारित किया कि क्या अश्लीलता की श्रेणी में आता है, न कि कुछ संवेदनशील व्यक्तियों की राय के आधार पर।
इसी प्रकार, एस खुशबू बनाम कन्नियाम्मल (2010) मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार को महत्व देते हुए सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन की व्याख्या को समय, स्थान और परिस्थितियों के आधार पर करने की बात कही थी।
इन निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय न्यायपालिका सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन के मामलों में समाज की बदलती सोच, सांस्कृतिक संदर्भ और व्यक्तिगत अधिकारों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेती है।
सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन की संवैधानिक वैधता क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, प्रत्येक नागरिक को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट के पुट्टस्वामी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया निर्णय ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी। इस निर्णय के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- निजता का अधिकार: व्यक्ति की निजी जिंदगी में राज्य या अन्य व्यक्तियों के अनुचित हस्तक्षेप से मुक्ति, साथ ही बिना अवांछित प्रभाव के स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता।
- व्यक्तिगत पसंद: व्यक्ति को अपनी पसंद और निर्णय स्वयं चुनने की स्वतंत्रता, जिसमें उनके रिश्ते और व्यक्तिगत संबंध शामिल हैं।
- डेटा संरक्षण: डिजिटल युग में, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और अनधिकृत उपयोग से रक्षा के लिए मजबूत कानूनी ढांचे की आवश्यकता।
- एलजीबीटीक्यू+ अधिकार: व्यक्ति की सेक्सुअल ओरिएंटेशन उनकी निजता का हिस्सा है और संविधान द्वारा संरक्षित है।
इस प्रकार, पुट्टस्वामी निर्णय ने निजता के अधिकार की व्याख्या को विस्तृत करते हुए, सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम प्रदर्शन (PDA) जैसे मामलों में व्यक्तियों की स्वतंत्रता की रक्षा की है, जब तक यह समाज की सामान्य मान्यताओं और दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता।
पुलिस द्वारा की गई मनमानी और कानूनी स्थिति:
भारतीय कानून के अनुसार, पुलिस को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है। विशेष रूप से, सार्वजनिक स्थानों पर जोड़े यदि बिना किसी अवैध गतिविधि के प्रेम प्रदर्शन कर रहे हैं, तो उन्हें बिना ठोस कारण के धमकाना या हिरासत में लेना कानूनी दृष्टिकोण से गलत है।
पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से संबंधित कानूनी प्रावधान:
- गिरफ्तारी का अधिकार: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 35 के तहत, पुलिस को कुछ परिस्थितियों में बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार है, लेकिन इसके लिए ठोस आधार और उचित प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।
- गिरफ्तारी की प्रक्रिया: BNSS की धारा 47 के अनुसार, गिरफ्तारी के समय पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी का कारण बताना आवश्यक है। साथ ही, गिरफ्तारी की सूचना परिवार या मित्रों को देने का अधिकार भी प्रदान किया गया है।
- गैर-कानूनी गिरफ्तारी पर कार्रवाई: यदि पुलिस बिना उचित कारण के गिरफ्तारी करती है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है। ऐसी गिरफ्तारी के खिलाफ पीड़ित व्यक्ति हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में पेटिशन दायर कर सकता है।
यदि आप या आपके परिचित के साथ ऐसी घटना घटित हो:
- कानूनी सलाह लें: अनुभवी वकील से परामर्श करें जो आपके अधिकारों और उपलब्ध कानूनी विकल्पों के बारे में मार्गदर्शन कर सके।
- उच्च अधिकारियों को सूचित करें: घटना की लिखित शिकायत पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों या मानवाधिकार आयोग में दर्ज करें।
- मुआवजे के लिए पेटिशन दायर करें: गैर-कानूनी हिरासत या पुलिस उत्पीड़न के मामले में, पीड़ित व्यक्ति कोर्ट में मुआवजे के लिए पेटिशन दायर कर सकता है।
अश्लीलता और सामान्य प्रेम में क्या अंतर है?
