शादी सभी की जिंदगी का एक मह्त्वपूण हिस्सा होता है। कुछ लोगों को बहुत धूम धाम से शादी करने पसंद होता है। वहीं कुछ लोगों को तामझाम और झंझट से दूर होकर सरल शादी करना पसंद होता है। सरल शादी के लिए कोर्ट मैरिज बेस्ट है। कोर्ट मैरिज लड़के और लड़की की सहमति से कोर्ट में रजिस्ट्रार के सामने होती है। आईये इस लेख में जानते है कि कोर्ट मैरिज करना फायदेमंद होगा या नुकसानदायक साबित होगा।
सकारात्मक पहलू:-
(1) यह मैरिज पूरी तरह लीगल है। इसमें अलग-अलग डाक्यूमेंट्स बनते है, जो शादी को मान्यता प्राप्त कराते है।
(2) स्पाउस वीज़ा बनवाने के लिए कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। जो की मैरिज रजिस्ट्रशन के बाद मिलता है।
(3) इसमें कपल की इच्छा और पसंद का सम्मान होता है। और उसे महत्व दिया जाता है।
(4) इस मैरिज करने की कोई फीस नहीं होती है। इसमें स्टाम्प ड्यूटी और वकील की फीस देनी होती है। जो सामाजिक शादी से काफी काम होती है।
(5) इसमें कोई दिखावा नहीं होता है। ये शादी एकदम सरल होती है।
(6) यह मैरिज किसी धर्म के अनुसार नहीं होती है। इसीलिए यह परम्पराओं के नाम पर शारीरिक, मानसिक प्रताडना, नशेखोरी और आडम्बरों से दूर होती है।
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(7) इसमें दोनों पार्टनर्स को समान अधिकार मिलता है। और दोनों पार्टनर्स को बराबर समझा जाता है। जबकि सामाजिक शादियों में ज्यादातर लड़की वालों को कम आँका जाना, कमजोर और मजबूर महसूस कराना, भेद-भाव करना आदि होता है। जो भारतीय संविधान के समानता के अधिकार के खिलाफ है।
(8) पार्टनर की डेथ के बाद बीमा, नौकरी, या कोई भी कानूनी अधिकार लेने में ज्यादा प्रॉब्लम नहीं आती है। पीड़ित आसानी से अपने अधिकार ले सकता है।
(9) यह मैरिज शादी की पुरानी भारतीय मान्यताओं जैसे कपल के गुण, कर्म, स्वभाव के हिसाब से शादी कराने का एक नया रूप है। जबकि सामाजिक शादियां नॉइस पॉल्यूशन और परम्पराओं के नाम पर लूटने का हिस्सा बन गयी है।
(10) कोर्ट मैरिज धर्मों के नाम पर होने वाले शोषण को कम करने में सहायक सिद्ध हो रही है।
(11) यह संविधान और उसके अधिनियमों पर विशवास करने का एक बहुत अच्छा और सरल तरीका है।
(12) कोर्ट मैरिज राष्ट्रिय एकता को भी सुनिश्चित करती है। यह भारतीय रूढ़िवादी सोंच से ऊपर उठकर भारत के संविधान को ज्यादा महत्व देता है।
(13) भारत में भारतीय और विदेशी की भी कोर्ट मैरिज भी लीगल हैं।
(14) कोर्ट मैरिज बहुत समय और पैसे की बचत करती है। जिस वजह से इसे समझदारों और पढ़े-लिखे लोगों की शादी भी कहा जाता है।
नकारात्मक पहलू:-
(1) सामाजिक शादियों के मुकाबले कोर्ट मैरिज करने के बाद संबंधों को सामाजिक स्तर पर पहचान मिलने में ज्यादा समय लगता है। क्योंकि इसमें सिर्फ 2 गवाह या कपल के कुछ करीबी लोग ही शामिल होते है।
(2) इस मैरिज में सभ्यता और संस्कारों की कमी रहती है। साथ ही, धर्मों की मान्यताएं भी लगभग गायब हो जाती है।
(3) समाजिक शादियों में सामजिक दायरा बढ़ जाता है। दावतें और आतिथ्य सत्कार होता है। कोर्ट मैरिज में ऐसा नहीं होता। जिससे कुछ रिश्तेदार या मित्र बुरा मान जाते है।
अगर कोई चाहे तो इसकी हानियों को भी फायदों में बदला जा सकता है। कोर्ट मैरिज के बाद भी दावतें और आतिथ्य सत्कार किया जा सकता है।