कंटेस्टेड डाइवोर्स का मतलब एक तरफ़ा तलाक होता है। यह डाइवोर्स तब लिया जाता है, जब एक पार्टनर दूसरे पार्टनर से डाइवोर्स लेने के लिए तैयार नहीं होता है, लेकिन दूसरे पार्टनर के पास डाइवोर्स लेने का वैलिड रीज़न है।
कंटेस्टेड डाइवोर्स लेने के आधार:-
यह डाइवोर्स लेने के वैलिड रीज़न या आधार यह हो सकते है –
(1) क्रूरता:-
भारत के संविधान के अनुसार, शारीरिक या मानसिक क्रूरता करना डाइवोर्स लेने का वैलिड रीज़न है। शारीरिक क्रूरता मतलब शरीर पर चोट पहुंचना और मानसिक क्रूरता मतलब व्यक्ति की भावना और आत्मा पर चोट पहुंचना।
(2) परित्याग:-
इस आधार पर डाइवोर्स तभी हो सकता है जब कपल दो साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हो। और जिस पार्टनर ने डाइवोर्स की पिटीशन फाइल की है उसके द्वारा परित्याग नहीं किया गया होना चाहिए। मतलब एक पार्टनर ने परित्याग किया है, तो दूसरा पार्टनर इस आधार पर डाइवोर्स ले सकता है।
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(3) अडल्ट्री के आधार पर डाइवोर्स:-
अडल्ट्री का मतलब है कि हस्बैंड या वाइफ ने किसी तीसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाये है। स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 द्वारा अडल्ट्री के आधार पर डाइवोर्स लिया जा सकता है।
(4) पागलपन:-
कानून के अनुसार, किसी व्यक्ति का मानसिक रूप से बीमार होना डाइवोर्स का आधार नहीं है। लेकिन अगर कोई पार्टनर इस हद तक मानसिक बीमारी का शिकार है कि उसके साथ रहना सेफ नहीं है। तो इस आधार पर डाइवोर्स हो सकता है।
(5) धर्म परिवर्तन:-
भारत में पार्टनर के द्वारा धर्म परिवर्तन कर लेना डाइवोर्स के लिए एक वैलिड रीज़न है। अगर एक पार्टनर ने शादी के बाद अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर लिया है। तो इस आधार पर दूसरे पार्टनर को डाइवोर्स मिल सकता है।
(6) यौनरोग:-
अगर एक पार्टनर किसी गंभीर यौन बीमारी से पीड़ित है, जो आसानी से फ़ैल भी सकती है, तो दूसरे पार्टनर द्वारा डाइवोर्स फाइल किया जा सकता है। इन बिमारियों का एक उदाहरण एड्स भी है।
कंटेस्टेड डाइवोर्स के लिए डाक्यूमेंट्स:-
कंटेस्टेड डाइवोर्स में इन डाक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है –
(1) अड्रेस प्रूफ
(2) दोनों पार्टनर्स की प्रेजेंट ऑक्यूपेशन की डिटेल्स।
(3) कपल की शादी का मैरिज सर्टिफिकेट।
(4) फॅमिली बैकग्राउंड के बारे में जानकारी।
(5) कम से कम 2 मैरिज फोटोग्राफ़्स।
(6) कपल के एक साल से अलग रहने का प्रूफ।
(7) सुलह की कोशिशों के सबूत।