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आईटी एक्ट का सेक्शन 67ए सेक्सुअल रिलेशन्स तक ही सीमित नहीं है, इसमें न्यूड वीडियो शामिल भी होगा- बॉम्बे हाई कोर्ट

आईटी एक्ट का सेक्शन 67ए सेक्सुअल रिलेशन्स तक ही सीमित नहीं है, इसमें न्यूड वीडियो शामिल भी होगा- बॉम्बे हाई कोर्ट

एस्टार नज़रुल अहमद v महाराष्ट्र राज्य के केस में एंटीसिपेट्री बेल की एप्लीकेशन पर फैसला लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि आईटी एक्ट के सेक्शन 67ए के तहत किसी व्यक्ति की न्यूड वीडियो को शेयर करना अपराध/क्राइम है। जज भारती ने यह ऑब्ज़र्व किया कि आईटी एक्ट के सेक्शन 67 के तहत “सेक्सुअली इम्प्लीसिट” …

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लीगल नोटिस कब और कैसे भेजें। इसके क्या बेनिफिट्स हैं?

लीगल नोटिस कब और कैसे भेजें। इसके क्या बेनिफिट्स हैं?

सभी ने कभी न कभी लीगल नोटिस के बारे में सुना होगा। आज हम इस लेख में बात करेंगे कि लीगल नोटिस क्या होता है, इसका क्या मतलब होता है और यह किस काम आता है। लीगल नोटिस किसी व्यक्ति या संस्था से बात करने का एक फॉर्मल या लीगल तरीका होता है। इस लीगल …

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नागिन डांस करने पर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सस्पेंड

नागिन डांस करने पर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सस्पेंड

उत्सव निलंबन की ओर जाता है। न्यायाधीशों को संगीत पर थिरकने और आधिकारिक वर्दी में नागिन नृत्य करने के लिए निलंबित कर दिया गया था। दूसरों की तरह आपने भी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पंकज जायसवाल का अपने क्लर्क के साथ नागिन डांस करते हुए वायरल वीडियो देखा होगा. वीडियो जितना वायरल हुआ और उस पर …

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हाई कोर्ट ने हस्बैंड को निर्देश दिया कि वाइफ को लॉयर हायर करके शादी तोड़ने की कार्यवाही करने के लिए 25000 रुपये दे।

हाई कोर्ट ने हस्बैंड को निर्देश दिया कि वाइफ को लॉयर हायर करके शादी तोड़ने की कार्यवाही करने के लिए 25000 रुपये दे।

पूजा एस v अभिषेक शेट्टी के केस में, कपल ने साल 2011 में शादी की और उनके 2 बच्चे हैं, बाद में हस्बैंड ने हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13 (1) (i) और (ii) के तहत तलाक की मांग करते हुए याचिका दायर की। पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत एक …

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सेक्शन 438 के तहत एंटीसिपेट्री बेल कैसे ले सकते है?

सेक्शन 438 के तहत एंटीसिपेट्री बेल कैसे ले सकते है?

बेसिकली जमानत या बेल सस्पेक्ट पर लगाई जाने वाली एक प्री-ट्रायल रीस्ट्रिक्शन होती है। इसे सस्पेक्ट मतलब जिस व्यक्ति पर कोई जुर्म करने का शक है उस पर इसीलिए लगाया जाता है ताकी वह कोर्ट की लीगल प्रोसीडिंग्स/कार्यवाही में कोई रुकावट ना डाल सके। आसान शब्दों में समझे तो किसी व्यक्ति को बेल या रिहाई …

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क्या एक वाइफ सेक्शन 377 के तहत अपने हस्बैंड पर एफआईआर कर सकती है?

क्या एक वाइफ सेक्शन 377 के तहत अपने हस्बैंड पर एफआईआर कर सकती है?

भारत में, इंडियन पीनल कोड का सेक्शन 377 हमेशा से ही सामाजिक या खुले तौर पर बात करने के लिए एक टैबू माना जाता रहा है। बहुत सारे लोग इसके बारे में डिटेल में जानते थे, लेकिन ज्यादातर लोगों की इस टॉपिक पर अपनी ही राय और सोंच थी, जो हमेशा बहुत ही भ्रम से …

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क्या विधवाओं के मेंटेनेंस के लिए एचयूएफ प्रॉपर्टी यूज़ की जा सकती है?

क्या विधवाओं के मेंटेनेंस के लिए एचयूएफ प्रॉपर्टी यूज़ की जा सकती है?

मुन्नी देवी उर्फ ​​नाथी देवी (मृत) v राजेंद्र उर्फ ​​लल्लू लाल (मृत) और अन्य के केस में, जज अजय रस्तोगी और जज बेला की बेंच ने माना कि जब एक हिंदू विधवा के पास ‘हिन्दू अन्डिवाइडेड फैमिली प्रॉपर्टी’ का स्पेशल कानूनी अधिकार होता है, तो यह माना जाएगा कि ऐसी प्रोपेर्टी उसके मेंटेनेंस का पूर्व-मौजूदा …

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महिलाओं को गैर-जमानती अपराधों के साथ मौत या उम्रकैद तक की सजा के लिए भी जमानत दी जा सकती है।

महिलाओं को गैर-जमानती अपराधों के साथ मौत या उम्रकैद तक की सजा के लिए भी जमानत दी जा सकती है।

नेथरा v कर्नाटक स्टेट के केस में, कर्नाटक के हाई कोर्ट ने माना कि मौत या उम्रकैद की सज़ा वाले क्राइम्स में बेल नहीं दी जा सकती है, भारत में ऐसा कोई कानून/लॉ नहीं है। जज एम नागपरसन्ना ने अपने हस्बैंड की हत्या की एक आरोपी महिला को बेल देते हुए यह बात कही थी। …

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क्या कोई पुलिस सब-इंस्पेक्टर क्रिमिनल केस में इन्वेस्टीगेशन करके चार्जशीट फाइल कर सकता है?

क्या कोई पुलिस सब-इंस्पेक्टर क्रिमिनल केस में इन्वेस्टीगेशन करके चार्जशीट फाइल कर सकता है?

जस्टिस के नटराजन की सिंगल जज बेंच के अनुसार, “पुलिस सब-इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर दोनों पुलिस स्टेशन के इन्चार्ज हैं, प्रॉपर इन्वेस्टीगेशन करने के बाद फाइल की हुई चार्ज शीट में कोई कमी नहीं है।” केस के फैक्ट्स:  छह महीने से ज्यादा जेल में रह रहे पिटीशनर्स ने आईपीसी के सेक्शन 306 (अबेटमेंट ऑफ़ सुसाइड) के …

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लंबे समय तक प्रॉपर्टी में काम करने पर भी नौकर या काम करने वाले लोग प्रॉपर्टी नहीं ले सकते है।

लंबे समय तक प्रॉपर्टी में काम करने पर भी नौकर या काम करने वाले लोग प्रॉपर्टी नहीं ले सकते है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में यह फैसला लिया गया था कि घर में काम करने वाला कोई भी नौकर, सेवक या केयर टेकर, मालिक द्वारा यूज़ करने के लिए दी गई प्रॉपर्टी में किसी तरह का इंटरेस्ट/ब्याज नहीं ले सकता, भले ही वह बहुत लम्बे समय से प्रॉपर्टी उसके कब्जे में हो क्योंकि वह …

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