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दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चे को उसके मानित पिता से मिलने का अधिकार दिया।

दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चे को उसके मानित पिता से मिलने का अधिकार दिया।

दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चों और पेरेंट्स के लिए एक अहम फैसला दिया। यह फैसला था कि एक नाबालिग़ बच्चे को उसके ‘मानित पिता’ (Putative Father) होने का दावा करने वाले पुरुष से मिलने का पूरा अधिकार है। एक नाबालिग़ बच्चे की पर्सनल ग्रोथ और डेवेलप्मेंट के लिए दोनों पेरेंट्स, माता और पिता का लाड …

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शादी के ख़ारिज होने और तलाक होने के बीच क्या अंतर है?

शादी के ख़ारिज होने और तलाक होने के बीच क्या अंतर है?

भारत में जैसे अलग-अलग पर्सनल लॉ के तहत शादी की प्रोसेस अलग-अलग होती है, वैसे ही डाइवोर्स की प्रोसेस भी अलग-अलग होती है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश है, जहां नागरिकों को अपने धर्म के पर्सनल कानूनों के प्रावधानों के अनुसार शादी और डाइवोर्स का अधिकार है। हर शादी उतनी आनंदमय नहीं होती जितनी हम …

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कानून और टेक्नोलॉजी के बीच ई-कोर्ट का संबंध।

कानून और टेक्नोलॉजी के बीच ई-कोर्ट का संबंध।

परंपरागत रूप से, यह माना जाता है कि कानून और टेक्नोलॉजी एक-दूसरे के विपरीत है। कानून अधिकारों की रक्षा करने के लिए बना है, जबकि टेक्नोलॉजी का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना है। बहरहाल, जज चंद्रचूड़ के अनुसार, कानून और टेक्नोलॉजी का आपस में संबंध है, जो व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और समाज में नवाचार …

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दूरी और आर्थिक परेशानी के आधार पर मैरिज केसिस ट्रांसफर नहीं होंगे।

दूरी और आर्थिक परेशानी के आधार पर मैरिज केसिस ट्रांसफर नहीं होंगे।

हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बताया कि जब डाइवोर्स की पिटीशन फाइल की गई है और वाइफ को हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 24 के तहत मुकदमेबाजी का खर्च मिल रहा है, तो ऐसे मैट्रीमोनिअल केसिस में दूरी और आर्थिक परेशानी के आधार पर केस को दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर नहीं किया …

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हाईकोर्ट की एप्रोच से सुप्रीम कोर्ट निराश, दी जमानत।

हाईकोर्ट की एप्रोच से सुप्रीम कोर्ट निराश, दी जमानत।

एक विश्वसनीय प्रिंट मीडिया स्रोत के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के साथ-साथ अन्य बेंचों में अगस्त 2021 तक लगभग 1,83,000 आपराधिक अपीलें पेंडिंग हैं। उत्तर प्रदेश की कई जेलों में 7214 कैदी हैं, जो अपनी सज़ा के आर्डर के तहत 10 साल से ज्यादा जेल की सजा काट चुके हैं। इन दोषियों की आपराधिक अपीलें हाई …

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क्या आर्य समाज मंदिर ‘स्पेशल मैरिज एक्ट’ से जुड़ा है?

क्या आर्य समाज मंदिर 'स्पेशल मैरिज एक्ट' से जुड़े है, जबकि शादी से जुड़े सभी फैसले सुप्रीम कोर्ट करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में 4 अप्रैल 2022 को एक आर्य समाज संगठन के विचार को स्वीकार कर लिया। विचार यह था कि आर्य समाज परंपरा के तहत होने वाली किसी भी शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत रजिस्टर कराने की जरूरत नहीं है। आर्य समाज की शादियां हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 …

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झूठे 85 केस के खिलाफ कैसे दर्ज करें काउंटर केस?

How to file a counter case against a false 85 case

भारतीय समाज में विवाह संस्था को सुरक्षित रखने के लिए कई संवेदनशील कानून बनाए गए हैं। ऐसा ही एक कानून है भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023) 85 जो विवाहिता को पति या ससुराल पक्ष द्वारा की गई मानसिक या शारीरिक क्रूरता से सुरक्षा देता है। लेकिन विडंबना यह है कि इस कानून का दुरुपयोग करके …

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ब्लैकमेलिंग के खिलाफ शिकायत कैसे करें? जानिए पूरी कानूनी प्रक्रिया

How to complain against blackmailing Know the complete legal process

डिजिटल युग में ब्लैकमेलिंग (Blackmailing) एक गंभीर साइबर अपराध बन गया है। यह सिर्फ निजी जीवन पर हमला नहीं करता, बल्कि व्यक्ति की मानसिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। चाहे वह किसी की व्यक्तिगत तस्वीरों का दुरुपयोग हो या सोशल मीडिया पर धमकी देकर पैसे वसूलने की कोशिश — भारत का …

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भारत में अगर कोई वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करे, तो क्या करें?

What should one do if someone makes a video and blackmails oneself in India

वीडियो ब्लैकमेलिंग आधुनिक डिजिटल युग की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक बन गई है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने जहां एक ओर संवाद और कनेक्टिविटी को आसान बनाया है, वहीं दूसरी ओर इनका दुरुपयोग भी बढ़ गया है। ब्लैकमेलिंग अब केवल धन के लिए नहीं, बल्कि समाजिक या मानसिक उत्पीड़न का रूप भी …

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वर्किंग वाइफ क्या डाइवोर्स के बाद मेंटेनेंस पाने की हकदार है?

वर्किंग वाइफ क्या डाइवोर्स के बाद मेंटेनेंस पाने की हकदार है?

वर्किंग या नॉन वर्किंग वाइफ अपने हस्बैंड से मेंटेनेंस पाने की हकदार हैं, बशर्ते यह सभी जरूरतें पूरी होनी चाहिए। भारत के कानून के अनुसार एक वाइफ जो खुद का भरण पोषण करने में असमर्थ है, वह डाइवोर्स के बाद अपने हस्बैंड से मेंटेनेंस पाने की हकदार है। हालांकि, कामकाजी महिलाओं के केस में ऐसा …

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