सहमति से सेक्सुअल रिलेशंस बनाने की क्या उम्र होनी चाहिए।

सहमति से सेक्सुअल रिलेशंस बनाने की क्या उम्र होनी चाहिए।

सेक्सुअल रिलेशन्स के बनाने की उम्र व्यक्ति के स्थिति, संदर्भ और उनकी समझदारी पर निर्भर करती है। हालांकि, कुछ देशों और क्षेत्रों में कानून ने सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने की न्यूनतम उम्र सेट की हुई है।

अधिकांश देशों में, सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होती है, जो लीगल अधिकार और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए तय की जाती है। लेकिन कुछ देशों में इस न्यूनतम उम्र को कम कर दिया गया है।

अगर बात व्यक्तिगत समझदारी की हो तो, सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने की उम्र को युवा वयस्क (यानी 18 से 25 वर्ष) के लिए संभवतः सबसे उचित माना जाता है। इस उम्र के लोग समझदार होते हैं, उन्हें सेक्सुअल शिक्षा का ज्ञान होता है और वे अपने संबंधों के लिए जवाबदेह होते हैं।

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फिर भी, सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने के बारे में फैसला लेने से पहले, व्यक्ति को अपनी ज़िम्मेदारियों और संबंधों के प्रति समझदार होना।

मानव समाज ने सहमति से बंधित सेक्स रिलेशन के लिए कोई निर्दिष्ट आयु नहीं तय किया है। कुछ देशों में सहमति से बंधित सेक्स की न्यूनतम आयु 16 साल तय की गई है, जबकि कुछ देशों में यह 18 साल से भी ऊपर हो सकता है।भारत में यौन संबंध न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। इससे पहले यौन संबंध का कोई भी प्रयास अवैध है और दंडनीय अपराध माना जाता है।

भारत में सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने के क्या नियम हैं?

भारत में सहमति से सेक्सुअल रिलेशन बनाने के लिए कुछ बहुत महत्वपूर्ण कानून बनाए गए हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण कानून निम्नलिखित हैं

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भारतीय दण्ड संहिता, 1860

इस संहिता में सेक्सुअल उत्पीड़न के लिए सजा का प्रावधान है। इसके तहत बलात्कार और अन्य सेक्सुअल अपराधों पर सख्त सजा होती है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872

इस अधिनियम के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति ने सेक्सुअल संबंध बनाने से पहले झूठी गवाही दी होती है, तो उन्हें अपराधी माना जाएगा।

पोषण और संरक्षण के लिए बाल अधिनियम, 2016

इस अधिनियम के तहत, किसी भी बालिका से संबंध बनाना अवैध है।

सामाजिक न्याय और विकास मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश

इस दिशानिर्देश में संबंधित लोगों को अवगत कराया गया है कि सेक्सुअल रिलेशंस बनाने से पहले सहमति का महत्व क्या होता है और कैसे सही तरीके से सहमति दी जानी चाहिए।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860

इस संहिता में सेक्सुअल उत्पीड़न के लिए सजा का प्रावधान है। इसके तहत बलात्कार और अन्य सेक्सुअल अपराधों पर सख्त सजा होती है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 187

इस अधिनियम के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति ने सेक्सुअल संबंध बनाने से पहले झूठी गवाही दी होती है, तो उन्हें अपराधी माना जाएगा।

पोषण और संरक्षण के लिए बाल अधिनियम, 2016

इस अधिनियम के तहत, किसी भी बालिका से संबंध बनाना अवैध है।

सामाजिक न्याय और विकास मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश

इस दिशानिर्देश में संबंधित लोगों को अवगत कराया गया है कि सेक्सुअल रिलेशंस बनाने से पहले सहमति का महत्व क्या होता है और कैसे सही तरीके से सहमति दी जानी चाहिए।

सहमति का महत्व

सेक्सुअल रिलेशंस बनाने से पहले सहमति का महत्व जानना जरूरी है। यह सहमति न केवल शारीरिक होती है, बल्कि मानसिक भी होती है। सहमति की अभाव में सेक्सुअल रिलेशंस बनाना अपराध के रूप में माना जाता है।

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संबंधित उम्र

भारत में यौन संबंध बनाने की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है। 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के साथ सेक्सुअल रिलेशंस बनाना अवैध है।

समलैंगिक संबंध

भारत में समलैंगिक संबंधों को नैतिकता के मामले में अपराध माना जाता है। हालांकि, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना चाहिए, और समलैंगिक लोगों को भी समान अधिकारों का अधिकार होना चाहिए।

लीड इंडिया ला द्वारा पिछले कई वर्षों से लोगों की सहायता की जा रही है । यदि आप भी किसी तरह की कानूनी सहायता चाहते हैं तो आज ही संपर्क करें।

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