क्या गवाह को न्यायालय में झूठी गवाही देने पर सजा हो सकती है?

Can a witness be punished for giving false testimony in court?

गवाहों का न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण स्थान होता है। न्यायालय में दिए गए गवाह के बयान पर निर्णय लिया जाता है, और यह गवाही कभी-कभी मामलों का रुख बदल सकती है। लेकिन यदि कोई गवाह झूठी गवाही देता है, तो यह कानून द्वारा गंभीर अपराध माना जाता है और उसे सजा दी जाती है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि गवाह को झूठी गवाही देने पर क्या कानूनी परिणाम होते हैं और उसे कितनी सजा दी जा सकती है। इसके अलावा, हम गवाहों के अधिकार और कर्तव्यों पर भी चर्चा करेंगे, ताकि न्यायपालिका में उनकी भूमिका सही तरीके से निभाई जा सके।

गवाह कौन होता है और उसका क्या महत्व होता है?

गवाह वह व्यक्ति होता है जिसे किसी घटना, जैसे अपराध या दुर्घटना, का प्रत्यक्ष ज्ञान होता है और वह अदालत में गवाही देता है। गवाह जांच प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अदालत को यह समझने में मदद करते हैं कि क्या हुआ था।

कोई भी व्यक्ति अदालत में गवाह बन सकता है, जब तक कि अदालत यह न तय कर ले कि वह:

  • उनसे पूछे गए सवालों को समझ नहीं सकता
  • उन सवालों के उचित जवाब नहीं दे सकता

गवाह जांच प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है, साथ ही वह उन परिस्थितियों को उजागर करता है जो अपराध के कारण बनीं। गवाह अदालत की मदद करता है यह स्पष्ट करने में कि अपराध स्थल पर क्या हुआ और अपराध से जुड़ी अन्य सभी जानकारी, जो मामले से संबंधित होती है और न्यायाधीश को अपराध से जुड़े मामलों का निर्णय लेने में मदद करती है।

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झूठी गवाही क्या है?

झूठी गवाही वह है जब गवाह जानबूझकर अदालत में गलत बयान देता है। यह बयान किसी की मदद करने, किसी को नुकसान पहुंचाने या व्यक्तिगत फायदे के लिए हो सकता है। झूठी गवाही देना भारतीय न्याय संहिता के तहत गंभीर अपराध माना जाता है। यह न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है और अदालत के फैसले को गलत दिशा में मोड़ सकता है, जिससे न्याय को धोखा मिलता है। इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।

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गवाहों को शपथ क्यों दिलाई जाती है?

राजस्थान राज्य बनाम दर्शन सिंह, AIR 2012 SC 1973 मामले में अदालत ने कहा कि शपथ दिलाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि जो लोग झूठी गवाही देते हैं, उन्हें अभियोजन का सामना करना पड़े और साथ ही गवाह को यह समझाना कि यह एक गंभीर मामला है और उसे सत्य बोलने का कर्तव्य समझाना है।

झूठी गवाही देने पर कितनी सजा मिलती है?

कानून के अनुसार, यदि कोई गवाह झूठी गवाही देता है, तो उसे गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय न्याय संहिता के तहत झूठी गवाही देने पर सजा का प्रावधान है।

बीएनएस की धारा 227 क्या है?

भारतीय न्याय सहिता की धारा 227 के तहत झूठी गवाही देने का मतलब है कि जो व्यक्ति किसी शपथ या कानून के द्वारा सत्य बताने के लिए बाध्य होता है, या जिसे किसी विषय पर घोषणा करने के लिए कानून द्वारा बाध्य किया गया हो, यदि वह कोई झूठा बयान देता है, और वह जानता है या मानता है कि वह बयान झूठा है या उसे सत्य नहीं मानता, तो उसे झूठी गवाही देना कहा जाता है।

बीएनएस की धारा 229 क्या है?

भारतीय न्याय सहिता की धारा 229 में झूठी गवाही देने पर सजा का प्रावदान दिया हुआ है।

जो व्यक्ति जानबूझकर किसी न्यायिक प्रक्रिया के किसी भी चरण में झूठी गवाही देता है, या न्यायिक प्रक्रिया में उपयोग के लिए झूठा सबूत तैयार करता है, उसे सात साल तक की सजा और दस हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

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जो व्यक्ति जानबूझकर किसी मामले में झूठी गवाही देता है या झूठा सबूत तैयार करता है, उसे तीन साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी हो सकता है, जो पांच हजार रुपये तक हो सकता है।

झूठे गवाहों के खिलाफ कैसे शिकायत दर्ज की जा सकती है ?

नरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव बनाम राज्य बिहार, (2019) 3 SCC 318 में यह निर्णय दिया गया कि न्यायिक कार्यवाही में झूठी गवाही देने या उसे बनाने के संबंध में शिकायत दर्ज करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया निर्धारित की गई है, जो कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 215(1)(b) के तहत है। इस धारा के अनुसार, भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 229 के तहत झूठी गवाही देने या उसे बनाने के लिए शिकायत केवल तभी दर्ज की जा सकती है, जब वह संबंधित न्यायालय द्वारा दी गई हो।

न्यायालय में गवाह के क्या अधिकार और कर्त्तव्य होते है?

गवाह के अधिकार

  • गवाहों को यह अधिकार होता है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, खासकर जब वे किसी गंभीर मामले में गवाही दे रहे होते हैं।
  • गवाह के बयान को गोपनीय रखा जाता है ताकि वह किसी भी प्रकार के दबाव या भय से मुक्त होकर अपनी गवाही दे सके।
  • गवाह को यह अधिकार होता है कि उसे अदालत में अपनी गवाही देने का उचित समय दिया जाए।

गवाह के कर्तव्य

  • गवाह का कर्तव्य है कि वह केवल सत्य बोले और किसी भी प्रकार की झूठी गवाही से बचें।
  • गवाह को न्यायालय के समक्ष पेश होकर अपनी गवाही पूरी ईमानदारी से देनी चाहिए।
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निष्कर्ष

गवाह का कर्तव्य है कि वह न्यायालय में केवल सत्य बोले और किसी भी परिस्थिति में झूठी गवाही देने से बचें। झूठी गवाही देने पर गवाह को भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा हो सकती है, और यह सजा गवाह को यह सिखाती है कि न्याय की प्रक्रिया में सच्चाई का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। गवाहों को अपनी भूमिका को गंभीरता से समझते हुए सच्चाई के पक्ष में गवाही देनी चाहिए, ताकि न्यायिक प्रक्रिया सही दिशा में चल सके और किसी निर्दोष को सजा न हो।

यदि आप गवाह हैं और किसी मामले में गवाही देने वाले हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी गवाही पूरी ईमानदारी से दें और झूठ बोलने से बचें। इसके अलावा, आप कानूनी सहायता प्राप्त करके अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकते हैं।

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FAQs

1. झूठी गवाही देने पर क्या सजा हो सकती है?

झूठी गवाही देने पर गवाह को तीन से सात साल की सजा और जुर्माना हो सकता है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है।

2. गवाह के अधिकार क्या होते हैं?

गवाहों को सुरक्षा, गोपनीयता, और उचित समय पर गवाही देने का अधिकार होता है।

3. क्या गवाह को शपथ दिलाई जाती है?

हां, गवाह को अदालत में गवाही देने से पहले शपथ दिलाई जाती है ताकि वह सत्य बोले।

4. झूठी गवाही देने की शिकायत कैसे की जा सकती है?

झूठी गवाही देने की शिकायत केवल संबंधित न्यायालय द्वारा दी गई सिफारिश पर ही दर्ज की जा सकती है।

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