सीकर में रहने वाले 40 साल के एक एडवोकेट हंसराज मालवीय की हाल ही में सब-डिविज़नल मजिस्ट्रेट के ऑफिस में खुद को आग लगाने से मौत हो गई। लॉयर ने अपने सुसाइड नोट में कहा है कि उसे सब-डिविज़नल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) राकेश कुमार द्वारा परेशान किया जा रहा था और कोर्ट में रिविन्यू से रिलेटेड सभी केसिस की हियरिंग के लिए रिश्वत/ब्राइब दी जा रही है। साथ ही, सुसाइड नोट में लिखा था कि खंडेला के एसएचओ घासीराम मीना, एसडीएम राकेश कुमार के अगेंस्ट बोलने पर उन्हें धमका रहे थे।
पुलिस की तरफ से बताया गया कि एडवोकेट हंसराज मालवीय ने 9 जून को आत्मदाह करने से पहले खुद पर पेट्रोल डाला था। खुद को आग लगाने के बाद, हंसराज, खंडेला के एसडीओ राकेश कुमार के चैम्बर में घुस गया और उसे छूने की कोशिश की, जिस दौरान उसे कुछ चोटें भी आईं लेकिन वह खुद को एडवोकेट से छुड़ाने में सफल रहा। एडवोकेट को जयपुर ले जाने के बाद मृत घोषित कर दिया गया क्योंकि वह 70% जल चुका था।
इस इंसिडेंट के बाद राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस इंसिडेंट की निंदा करते हए मांग की कि स्टेट गवर्नमेंट सभी रिलेटेड ऑफ़िसर्स को तुरंत ससपेंड और अरेस्ट करे।
बाद में, राजस्थान के बहुत से डिस्ट्रिक्स में प्रोटेस्ट्स किये गए, जिनकी वजह से सड़कें बुरी तरह से ब्लॉक हो गई और काम को बॉयकॉट कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि एसडीओ और एसएचओ पर आईपीसी के सेक्शन 306 के तहत, सुसाइड करने के लिए उकसाने का केस फाइल किया गया है। साथ ही, एसडीओ की कम्प्लेन पर एडवोकेट के अगेंस्ट मर्डर की कोशिश करने के साथ आईपीसी के सेक्शन 307 के तहत एफआईआर फाइल की गई, क्योंकि एडवोकेट ने खुद को आग लगाने के दौरान एसडीओ को भी घसीटा था।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
लॉयर्स और पब्लिक रिप्रेसेंटेटिव्स ने अपनी मांगे रखकर खंडेला के एसडीएम ऑफिस(जहां इंसिडेंट हुआ) के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया, जहाँ, पांच मांगो वाला डिमांड लेटर पेश किया गया है। डीप फ्रीज में रखे गए एडवोकेट मालवीय की डेड बॉडी को लेकर धरना चल रहा है, लॉयर की फैमिली मांग कर रही हैं कि एसडीएम व एसएचओ को तुरंत अरेस्ट किया जाए और अन्य मांगों को भी पूरा किया जाए। साथ ही, उनका यह भी कहना है कि जब तक मांगे पूरी नहीं की जायेंगे तब तक वह डेड बॉडी का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
अन्य मांगों में यह भी शामिल है कि केस की सीबीआई इन्क़ुइरी होनी चाहिए। विक्टिम की फैमिली के एक मेंबर को गवर्नमेंट जॉब दी गई है। साथ ही, विक्टिम की फैमिली को 2 करोड़ रुपये का मुआवजा/कंपनसेशन भी दिया गया है।
एडमिनिस्ट्रेशन पर लगाए गए आरोप:
मृतक एडवोकेट के भाई का आरोप है कि पुलिस ने जानबूझकर एडवोकेट को समय पर हॉस्पिटल नहीं पहुंचाया। रास्ते में एंबुलेंस बहुत कम स्पीड से चल रही थी ताकि मृतक का बयान ना लिया जा सके।
बातचीत विफल रही:
एडमिनिस्ट्रेशन ने अब तक तीन बार बातचीत की है, लेकिन सभी राउंड्स की बातचीत फेल रही। प्रोटेस्टर्स अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और आरोपियों को तुरंत अरेस्ट कराने की मांग कर रहे हैं। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेजिडेंट भुनेश शर्मा की मौजूदगी से माना जा रहा है कि केस इतनी आसानी से सुलझने वाला नहीं है और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाएँगी, तब तक वह प्रोटेस्ट करते रहेंगे।