जब कपल के बीच का इमोशनल कनेक्शन ख़त्म हो जाता है। तो वह लड़ते-झगड़ते और परेशान ही रहते है। तब वह समझ नहीं पाते कि ऐसा क्यों हो रहा है और आगे क्या करना चाहिए। तो सबसे पहले दोनों पार्टनर्स को शान्ति से बैठकर अपने इशूज़ पर बात करनी चाहिए। और उन्हें ख़त्म करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन अगर फिर भी उन्हें लगे कि यह शादी आगे नहीं निभाई जा सकती है। तो कपल डाइवोर्स की तरफ बढ़ सकते है।
डाइवोर्स लेने के तरीके:-
भारत में डाइवोर्स लेने के मुख्य दो तरीके है। पहला, आपसी सहमति से, जिसमे दोनों पार्टनर्स अपनी मर्जी से एक दूसरे से डाइवोर्स लेते है। और दूसरा कंटेस्टेड डाइवोर्स, जिसमे एक पार्टनर कोर्ट में साबित करता है कि अपने पार्टनर के साथ रहना उसके लिए सेफ नहीं है। इसे कई आधारों पर प्रूफ किया जाता है। जिन पर डाइवोर्स लिया जा सकता है। किसी भी तरीके से डाइवोर्स लेने के लिए, सबसे पहले कपल को कोर्ट में पिटीशन फाइल करनी होती है। इसके बाद आगे की प्रोसीडिंग्स होने पर डाइवोर्स की डिक्री मिलती है।
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(1) एक साल तक अलग रहना:-
डाइवोर्स लेने के लिए कपल को कम से कम 12 महीने तक एक दूसरे से शारीरिक रूप से और शादी खत्म करने के इरादे से अलग रहना होगा। ज्यादातर केसीस में, लोग अलग होने के कुछ ही समय बाद मतलब 12 महीने पूरे होने से पहले ही कोर्ट में डाइवोर्स की प्रोसीडिंग्स शुरू कर देते हैं। लेकिन, आमतौर पर एक साल से पहले डाइवोर्स की डिक्री जारी नहीं होती है।
अगर कपल 12 महीने तक अलग रहते है, तो कोर्ट एक्सेप्ट कर लेती है कि कपल की शादी टूट गई है। और उन्हें आपसी सहमति से डाइवोर्स दे दिया जाता है। हालांकि, डाइवोर्स लेने के और भी कई आधार है लेकिन यह सबसे कॉमन और आसान आधार है। क्योंकि इसके लिए बहुत कम प्रूफ़ की जरूरत पड़ती है। और इसके विरोध की भी बहुत कम संभावना होती है।
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(2) वैलिड रीज़न से अलग होना:-
अगर शादी टूटने का कोई वैलिड रीज़न है। उदाहरण के लिए अडल्ट्री, भावनात्मक या शारीरिक हिंसा और क्रूरता, पार्टनर की मानसिक हालत सही न होना आदि। इन सिचुऎशन्स में कोर्ट 12 महीने से पहले ही कपल का डाइवोर्स अप्रूव कर सकती है। बशर्ते, डाइवोर्स फाइल करने वाले पार्टनर को यह साबित करना होगा कि उसका, अपने पार्टनर के साथ रहना सेफ नहीं है। तो इस आधार पर उसे अपने पार्टनर से कंटेस्टेड डाइवोर्स मिल सकता है।
कंटेस्टेड डाइवोर्स में अपने आप को अपने पार्टनर से शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रूप से असुरक्षित साबित करने के लिए कई सबूत दिखाने की जरुरत होती है। डाइवोर्स के प्रोसेस के, सारे स्टेप्स को पूरा करने के लिए आम तौर पर एक लॉयर की जरूरत पड़ती है।
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