अश्लीलता और सामान्य प्रेम प्रदर्शन के बीच अंतर समाज की सांस्कृतिक मान्यताओं और समय के साथ बदलते दृष्टिकोण पर आधारित है। आम तौर पर, सार्वजनिक स्थानों पर हाथ पकड़ना या गले लगना सामान्य प्रेम प्रदर्शन के रूप में स्वीकार्य माना जाता है। हालांकि, खुलेआम गलत तरीके से किस करना या अत्यधिक शारीरिक संपर्क कुछ समुदायों में अश्लील समझे जा सकते हैं। कोर्ट इस अंतर को स्थान, समय और परिस्थितियों के आधार पर परिभाषित करती हैं, समाज की बदलती सोच और सांस्कृतिक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए।
रिचर्ड गेरे और शिल्पा शेट्टी के बीच सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन
2007 में दिल्ली में एक एचआईवी जागरूकता कार्यक्रम के दौरान हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेर ने बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को गाल पर चुम लिया। इस घटना पर भारत में कड़ी आलोचना हुई, और इसे अश्लील माना गया। शिल्पा शेट्टी को भी इस कारण आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने उस समय रिचर्ड गेर के किस करने का विरोध नहीं किया।
रिटर्निंग की शिकायत राजस्थान में दायर की गई, जिसके बाद रिचर्ड गेर और शिल्पा शेट्टी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई, जो अश्लीलता से संबंधित है।
शिल्पा शेट्टी ने 2017 में इन आरोपों से छुटकारा पाने के लिए आवेदन किया, यह कहते हुए कि उसने किस को प्रतिकार नहीं किया था, इसका मतलब यह नहीं कि वह अपराध में सह आरोपी हैं। 2022 में मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने शिल्पा शेट्टी को आरोपों से मुक्त कर दिया और कहा कि वह इस घटना की शिकार थीं।
इस फैसले को राजस्थान पुलिस और मुंबई पुलिस ने चुनौती दी, लेकिन 2023 में मुंबई सेशन कोर्ट ने इस फैसले को सही ठहराया और शिल्पा शेट्टी को निर्दोष मानते हुए आरोपों को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यदि किसी महिला के साथ सार्वजनिक स्थान पर ऐसी घटना होती है, तो वह आरोपी नहीं हो सकती।
कोलकाता मेट्रो में गले लगाने का मामला: नैतिक पुलिसिंग और सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन
2018 में कोलकाता मेट्रो में एक जोड़े को सिर्फ एक गले लगाने की वजह से बुरी तरह से पीटा गया। कुछ बुजुर्ग और मध्य आयु वर्ग के यात्रियों ने उन्हें गले लगाते हुए देखा, जिससे एक बुजुर्ग व्यक्ति परेशान हो गया। उस बुजुर्ग ने आरोप लगाया कि वे मेट्रो का माहौल खराब कर रहे हैं और उन्हें बार में जाना चाहिए। लड़के ने समझाने की कोशिश की कि वह लड़की को छेड़े जाने से बचाने के लिए उसे गले लगा रहा था, लेकिन बुजुर्ग ने उसकी बात नहीं मानी और बहस जारी रखी।
इसके बाद, मेट्रो स्टेशन पर 5-6 बुजुर्गों ने जोड़े को मेट्रो से खींच लिया और लड़के को पीटना शुरू कर दिया। जब लड़की ने लड़के को बचाने की कोशिश की, तो उसे भी मारा गया। बाद में कुछ अन्य यात्रियों ने बचाव किया, लेकिन पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी गई, इसलिए आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस घटना ने सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम प्रदर्शन और नैतिक पुलिसिंग पर बहस को जन्म दिया। बहुत से लोगों ने इस घटना का विरोध किया और कोलकाता मेट्रो में एकजुट होकर गले लगने का विरोध जताया। यह मामला इस बात को उजागर करता है कि साधारण PDA को अश्लील समझा जाता है और अक्सर इसे उत्पीड़न या कानून के उल्लंघन का आधार बना दिया जाता है।
निष्कर्ष
भारत में सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन पूरी तरह अवैध नहीं है, लेकिन इसका मूल्यांकन परिस्थितियों और व्यवहार के आधार पर किया जाता है। कपल्स को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और उन्हें अपने निजता के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। समाज की सोच अलग हो सकती है, लेकिन कानून नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
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FAQs
1. क्या पार्क में हाथ पकड़ना या गले लगाना अपराध है?
नहीं, यह सामान्य प्रेम प्रदर्शन है, और कानून में इसे अपराध नहीं माना जाता है।
2. क्या पुलिस बिना वारंट के हमें पकड़ सकती है?
नहीं, पुलिस बिना किसी ठोस आधार के गिरफ्तार नहीं कर सकती।
3. क्या पब्लिक में किस करना अपराध है?
यह समाज की मान्यताओं पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यतः यह अश्लील माना जा सकता है।
4. अगर कोई वीडियो बनाकर वायरल करे तो क्या कार्रवाई की जा सकती है?
हां, अगर वीडियो बिना अनुमति के बनाया गया है और इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है, तो यह कानूनी कार्रवाई का आधार बन सकता है।
5. अगर कोई सामाजिक संगठन कपल को धमकाए तो क्या करें?
ऐसे मामलों में पुलिस शिकायत की जा सकती है और अगर जरूरत हो तो वकील की मदद ली जा सकती है।