हाँ, कानून के अनुसार कोई भी पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार हो सकता है। घरेलू हिंसा कानून में लिंग-निरपेक्ष होती है और यह महिलाओं के साथ ही पुरुषों को भी संघर्ष की दशा में शामिल करती है। घरेलू हिंसा को कानूनी रूप से नाराजगी, जबरन, या दबाव के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें आपसी संबंध, वैवाहिक संबंध, साथी संबंध, या परिवारिक संबंध में हिंसा शामिल होती है।
कानूनी दृष्टिकोण से, घरेलू हिंसा कानून द्वारा दंडनीय अपराध मानी जाती है। यदि कोई पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार होता है, तो उसे कानूनी संरक्षण मिलता है। वह पुरुष घरेलू हिंसा के शिकार अपनी शिकायत को स्थानीय पुलिस स्थान में दर्ज करा सकता है और न्यायालय के माध्यम से न्याय प्राप्त कर सकता है। कानून उन्हें संरक्षण, सहायता, और सम्मान के अधिकार भी प्रदान करता है।
यदि आप या कोई आपके पास या परिवार का सदस्य घरेलू हिंसा का शिकार हो रहा है, तो आपको तुरंत स्थानीय पुलिस या महिला हेल्पलाइन से संपर्क करना चाहिए। वे आपकी सहायता करेंगे और आपको कानूनी संरक्षण प्रदान करने में मदद करेंगे।
क्या कोई पुरुष भी घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कर सकता है?
हाँ, कोई पुरुष भी घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कर सकता है। घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत, हिंसा का पीड़ित व्यक्ति को स्थानीय पुलिस स्थान में शिकायत दर्ज करने का अधिकार होता है। यदि किसी पुरुष को उसके साथी, पत्नी, या दूसरे परिवार के सदस्य द्वारा घरेलू हिंसा का सामरिक, मानसिक, या आर्थिक रूप से शिकार बनाया जाता है, तो वह अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
पुरुषों को घरेलू हिंसा के खिलाफ संरक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय कानून द्वारा कई कानूनी उपाय उपलब्ध हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत जहां दाम्पत्य विवाहिता को घरेलू हिंसा का शिकार बनाने का आरोप होता है, वहां पुरुष की भी सुरक्षा और न्याय के लिए उचित कार्यवाही की जाती है।
यह महत्वपूर्ण है कि हिंसा का पीड़ित व्यक्ति तत्काल कानूनी सहायता और सुरक्षा के लिए उचित अवसरों का उपयोग करे। उन्हें स्थानीय पुलिस स्थान के साथ संपर्क करना चाहिए या अन्य संबंधित महिला हेल्पलाइन और कानूनी सेवाएं से संपर्क करना चाहिए, जिन्हें वे अपने क्षेत्र में उपलब्ध कर सकते हैं।
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