गुजरात हाईकोर्ट ने माँ बाप से कहा बेटी को जीने दो उसकी जिन्दगी

गुजरात हाईकोर्ट ने माँ बाप से कहा बेटी को जीने दो उसकी जिन्दगी

गुजरात हाईकोर्ट ने 18 साल की एक लड़की के परिवार को निर्देश दिया कि वो अपनी बेटी को उसकी मर्जी से जिन्दगी जीने दें। गुजरात हाईकोर्ट ने पांचाल विजयकुमार रमेश कुमार वर्सेस गुजरात स्टेट के फैसले में ये टिप्पणी की।  

दरअसल दिव्याबेन नाम की लड़की जिस लडके से प्यार करती है उसकी उम्र 19 साल है इस लिहाज से दोनों शादी नहीं कर सकते।

भारत में शादी के लिए लड़की की कानूनी उम्र 18 साल और लडके के लिए शादी की कानूनी उम्र 21 साल है। इसलिए दोनों को शादी की कानूनी उम्र पूरी करने तक इंतज़ार करना था।

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इस बीच लड़की अपना घर छोड़ कर लड़के के दादा के घर रहने चली गयी। माँ-बाप की कम्प्लेंट के बाद मामला कोर्ट में पहुंचा। लड़की के माता-पिता ने हैबियर्स कोरपस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका डाली और बेटी की सुपुर्दगी की मांग की।

मामला सुनकर न्यायमूर्ति आरएम छाया और न्यायमूर्ति निरजार एस देसाई की खंडपीठ ने लड़की के माता-पिता को अपनी बेटी को परेशान ना करने का निर्देश दिया।

खंडपीठ ने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि माता-पिता लड़की को उसकी पसंद के लडके से शादी करने की इजाजत देंगे।

खंडपीठ ने कहा कि हम कार्पस दिव्याबेन के निर्णय की तारीफ़ करते हैं। वो 18 साल 3 महीने की है। लड़की ने कहा कि वो अपने माता-पिता के घर इस शर्त पर जाएगी कि वो उसे अपनी पसंद के लडके से फोन पर बात देंगे और सही समय पर उसी लड़के से शादी करने देंगे। खंडपीठ ने लड़की की बात मानते हुए समाज कल्याण विभाग को भी निर्देश दिया कि वो लड़की के घर जा कर लडकी से मिलते रहें। एक साल तक लड़की की सुरक्षा रिपोर्ट कोर्ट में जमा करते रहें। कोर्ट के निर्देश पर लड़की को सुरक्षित लड़की के घर पहुंचा दिया गया।

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