गिफ्ट में मिली प्रापर्टी क्या है?
संविधान के अनुसार, गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी वह संपत्ति होती है जो एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को उपहार के रूप में देता है बिना किसी मुआवजे या विपरीत मूल्य भुगतान किए। गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी के रूप में वास्तविक संपत्ति, नकदी, आभूषण, संग्रहीत राशि या किसी भी अन्य चीज़ शामिल हो सकती है।
गिफ्ट के माध्यम से मिली प्रॉपर्टी को संविधान के अनुसार कुछ विशेष प्रबंधों के तहत दर्ज किया जाता है। इन प्रबंधों में से एक शर्त होती है कि गिफ्ट की मान्यता के लिए उसमें विवरणित किए गए नियमों का पूर्णतः पालन किया जाना चाहिए। अतः, गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी को संविधान के अनुसार एक संविदा के रूप में समझा जा सकता है जो उस व्यक्ति या संस्था के बीच समझौते को दर्शाता है जिसने उसे प्राप्त किया है।
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क्या गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी के बदले कुछ भुगतान करना होता है?
गिफ्ट एक स्वैच्छिक रूप से होती है जो बिना किसी विरोध के की जाती है। इसलिए अधिकांश देशों में गिफ्ट के लिए कोई विशेष भुगतान नहीं होता है।
हालांकि, कुछ देशों में गिफ्ट के लिए कुछ शर्तें होती हैं जैसे कि जब तक गिफ्ट करने वाले व्यक्ति की लागत कुछ सीमा से ज्यादा नहीं होती है, गिफ्ट के लिए कोई भुगतान नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन अगर लागत इस सीमा से ज्यादा होती है तो उसके लिए कुछ भुगतान करना हो सकता है।अगर गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी की मूल्यांकन की जरूरत होती है तो उसके लिए आपको कुछ भुगतान करना हो सकता है।
इसके अलावा, कुछ देशों में गिफ्ट के दायित्वों को भी इक्सप्लेन करने की जरूरत होती है, जैसे उस परिवार का नाम, जिसको गिफ्ट दिया जा रहा है, उसके लिए गिफ्ट का उपयोग और गिफ्ट में शामिल किए गए वस्तुओं की सूची इत्यादि।
उस देश के कानून के अनुसार, गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी के लिए कुछ टैक्स भुगतान करने की आवश्यकता हो सकती है। जैसे कि, भारत में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को उपहार के रूप में 50 लाख रुपये से अधिक की मूल्य वाली किसी भी संपत्ति का उपहार देता है, तो उसे उस संपत्ति के मूल्य का 30% का टैक्स भुगतान करना होता है।
गिफ्ट में मिली प्रापर्टी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण धाराएं
गिफ्ट में मिली प्रापर्टी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण धाराएं निम्नलिखित हैं:
भारतीय संपत्ति अधिनियम, 1956
इस धारा के अंतर्गत, एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को उपहार के रूप में संपत्ति देने के लिए न्यूनतम मूल्य तय किया जाता है। इस धारा के तहत, गिफ्ट की मान्यता के लिए संपत्ति की रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है।
इनकम टैक्स एक्ट, 1961
इस धारा के अंतर्गत, गिफ्ट के माध्यम से मिली प्रॉपर्टी पर कर लगता है। इसमें ब्याज, खरीददारी, और बेचने का लाभ भी शामिल होता है।
वसीयत अधिनियम, 1956
इस धारा के तहत, गिफ्ट के माध्यम से मिली प्रापर्टी के बारे में वसीयत लिखी जा सकती है। वसीयत में विवरण शामिल होते हैं कि कौन गिफ्ट देने वाला है, कौन गिफ्ट लेने वाला है, गिफ्ट की राशि, और गिफ्ट के उपयोग के संबंध में।
भूमि विवरण अधिनियम, 2001
इस धारा के तहत, गिफ्ट में मिली भूमि को भूमि रजिस्ट्री में दर्ज किया जाना चाहिए। इसके लिए न्यूनतम मूल्य और रजिस्ट्रेशन शुल्क निर्धारित किए जाते हैं।
भारतीय संविधान
संविधान के अनुच्छेद 300 और 366(22) के तहत, गिफ्ट में मिली प्रापर्टी को संपत्ति के रूप में मान्यता दी जाती है और इसे स्वतंत्रता और स्वामित्व के अधिकार का हिस्सा माना जाता है।
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