जी हां, अविवाहित छात्रा के गर्भ को कपल द्वारा गोद लेने की सहमति देने का मतलब होता है कि कारा नियमित गोद लेने की प्रक्रिया में बदलाव कर सकता है।
इस मामले में, पहले कारा केवल विवाहित या स्थायी साथी के द्वारा गोद लेने की अनुमति देता था। अविवाहित छात्रा के गर्भ को कपल द्वारा गोद लेने की सहमति देने से, यह नियमित गोद लेने की प्रक्रिया में बदलाव करता है और दूसरे कपल को अविवाहित छात्रा के गर्भ को गोद लेने का अधिकार देता है।
यह बदलाव सामाजिक मान्यताओं और कुछ समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकता है, जहां पहले इस प्रक्रिया में सिर्फ विवाहित या स्थायी साथी को ही अधिकार था। इससे इस प्रकार की समानता और अधिकारिकता को प्रमोट किया जाता है और सामाजिक बदलाव का संकेत हो सकता है।
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यह परिवर्तन अलग-अलग देशों, क्षेत्रों और समुदायों में भिन्न हो सकता है, क्योंकि यह धर्म, संस्कृति और कानूनी नियमों पर आधारित होता है। इसलिए, इस परिवर्तन की व्यापक प्रभाव स्थानीय मान्यताओं, कानूनों और समाजिक वातावरण पर निर्भर करेगा।
CARA अधिनियम क्या है
CARA (Central Adoption Resource Authority) अधिनियम, 2015 भारतीय संघ के द्वारा पारित किया गया एक कानून है जो भारत में गोद लेने और दत्तक प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए बनाया गया है। CARA एक स्वायत्त संगठन है जो भारत सरकार के नेतृत्व में कार्य करता है और दत्तक कार्यों का प्रबंधन, संगठन और नियंत्रण करता है।
CARA अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भारत में गोद लेने और दत्तक कार्यों को विधियों के अनुसार व्यवस्थित करना है। इस अधिनियम के अंतर्गत, दत्तक केंद्रों की पहचान, पंजीकरण, अद्यतन, प्रक्रियाओं की नियमितता, अनुमोदन, दत्तक स्थायीकरण, नागरिकता और अन्य संबंधित मुद्दों को संघ के द्वारा निर्दिष्ट नियमों और प्रक्रियाओं के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।
CARA अधिनियम के तहत, अनाथ बच्चों की देखभाल, पहचान, दत्तक कोर्टों के माध्यम से प्रक्रिया, दत्तक प्रमाणपत्र, दत्तक कार्यक्रमों की प्रबंधन प्रक्रिया और अन्य दत्तक सम्बंधित मुद्दों पर निर्दिष्ट नियम और दिशानिर्देश द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। CARA द्वारा स्वीकृत गोद लेने के प्रक्रिया और नियम भी इस अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।
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